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भाजपा में महाराज सिंह और सतीश कातिब मम्मा पर आई एमएलसी की लड़ाई, अनुपम कपूर के नाम की भी चर्चाएं तेज

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नीरज सिसौदिया, बरेली
विधानसभा चुनाव के लिए बरेली में मतदान के बाद अब उत्तर प्रदेश विधान परिषद के बरेली-रामपुर स्थानीय निकाय क्षेत्र के लिए राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं। भाजपा और सपा दोनों ही दलों में टिकट के दावेदारों की लंबी कतार है लेकिन भाजपा में दो मुख्य चेहरों के बीच असली लड़ाई बताई जा रही है। इसकी कई वजहें भी हैं। हालांकि, इस सियासी लड़ाई के बीच एक नए चेहरे की एंट्री ने मुकाबले को बेहद दिलचस्प बना दिया है। एमएलसी के टिकट के भाजपाई दावेदारों में सबसे पहला नाम कुंवर महाराज सिंह का बताया जा रहा है। ज्यादातर भाजपा नेता यह स्वीकार कर रहे हैं कि इस बार भाजपा से एमएलसी उम्मीदवार महाराज सिंह ही होंगे। इसकी एक वजह यह भी है कि वह लंबे समय से संगठन के प्रति समर्पित होने के साथ ही क्षत्रिय भी हैं और भाजपा इस बार क्षत्रिय पर दांव खेलने की तैयारी में है। दूसरा चेहरा सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा का इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि मम्मा पिछले लंबे समय से न सिर्फ इसकी तैयारी में जुटे हैं बल्कि पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं में से एक हैं। तीसरे नए चेहरे के रूप में खत्री पंजाबी समाज से जुड़े और खत्री महासभा के अध्यक्ष अनुपम कपूर का नाम सामने आ रहा है। अनुपम कपूर के नाम की चर्चाएं जोरों पर हैं। अनुपम कपूर की ओर से फिलहाल अंदरखाने ही तैयारियां चल रही हैं। इसके अलावा पूर्व में चुनाव लड़ चुके पीपी सिंह और हर्षवर्धन आर्य भी कतार में शामिल हैं। हालांकि हर्षवर्धन आर्य विधानसभा चुनावों में व्यस्त होने के कारण इस दिशा में बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं हो सके हैं। लेकिन चुनाव से पूर्व वह भी पूरी तरह सक्रिय रहे। पीपी सिंह के बारे में भाजपा नेताओं का कहना है कि पिछली बार चुनाव हारने के बाद से पीपी सिंह पूरी तरह राजनीतिक रूप से निष्क्रिय हो गए थे। इसलिये पार्टी अब उनके नाम पर गंभीर नहीं है। वहीं, एक अन्य नाम मीरगंज से विधानसभा चुनाव में टिकट मांग रहे पूरनलाल लोधी का है लेकिन पूरनलाल लोधी ने जिस तरह से टिकट न मिलने पर बगावती तेवर इख्तियार कर लिए थे उससे संगठन और हाई कमान में नाराजगी है इसलिए पार्टी उन्हें भी दरकिनार कर सकती है। यही वजह है कि अब तीन प्रमुख दावेदार महाराज सिंह, सतीश चंद्र सक्सेना कातिब उर्फ मम्मा एवं अनुपम कपूर मैदान में नजर आ रहे हैं। इनमें भी मुख्य लड़ाई महाराज सिंह और मम्मा में ही है। हालांकि, असल तस्वीर दस मार्च को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ही साफ होगी।

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