नीरज सिसौदिया, बरेली
प्रधानमंत्री ने देश के नाम संबोधन में तीनों काले कृषि कानून आने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में खत्म करने की बात की लेकिन कहीं भी अपने वक्तव्य में उन्होंने एमएसपी की गारंटी की बात नहीं की। न ही पिछले 1 साल से लगातार आंदोलन में शहीद हुए किसानों को मुआवजा देने की बात की। दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री के पुत्र व उसके साथियों ने लखीमपुर में जो किसानों को कुचला था उन पर भी कोई कार्रवाई की बात नहीं की। लग रहा है कि प्रधानमंत्री ने चुनाव में हार के डर की वजह से ये घोषणाएं की हैं। भाजपा की उपचुनाव में हार व भाजपा का ग्राफ गिरने की वजह से ये किया गया है।
इसी क्रम में पिछले दिनों डीज़ल व पेट्रोल के दाम घटाने से इसकी शुरुआत की गई थी। इस दौरान सपा नेता व संभावित प्रत्याशी नसीम अहमद ने मांग करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री किसानों को एमएसपी की लिखित में गारंटी दें और जो किसान इस आंदोलन के दौरान शहीद हुए हैं उनको शहीद का दर्जा देते हुए प्रत्येक परिवार में से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए। साथ ही जो आम जनता महंगाई की मार झेल रही है जिनमें खाद्य तेल व रसोई गैस के दाम जो आसमान छू रहे हैं उन्हें तत्काल आधा किया जाए।
अगर सरकार ने उक्त मांगें नहीं मानीं तो पहले के आंदोलन व धरने की तरह बहेड़ी में विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। इस मौके पर सपा नेता नसीम अहमद के साथ प्रधान आमखेड़ा सरदार जसविंदर बराड़, प्रधान नदेली ज़ीशान खां, किसान नेता चौधरी रवि गिल,चौधरी नितेन्द्र सिंह,सरदार पाला सिंह, प्रधान मनकरा सरदार जसपाल सिंह, प्रधान अकरबाबद इंद्रपाल सागर,भूपेंद्र गंगवार,प्रधान जाम अन्तरामपुर राजेन्द्र गंगवार,प्रधान महोलिया मुजीब मलिक आदि लोगों ने उक्त मांगों का समर्थन किया।