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आजम मीर खां बन सकते हैं हाजी रियाज अहमद का विकल्प, जानिये क्या है वजह?

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नीरज सिसौदिया, पीलीभीत
समाजवादी पार्टी के संस्‍थापक मुलायम सिंह यादव के जन्‍मदिन का समाजवादियों को शायद ही कभी इतना बेसब्री से इंतजार र‍हा होगा जितना कि इस बार है। खास तौर पर पीलीभीत के समाजवादियों के साथ ही जनता को भी इस बार नेताजी के जन्‍मदिन का बेसब्री से इंतजार है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इस बार समाजवादियों के चहेते नेता और पूर्व विधायक हाजी रियाज अहमद अब इस दुनिया से रुखसत हो चुके हैं और उनका परिवार विरासत की लड़ाई में उलझकर रह गया है। ऐसे में इतना तो तय माना जा रहा है कि हाजी रियाज अहमद की सियासत की विरासत अब उनके परिवार से बाहर के ही किसी व्‍यक्ति को दी जाएगी। ऐसे में हाजी रियाज का विकल्‍प कौन होगा, यह जानने के लिए जब इंडिया टाइम 24 की टीम पीलीभीत पहुंची तो पहले पायदान पर सपा नेता आजम मीर खां खड़े नजर आए।
लोगों का कहा था कि आजम मीर खां लगभग 35 वर्षों से जनता की सेवा करते आ रहे हैं। इन 35 वर्षों में सैकड़ों मेडिकल कैंप लगाने के साथ ही पीलीभीत के जरूरतमंद बच्‍चों की शिक्षा में भी आजम मीर खां ने अहम योगदान दिया है। उन्‍होंने जाति-धर्म देखकर कभी भी लोगों का इलाज नहीं किया। ज्‍यादातर गरीब और पिछड़े इलाकों के लोगों का सामाजिक स्‍तर सुधारने के लिए वह प्रयासरत रहे। यहां लगभग 25 फीसदी मुस्‍लिम वोटर है। इनमें से ज्‍यादातर गरीब तबके से ही ताल्‍लुक रखता है। हाल ही में जब उत्‍तराखंड की नदियों का जलस्‍तर बढ़ा तो पीलीभीत के भी कई इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए थे। उस वक्‍त एकमात्र आजम मीर खां ही थे जो उन बाढ़ प्रभावित इलाकों में सबसे पहले पहुंचे और लोगों को भोजन बांटा। कोरोना काल में इस तबके की मदद को जिस तरह से आजम मीर खां ने दिन-रात एक कर दिया वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है। आजम मीर खां उन इलाकों में भी मसीहा बनकर सामने आए जिन इलाकों में विपक्ष तो दूर सत्‍ता पक्ष का भी कोई व्‍यक्ति नहीं पहुंच सका। यही वजह है कि चुनावी दौर में आजम मीर खां लोगों की पहली पसंद बन गए हैं।
अन्‍य दावेदारों को सियासी मेढक की संज्ञा देते हुए नाम न छापने की शर्त पर स्‍थानीय लोग कहते हैं, ‘ये सब नेता उसी तरह फोटो और पोस्‍टर लगवा रहे हैं जैसे मेढक बरसात में अपने बिल से बाहर निकल आते हैं। चुनाव के बाद ऐसे नेता झांकने तक नहीं आते। आजम मीर खां तो 35 साल से लोगों के बीच ही रहते हैं। वर्ष 2012 में उन्‍होंने पीस पार्टी से चुनाव भी लड़ा था। चुनाव हारने के बाद भी उनके रवैये में कोई बदलाव नहीं आया। वह जैसे पहले काम करते थे वैसे ही चुनाव हारने के बाद भी काम करते रहे। अब ऐसे आदमी को वोट नहीं देंगे तो किसे देंगे।‘
बहरहाल, जनता के बीच आजम मीर खां पहली पसंद बने हुए हैं। अब पार्टी उन्‍हें मौका देती है या किसी और को, यह देखना दिलचस्‍प होगा।

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