नीरज सिसौदिया, बरेली
समाजवादी पार्टी के युवा नेता और कैंट विधानसभा सीट से टिकट के प्रबल दावेदार अनुराग सिंह नीटू घर-घर जाकर लोगों के दिलों में जगह बना रहे हैं। जिस तरह से कभी राजधानी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को ऑटो रिक्शा चालकों सहित गरीब तबके का भरपूर प्यार मिला था उसी तरह नीटू भी गरीबों के दिलों में जगह बनाते जा रहे हैं। नीटू के प्रति गरीब और वंचित तबके की दीवानगी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि शहर के लगभग 60-70 फीसदी ऑटो वाले अपने ऑटो पर नीटू के प्रचार का पोस्टर लगाकर चल रहे हैं। वहीं रिक्शा चालक और ठेले वाले अपने रिक्शों और ठेलों पर नीटू के प्रचार के स्टीकर लगाकर चल रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि नीटू अन्य दावेदारों के मुकाबले इस गरीब तबके के बीच काफी लोकप्रिय हो चुके हैं। ये वही तबका है जिसने दिल्ली की सियासत से कांग्रेस का नामोनिशान तक मिटा दिया है। ये वही तबका है जिसने देशभर में राज करने वाली भारतीय जनता पार्टी को दिल्ली के सिंहासन की सीढ़ियां नहीं चढ़ने दीं। अब बरेली कैंट विधानसभा सीट पर जिस तरह से नीटू के प्रति ये तबका समर्पित नजर आ रहा है वह समर्पण बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है।
इसके पीछे एक बड़ी वजह है। नीटू उन नेताओं में से बिल्कुल नहीं है जो होटल के एसी कमरों में बैठकर राजनीतिक रोटियां सेंकते हैं। नीटू उन नेताओं में से है जो ठेले वाले के लिए बड़े-बड़े लोगों से भिड़ने में भी गुरेज नहीं करते। इस गरीब तबके के बीच नीटू की छवि एक ऐसे दोस्त की है जिससे वे बिना किसी संकोच के बेझिझक अपनी हर बात रख सकते हैं। यही वजह है कि जिस दिन से नीटू ने सपा का दामन थामा है उसी दिन से ये लोग नीटू को विधायक बनाने की जुगत में लग गए हैं।
एक ऑटो चालक से जब इंडिया टाइम 24 की टीम ने ऑटो पर नीटू का पोस्टर लगाने की वजह पूछी तो उसका जवाब बड़ा ही हैरान करने वाला मगर उसकी भावनाओं की गहराइयों को प्रदर्शित करने वाला था। उसने कहा, “साहब! अखिलेश यादव इस बार सर्वे करा रहे हैं, उसके बाद ही टिकट देंगे। अगर हम लोग प्रचार नहीं करेंगे तो फिर नीटू भैया सर्वे में पिछड़ जाएंगे। अगर नीटू भैया सर्वे में पिछड़ जाएंगे। और वो सर्वे में पिछड़ गए तो उनको टिकट कैसे मिलेगा? और अगर उनको टिकट नहीं मिलेगा तो विधायक नहीं न बन पाएंगे, कोई आ जाएगा उद्योगपति टाइप का नेता फिर हमारी कौन सुनेगा?”
बहरहाल, नीटू को लेकर ऑटो से लेकर सब्जी वाले तक की इसी तरह की भावनाएं हैं। अब नीटू सर्वे में वाकई पिछड़ जाते हैं या इन ऑटो रिक्शा और ठेले वालों की मेहनत उन्हें सर्वे में पहले पायदान पर पहुंचाती है इसका फैसला तो आने वाला वक्त ही करेगा लेकिन जिस तरह से गरीब तबका नीटू के लिए प्रचार प्रसार में जुट गया है उससे नीटू की दावेदारी और भी मजबूत होती नजर आ रही है। अगर वाकई सर्वे के आधार पर टिकट वितरित किए गए तो नीटू की दावेदारी पर पार्टी हाईकमान को गंभीरता से विचार जरूर करना होगा।