नीरज सिसौदिया, बरेली
शहर विधानसभा सीट के सियासी समीकरण रोज नए करवट ले रहे हैं. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेता अपनी-अपनी तैयारी में जुटे हुए हैं. भाजपा के टिकट की कतार में पूर्व मंत्री दिनेश जौहरी के पुत्र राहुल जौहरी की एंट्री के बाद मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है. वहीं, पार्षदों के हक की आवाज उठाने वाले सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा अब विधानसभा की दौड़ से बाहर होकर बरेली-रामपुर स्थानीय निकाय क्षेत्र एमएलसी की दौड़ में शामिल हो गए हैं. मम्मा ने यह राह इसलिए भी चुनी क्योंकि विधानसभा के मुकाबले यह राह मम्मा के लिए ज्यादा आसान है. मम्मा के इस दौड़ से बाहर होने के बाद पूर्व उपसभापति अतुल कपूर की राह आसान होती नजर आ रही है. शहर विधानसभा से मम्मा पार्षद को टिकट देने की मांग कर रहे थे. उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक गुहार लगाई थी. अब मम्मा एमएलसी की दौड़ में शामिल हो चुके हैं तो शहर सीट से पार्षद और पूर्व उप सभापति अतुल कपूर की दावेदारी को बल मिला है. राजनीति के क्षेत्र में तेजी से अपनी पहचान बना रहे अतुल कपूर के पास दो प्लस प्वाइंट हैं. पहला यह कि वह पार्षद और पूर्व उप सभापति हैं और दूसरा यह कि वह खत्री पंजाबी समाज का जाना पहचाना चेहरा हैं. खत्री पंजाबी समाज इस बार विधानसभा टिकट की मांग भी उठाता आ रहा है. अतुल कपूर के मुकाबले इस समाज से ताल्लुक़ रखने वाले भाजपा के महानगर अध्यक्ष डा. केएम अरोड़ा भी भाजपा का चेहरा हो सकते हैं. हालांकि, कहा यह जा रहा है कि पार्टी हाईकमान के निर्देशानुसार संगठन के सम्मानित पद पर बैठा कोई पदाधिकारी तभी टिकट की मांग कर सकता है जब वह अपने पद को त्याग दे. ऐसे में टिकट मिलने से पहले डा. केएम अरोड़ा यह पद छोड़ने की हिम्मत जुटा पाएंगे इस पर संशय है. अतुल कपूर के अलावा पवन अरोड़ा, गुलशन आनंद जैसे कुछ अन्य नाम भी इस दौड़ में शामिल बताए जाते हैं लेकिन गुलशन आनंद पहले ही डिप्टी मेयर और मेयर का चुनाव हार चुके हैं. ऐसे में विधानसभा में पार्टी उन पर दांव लगाने का रिस्क लेगी, ऐसा प्रतीत नहीं होता.
बहरहाल, अतुल कपूर पूरे जी जान से लगे हुए हैं. वह लगातार समाजसेवा के कार्यों में जुटे हैं. विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में वह लगातार लोगों से जनसंपर्क और बैठकें करके अपने लिए समर्थन जुटाने में लगे हैं. जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ उन्हें टिकट की कतार में सबसे आगे खड़ा कर चुकी है. अगर हाईकमान के पदाधिकारियों ने मामले पर गंभीरता से विचार किया तो जिस तरह पहली बार चुनाव जीतने पर ही वह उपसभापति बन गए उसी प्रकार विधायक भी बन सकते हैं. भाजपा वैसे ही युवाओं को आगे बढ़़ा रही है और अतुल कपूर न सिर्फ युवा हैं बल्कि हर जाति धर्म के युवाओं के बीच गहरी पैठ भी रखते हैं. अगर मम्मा का साथ अतुल कपूर को मिल जाता है तो यह जोड़ी मिलकर कोई भी मंजिल फतह कर सकती है.
