नीरज सिसौदिया, बरेली
समाजवादी पार्टी में वैसे तो कैंट विधानसभा सीट पर टिकट के दावेदारों की भरमार है लेकिन ज्यादातर दावेदारों को टिकट मिलने का इंतजार है। वहीं, दो दावेदार ऐसे भी हैं जिन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि पार्टी उन्हें टिकट दे अथवा न दे। वे सिर्फ पार्टी की जीत के लिए काम कर रहे हैं। इनके मुकाबले फिलहाल और कोई भी दावेदार पार्टी की मजबूती के लिए जमीनी स्तर पर इतनी तन्मयता से काम नहीं कर रहा। इनमें पहला नाम कुछ माह पूर्व ही पार्टी में शामिल होने वाले पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अनुराग सिंह नीटू का है।

नीटू को पार्टी में शामिल हुए बहुत ज्यादा वक्त तो नहीं हुआ लेकिन जिस तेजी से वह पार्टी को घर-घर तक पहुंचाने में कामयाब हुए हैं उसने पुराने दिग्गजों को भी हैरानी में डाल दिया है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि नीटू के साथ युवाओं की बड़ी फौज जुड़ी हुई है। यही वजह है कि निजी स्तर पर नीटू ने जिस तेजी के साथ बूथ कमेटियां बनाने का काम किया है वह वाकई पार्टी के लिए फायदेमंद साबित होगा। नीटू लगभग दो सौ बूथ कमेटियां तैयार कर चुके हैं। प्रत्येक कमेटी में लगभग पांच से सात सदस्यों को जोड़ा गया है। नीटू कहते हैं कि पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने हर बूथ पर बीस सदस्य जोड़ने को कहा है। हम उसी दिशा में काम कर रहे हैं।

इसके लिए बूथ प्रभारियों और कमेटी के सदस्यों के साथ लगातार बैठकें कर रहा हूं। पार्टी मुझे टिकट दे या किसी और को प्रत्याशी बनाए, इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैं पार्टी की जीत के लिए काम कर रहा हूं और राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए काम कर रहा हूं। मेरे पास राजनीतिक करियर बनाने के लिए एक लंबा वक्त पड़ा है। चूंकि युवाओं और बुजुर्गों का साथ मुझे मिल रहा है इसलिए अगर पार्टी मुझे मौका देगी तो कैंट की सीट जीतकर माननीय अखिलेश यादव की झोली में डालने का काम करेंगे। अन्यथा जो भी प्रत्याशी बनेगा उसे चुनाव जिताने का काम करेंगे पर कैंट की सीट हम हर हाल में जीतेंगे।

नीटू की सपा में एंट्री होने के साथ ही सपा को यहां काफी मजबूती मिल रही है। युवाओं का बड़ा हुजूम गली गली समाजवादी झंडा बुलंद करता नजर आ रहा है। उन युवाओं को उम्मीद है कि उनका छात्र संघ अध्यक्ष अगर विधानसभा पहुंचता है तो उसी तरह से उनकी लड़ाई लड़ेगा जिस तरह से कॉलेज में लड़ा करता था। यही वजह है कि रिक्शे वाले से लेकर ऑटो वाले तक नीटू का स्टीकर और बैनर लगाकर शहर की सड़कों पर दौड़ते नजर आ रहे हैं।

वहीं, बात अगर मुस्लिम दावेदारों की करें तो इंजीनियर अनीस अहमद खां इतनी बड़ी लकीर खींच चुके हैं कि कोई भी मुस्लिम दावेदार उनके आसपास भी नहीं ठहर रहा। इंजीनियर अनीस अहमद का पूरा फोकस वोट बनवाने, वोट सुधरवाने और हर मतदाता को बूथ तक पहुंचाने पर है। इस दिशा में वह महीनों से काम कर रहे हैं। लाखों रुपये और कीमती समय का योगदान वह पार्टी की मजबूती के लिए कर रहे हैं। इंजीनियर अनीस अहमद एकमात्र ऐसे दावेदार हैं जिसने न सिर्फ वोट बनवाए बल्कि उनकी लिस्ट लखनऊ मुख्यालय तक भी पहुंचाई। पार्टी मुख्यालय के पदाधिकारियों का कहना है कि उनके पास कैंट विधानसभा सीट से अब तक सिर्फ इंजीनियर अनीस अहमद द्वारा ही लोटस लिस्ट भेजी गई है।

सबसे बड़ी बात यह है कि वोट बनवाने के साथ ही इंजीनियर अनीस अहमद हर घर में एक सिटी कर भी लगवा रहे हैं जिसमें परिवार के हर सदस्य का पोलिंग बूथ नंबर भी लिखा है। जिससे उन्हें मतदान के लिए भटकना न पड़े। इंजीनियर अनीस अहमद वोट की कीमत जानते हैं इसलिए वह पार्टी की जीत के लिए वोट बनवाने पर समय के साथ ही लाखों रुपये भी खर्च कर से पीछे नहीं हैं। इंजीनियर अनीस सार्वजनिक मंच पर भी कई बार कह चुके हैं कि दावेदार भले ही पचास हों मगर पार्टी हमारी एक ही है। इसलिए हमें पार्टी की जीत के लिए काम करना है। हमारा वजूद पार्टी से है और पार्टी सत्ता में नहीं रहेगी तो हम भी नहीं रहेंगे। इसलिए मुझे टिकट मिले या न मिले उससे फर्क नहीं पड़ता लेकिन पार्टी सत्ता में नहीं रहेगी तो हम सभी को फर्क पड़ेगा। इंजीनियर अनीस अहमद लगभग सौ से भी अधिक बूथ कमेटियां तैयार कर चुके हैं। बाकी पर काम चल रहा है। नवंबर माह में कैंट सीट के हर बूथ पर कमेटी तैयार हो जाएगी जो इंजीनियर अनीस अहमद के लिए नहीं पार्टी की जीत के लिए काम करेगी।
बहरहाल, जिस तत्परता से उक्त दोनों दावेदार समाजवादी पार्टी को मजबूती देने का काम कर रहे हैं उससे यह संभावनाएं और प्रबल होती नजर आ रही हैं कि टिकट चाहे किसी को भी मिले पर भाजपा को इस सीट पर कड़ी टक्कर झेलनी पड़ेगी।