नीरज सिसौदिया, बरेली
नगर निगम के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाते हुए पूर्व डिप्टी मेयर डा. मोहम्मद खालिद ने निगम को भ्रष्टाचार का अड्डा करार दिया है. उन्होंने ट्रैफिग सिग्नल लाइटों के नाम पर हुए करोड़ों रुपये के काले खेल का पर्दाफ़ाश करते हुए नगर निगम कमिश्नर से इसकी जांच की मांग की है. साथ ही भ्रष्टाचार में लिप्त कंपनियों और अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की भी मांग की है.
डा. खालिद ने बताया कि नगर निगम में ट्रैफिक सिग्नल की लाइटों के नाम पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई है. कहा कि वर्ष 1995 से अब तक नगर निगम की ओर से पांच बार चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लाइटें लगाने के नाम पर करोड़ों रुपये का बजट खर्च किया गया लेकिन लाइटें आज भी नहीं जल रही हैं. सेटेलाइट चौराहा हो, चौपुला हो, अयूब खां चौराहा हो या शहर का कोई भी चौराहा ह, कहीं भी ट्रैफिक लाइटें नहीं जल रहीं. जिस अधिकारी ने लाइट लगवाई थी ये उसकी जिम्मेदारी थी कि लाइटों की देखभाल की जाती. इसकी देखभाल तो अधिकारी को ही करनी थी, जनप्रतिनिधि को तो नहीं करनी लेकिन अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया. अधिकारियों ने लाइटें खत्म करवा दीं. जब दोबारा प्रपोजल आया तो फिर से लाइटें लगवा दीं. इसकी जांच होनी चाहिए कि 1995 से अब तक पांच बार सिग्नल लाइटों के नाम पर करोड़ों रुपयों का दुरुपयोग क्यों किया गया? ट्रैफिक लाइटें क्यों नहीं जलीं? निगम कमिश्नर को इसकी जांच करानी चाहिए कि लाइटें क्यों नहीं जल रही हैं?
डा. खालिद ने कहा कि जब भी कोई कंपनी सिग्नल लाइट लगाती है तो निगम की ओर से पहले उसके साथ करार किया जाता है कि वह साल, दो साल या तीन साल लाइटों की रिपेयरिंग करेगी लेकिन बरेली में ऐसा नहीं हुआ. कंपनियों ने लाइटें लगाने के बाद इसकी सुध लेना जरूरी नहीं समझा और अधिकारियों ने भी लाइटों की देखरेख करने की जगह नए प्रपोजल बनाकर नए सिरे से लाइटें लगाने में ही दिलचस्पी दिखाई. ऐसे में अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से नगर निगम के करोड़ों रुपये बर्बाद कर दिए गए. डा. खालिद ने पूरे मामले की जांच कर दोषी के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है.
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