नीरज सिसौदिया, बरेली
बरेली शहर को एयरपोर्ट की सौगात देने के नाम पर वाहवाही लूटने वाले माननीय अपने कार्यालय की सड़क तक नहीं सुधार सके हैं. जब माननीयों के दफ्तर की सड़क का हाल इतना खराब है तो बाकी शहर का क्या हाल होगा इसका अंदाजा खुद ब खुद लगाया जा सकता है.
कहा जाता है कि जब कोई जख्म नासूर बन जाता है तो बहुत कष्ट पहुंचाता है, ऐसा ही कुछ हाल माननीय सांसद जी के कार्यालय से लेकर कोहाड़ापीर पेट्रोल पंप तक टूटी फूटी, गड्ढों भरी व गंदे पानी से भरी तालाबमय सड़क का है. अखिल भारतीय कायस्थ महासभा पश्चिम उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष एवं उपजा प्रेस क्लब के सचिव आशीष कुमार जौहरी के अनुसार न जाने कितने वर्षों से यह सड़क जर्जर है. अनगिनत बार रिक्शो को पलटते हुए, स्कूली छात्र छात्राओं को स्कूटी और बाइक से गिरते हुए एवं बुजुर्गों को ई-रिक्शा से गिरकर चोट खाते हुए देखा गया है, परंतु टूटी फूटी, गड्ढों भरी सड़क का कोई सुधलेवा नहीं है. खस्ताहाल मार्ग पर जगह-जगह गढ्डों से एवं पानी भरा होने से आवागमन दुश्वार हो गया है. लोग जर्जर सड़क पर आवागमन करने को मजबूर हैं।
बरसात के दिनों में स्थिति और भी दयनीय हो जाती है। शायद यह सड़क का दुर्भाग्य है कि उसको सिर्फ इंतजार है 2022 या शायद 2024 का ! परंतु तब तक ना जाने कितने रिक्शों को गंदे पानी में पलटते हुए एवं स्कूटी व बाइक से गिरते हुए लोगों को देखना होगा. अब देखना यह है कि स्थानीय लोगों के जख्मों पर मरहम कब लगता है?