नीरज सिसौदिया, बरेली
समाजवादी पार्टी के सियासी मेढक चुनावी बरसात में बाहर तो निकल आए हैं लेकिन किसी भी राह पर आगे बढ़ने से पहले टिकट मिलने का इंतजार कर रहे हैं। बात अगर कैंट विधानसभा सीट की करें तो यहां समाजवादी पार्टी से टिकट की दावेदारी करने वाले नेता बड़े ही दिलचस्प हैं। कोई अपनी तुलना बाज और चील-कौओं से खुद ही कर रहा है जो टिकट को झपट्टा मारकर हासिल करना चाहता है तो कुछ ऐसे हैं जिनका टिकट फाइनल हो चुका है और यह बात खुद अखिलेश भैया ने उनसे कही है लेकिन उन्हें अखिलेश भैया की बात पर भरोसा नहीं है इसलिए वे टिकट मिलने के बाद ही जनता के बीच जाएंगे, पहले जाकर अपना पैसा और समय पार्टी के लिए बर्बाद नहीं करेंगे। दिलचस्प बात यह है कि इसी सीट से सपा के टिकट के प्रबल दावेदार इंजीनियर अनीस अहमद खां ने जब पार्टी हित में वोट बनाने और जनता के घर में पोलिंग बूथ नंबर लिखा स्टीकर लगाने का अभियान शुरू किया तो सभी ने उनकी टांग खिंचाई शुरू कर दी। कहने लगे कि ये पागल हो गए हैं कि इन्हें टिकट भी नहीं मिला है और पार्टी के चक्कर में पैसा और समय बर्बाद कर रहे हैं। इं. अनीस अहमद पर इस टांग खिंचाई का कोई असर नहीं पड़ा और वह अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते गए। इं. अनीस अहमद वह पहले दावेदार बन गए जिन्होंने कैंट विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए रोड शो निकाला। फिर मेजर आशीष चतुर्वेदी और शाद शेरवानी जैसे नेताओं को बुलाकर बड़ी तादाद में दलितों को पार्टी में शामिल करवाया। चूंकि इंजीनियर अनीस अहमद यह समझ चुके हैं कि दलितों और पिछड़ों के सहयोग के बिना कैंट और शहर की सीट नहीं जीती जा सकती इसलिए उन्होंने भगवान वाल्मीकि जयंती के मौके पर दलितों के मंच से सपा को जिताने की अपील की। पूर्व मंत्री और जिले के कद्दावर नेता अता उर रहमान का उन्हें पूरा साथ मिला। जाटवपुरा मोहल्ले में आयोजित वाल्मीकि जयंती समारोह के बहाने दोनों नेताओं ने भाजपा के इस वोट बैंक में सेंध लगाने का काम किया। इस कार्यक्रम में अनीस अहमद खां विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल हुए और दलितों के बच्चों को पुरस्कृत भी किया। इस दौरान कैंट सीट से ही सपा के प्रबल दावेदार पवन सक्सेना और संजीव सक्सेना भी मौजूद रहे। लेकिन अन्य दावेदारों ने जैसे वाल्मीकि समाज से दूरी बना ली।
अनीस अहमद ने पार्टी की मजबूती के लिए सभी दावेदारों से एकजुट होकर काम करने की अपील भी की। साथ ही इस कार्य के लिए नि:शुल्क संसाधन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी भी ली। इसके लिए बाकायदा एक सम्मेलन का आयोजन भी किया लेकिन दावेदारों को लगा कि अगर वे सब मिलकर काम करेंगे तो इंजीनियर अनीस अहमद का टिकट पक्का हो जाएगा इसलिए उन्होंने न तो इंजीनियर अनीस अहमद का साथ दिया और न ही निजी स्तर पर कोई कार्यक्रम आयोजित कराना जरूरी समझा।

विरोधी दावेदार सिर्फ अपने-अपने वार्ड में होर्डिंग और पोस्टर लगाकर या आला नेताओं की सिफारिश के दम पर टिकट पाने का सपना देख रहे हैं। वे लोग इंजीनियर अनीस अहमद का विकल्प तो बनना चाहते हैं लेकिन उनकी तरह तन, मन, धन से पार्टी की मजबूती के लिए काम नहीं करना चाहते। इंजीनियर अनीस अहमद खुद विरोधी दावेदारों को कई बार सार्वजनिक मंच से चुनौती भी के चुके हैं कि अगर विरोधी दावेदार वाकई में पार्टी की मजबूती चाहते हैं तो टिकट मिलने का इंतजार क्यों कर रहे हैं, पार्टी की मजबूती के लिए व्यापक पैमाने पर काम क्यों नहीं कर रहे।

वह कहते हैं, ‘ मैंने कैंट विधानसभा सीट के सभी आवेदकों से बिना एक पैसा खर्च किए पार्टी हित में सिर्फ सहयोग करने का निवेदन किया था लेकिन किसी ने भी आगे कदम नहीं बढ़ाया। यहां तक कि संगठन से भी मुझे कोई सहयोग नहीं मिल रहा जबकि संगठन का तो काम ही पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाना है। क्या फायदा ऐसे संगठन का जो चुनाव के समय भी पार्टी हित में काम करने वाले का सहयोग न करे। क्या संगठन को वोट की अहमियत नहीं पता?’
बहरहाल, इंजीनियर अनीस अहमद पार्टी हित के लिए लगातार दलितों और पिछड़ों को अपने साथ जोड़ने में लगे हैं। वोट बनवाने और बूथ बताने का काम निजी स्तर पर कर रहे हैं।
हाल ही में आयोजित वाल्मीकि जयंती महोत्सव में उन्होंने दलित समाज के नेता गुरु प्रसाद काले, हरि वरदान,वेद प्रकाश वाल्मीकि, सुरेंद्र सोनकर, जितेंद्र सोनकर आदि नेताओं को सपा के पक्ष में करने में अहम भूमिका निभाई। अब तक वह कैंट विधानसभा सीट में पटेल, प्रजापति, मौर्य, मुस्लिम समाज के नेताओं को भी समाजवादी पार्टी में शामिल कराया। अब तक वह सैकड़ों की तादाद में दलित और पिछड़े समाज के नेताओं को पार्टी की सदस्यता दिलवा चुके हैं। यही वजह है कि कैंट सीट पर एक भी विरोधी दावेदार उनके सामने नहीं ठहर पा रहा।