यूपी

गेंदा के फूल की खेती से गुलज़ार हुई लालमणि की ज़िंदगी

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बोकारो थर्मल, कुमार अभिनंदन
बेरमो अनुमंडल के ऊपरघाट ऐसे उग्रवाद के नाम से जाना जाता है। ऐसे में काच्छो पंचायत के गोवारडीह निवासी लालमणी महतो की जिंदगी गेंदा फूल की खेती से गुलजार हो गयी है। अपनी ढाई एकड़ बंजर भूमि में गेंदा और गुलाब फूल की खेती कर दूसरों के लिए मिशाल बन गए है। मेहनतकश किसान लालमणी महतो के होनहार बेटे 33 वर्षीय गौतम कुमार महतो का सपनों का प्लांट है। यही वह बंजर भूमि है जिसे सींच कर लालमणी महतो, धर्मपत्नि देवंती देवी, बेटा गौतम कुमार महतो व पुत्रवधु सावित्री देवी अपनी तकदीर बदल ली।
बोकारो, रामगढ़ व हजारीबाग के बाजारों में है डिमांड : गेंदे फूल की खुशबू बोकारो, रामगढ़ और हजारीबाग के बाजारों में बिखेर रही है। शादी एवं पूजा-पाठ के मौके पर कोयलांचल से सस्ते दर पर फूल लेने के लिए इनके घर तांता लगा रहता है। महाराष्ट्र के पूणा के एक किसान दोस्त चींकू से गेंदे की खेती का आईडिया लेकर इस मेहनतकश किसान ने जिंदगी की तस्वीर बदल ली है। वह कहते हैं फूलों की खेती का सौदा कभी भी घाटे में नहीं रहता।


एक सीजन पांच माह का : किसान लालमणी महतो ने बताया कि एक खेती का सीजन पांच माह तक रहता है। इसके बाद दूसरी खेती का बीजारोपण होता है। उन्होंने बताया कि गेंदा फूल का बीज कोलकाता से मंगा कर पहले एक छोटे से भूमि पर बिचड़ा तैयार किया जाता है बाद में उसे ढाई एकड़ बंजर भूमि पर इसे लगाया। इस दौरान करीब दस बार पटवन का काम एवं खेत मे समय अंतराल पर खल्ली, डीएपी पोटाश खाद के अलावे बीच-बीच में कीटनाशक दवा में इंडोफिल आइमिल, रिडोमिल आदि का छिड़काव किया। इन सब प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद ही पौधा से फूल तैयार हुआ है। लालमणी महतो ने बताया कि पूरे नावाडीह प्रखंड में वे अकेले इस क्षेत्र में गेंदे फूल की खेती कर रहे हैं। अनाज की खेती के मुकाबले फूलों की खेती की तकनीक थोड़ा अलग है। हालांकि जिन सामग्री की जरूरत अनाजों की खेती में होती है गेंदे की फूलों में कमोबेश उन्हीं सामाग्री की जरूरत होती है।
अब आसपास किसान के लिए बने रॉल मॉडल : अब धीरे-धीरे आसपास के गांव के किसान भी काच्छो पहुंचकर गेंदा फूल के किसान लालमणी महतो से गेंदा फूल उगाने का तरीका सीख रहे हैं। ताकि गेंदा फूल बड़े बाजारों में बेचकर छोटे-मोटे किसान आत्मनिर्भर बन सकें। लालमणी महतो ने बताया कि मेरे परिवार का भरण पोषण इसी पर टिका हुआ है। और हम अपने चार बच्चे एवं पत्नी देवंती देवी का सारा खर्चा गेंदे के फूल से कमाई हो जाता है और पहले से बेहतर जिंदगी जी रहें हैं। लालमणी महतो का एकमात्र बेटा गौतम कुमार महतो कोयलांचल के गोमिया, कथारा, बोकारो, फुसरो व कुरपनिया के बाजारों के मालाकारों के यहां डेली सर्विस देते है।

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