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सपा के दावेदारों के होश उड़े, महेश पांडेय खुलकर मैदान में आए, अभी तक अंदरखाने सेट कर रहे थे गोटियां, पढ़ें कैसे बिछाई बिसात?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
पुरानी कहावत है – नया नौ दिन और पुराना सौ दिन। समाजवादी पार्टी के दिग्गजों में शुमार जिला सहकारी संघ के पूर्व चेयरमैन और पूर्व सपा जिला महासचिव महेश पांडेय पर यह कहावत पूरी तरह फिट बैठती है। चुनावी शोर से दूर अंदरखाने सियासी बिसात बिछाने के बाद महेश पांडेय अब खुलकर चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं। पार्टी हाई कमान से निर्देश मिलने के बाद विगत पांच जनवरी को उन्होंने शहर विधानसभा सीट से टिकट के लिए आवेदन कर दिया है। इसका खुलासा उन्होंने इंडिया टाइम 24 के साथ खास बातचीत में किया। साथ ही वर्तमान भाजपा सरकार पर जमकर निशाना भी साधा।

मुलायम सिंह यादव के साथ युवावस्था में भी महेश पांडेय जुड़े रहे। यह तस्वीर उन्हीं दिनों की है जब महेश पांडेय युवा थे और समाजवादी पार्टी का गठन भी नहीं हुआ था।

बता दें कि शहर विधानसभा सीट से अब तक टिकट के कई दावेदार मैदान में थे लेकिन कोई चेहरा इतना प्रभावी और दमदार नजर नहीं आ रहा था जितना बड़ा सियासी कद महेश पांडेय का है। समाजवादी पार्टी को शहर विधानसभा सीट पर वाकई ऐसे कद्दावर चेहरे की जरूरत थी जिसके पास राजनीतिक अनुभव भी हो और जो पार्टी के लिए जेल जाने से भी न घबराता हो। महेश पांडेय का नाम वैसे तो पहले से ही चर्चा में था लेकिन उन्होंने टिकट के लिए आवेदन नहीं किया था। जब भी मीडिया उनसे आवेदन के बारे में पूछता था तो उनका एक ही जवाब होता था कि जब पार्टी का निर्देश होगा तभी वह आवेदन करेंगे। इसीलिये माना जा रहा था कि महेश पांडेय टिकट की दौड़ में शामिल नहीं हैं। लेकिन 45 साल की राजनीतिक सूझबूझ का परिचय देते हुए महेश पांडेय अंदरखाने तैयारी करने में जुटे रहे। उन्होंने न तो बैनर लगाए न ही पोस्टर लगाए लेकिन जमीनी स्तर पर अपनी जमीन तैयार करने में जुटे रहे। कभी मुलायम सिंह यादव के सबसे करीब रहने वाले महेश पांडेय ने नेताजी के बाद अखिलेश यादव को चुना। उनकी वफादारी को देखते हुए ही हाईकमान ने उन्हें आवेदन का निर्देश दिया और महेश पांडेय भी औपचारिक रूप से इस चुनावी महासमर का हिस्सा बन गए।

एमएलसी जगजीवन प्रसाद साहू के लखनऊ स्थित आवास पर उनके साथ विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा करते महेश पांडेय.

महेश पांडेय ने अपने 45 वर्षों के राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। कई बार जेल भरो आंदोलन का नेतृत्व किया। जाने कितने आंदोलन उनके नेतृत्व में चले। राजनीतिक द्वेष की भावना से उन्हें जेल तक भेज दिया गया लेकिन महेश पांडेय हमेशा पार्टी के सच्चे सिपाही के तौर पर मुलायम सिंह यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। यही वजह थी कि उन्हें मुलायम सिंह ने हमेशा पूरा सम्मान दिया और बरेली से संबंधित किसी भी राजनीतिक फैसले में नेताजी महेश पांडेय का सुझाव लेना नहीं भूलते थे। महेश पांडेय की चुनावी समर में एंट्री के बाद माना जा रहा है कि शहर विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा की मुश्किलें बढ़ेंगी। महेश पांडेय खुद ब्राह्मण हैं और उनके साथ सिर्फ दलित और पिछड़ा समाज ही नहीं बल्कि कायस्थ और वैश्य सहित हर वर्ग जुड़ा है। यहां तक कि खत्री पंजाबी समाज का एक बड़ा तबका भी महेश पांडेय का समर्थक रहा है। उनके आवेदन के बाद इन लोगों में भी उत्साह देखने को मिल रहा है। अगर समाजवादी पार्टी शहर विधानसभा सीट से हिन्दू चेहरा मैदान में उतारती है तो महेश पांडेय से बेहतर चेहरा फिलहाल सपा में कोई दूसरा नजर नहीं आता।

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