हालात खराब हों तो भी
समझदारी दिखलाइये।
रास्ते में हों पत्थर तो आप
जोर से हटाइये।।
हार हो सामने तो भी हार
को मानना नहीं।
कोशिश करके राख में से
चिंगारी ढूंढ लाइये।।
डूबते को तिनका किनारा
बन जाता है।
तेरी सोच से तू खुद अपना
सहारा बन जाता है।।
कपड़ों में नहीं किरदार से
महक आनी चाहिये।
मत हारो मन तो टूट कर भी
दुबारा बन जाता है।।
कभी नीम तो नमक कभी है
शहद सी जिन्दगी।
हर हाल में चलना कि
रहट सी जिन्दगी।।
सीने में आग मन मस्तिष्क
में हो वास शांति का ।।
बस जीत के लिए चाहिये
चहक सी जिन्दगी।।
हर अनुभव से सीखें तो जीत
है यह जिन्दगी।
हर काम में लें आनन्द गीत
सी है ये जिन्दगी।।
हर त्रुटि भी हमारी शिक्षक
है सबसे बड़ी।
मत बोझ समझो कि मीत
है यह जिन्दगी।।
रचयिता – एसके कपूर “श्री हंस”बरेली