झारखण्ड

यकीन नहीं होता जिंदा लौट आई’ एक वक्त खाना खाकर किया गुजारा, यूक्रेन से बोकारो थर्मल लौटी छात्रा साक्षी ने बयां किया दर्द

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बोकारो थर्मल। रामचंद्र कुमार अंजाना

यूक्रेन में फैले खौफ दहशत और वहां हो रही बमबारी के भयानक मंजर से निकलकर बेरमो के बोकारो थर्मल पहुंची मेडिकल एमबीबीएस की छात्रा साक्षी सिंह अब अपनों के बीच पहुंच चुकी है। यूक्रेन से निकलकर अपनों के बीच पहुंची साक्षी सिंह ने वहां के हालातों और भयावह मंजर को लेकर अपना दर्द साझा करते हुए।
कही कि यूक्रेन में मौत के मुंह से निकल कर वह वतन लौटी है। चारों तरफ बम के धमाके हो रहे थे। हालात बद से बदतर होते चले जा रहे हैं। ऐसे में एक वक्त की रोटी खाकर वहां समय काटा गया। उसको यकीन नहीं होता है कि वो यूक्रेन से जिंदा अपने वतन वापस लौट आई है। अपनों से दूर जिंदगी को कामयाब बनाने के लिए एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए भारतीय छात्र और छात्राएं यूक्रेन गए थे, लेकिन यूक्रेन में युद्ध और धमाकों के बीच वहां फंसे भारतीय छात्र छात्राओं का एक-एक पल दहशत में कट रहा है, क्योंकि यूक्रेन में इमरजेंसी की घोषणा के बाद से ही वहां के हालात लगातार बिगड रहे हैं। जिंदा घर वापस आ गई उसे यकीन नहीं हो रहा’। हम लोग भले ही पश्चिमी यूक्रेन के उजहोरोड शहर में थे, लेकिन वहां भी डर कम नहीं था, क्योंकि यूक्रेन में हर तरफ भगदड़ का माहौल है। जो मंजर यूक्रेन में रहकर उसने अपनी आंखों से देखा वह डरावना था। वो यूक्रेन से अपने घर जिंदा लौट आई हूं, इसका उसे यकीन ही नहीं हो रहा है। वो यूक्रेन से वापस लौट आई है इसके लिए भारत सरकार का बहुत-बहुत धन्यवाद देती है।
एटीएम से कैश निकालना भी हो गया था मुश्किलः
यूक्रेन में 24 फरवरी को इमरजेंसी की घोषणा हो गयी थी। इमरजेंसी की घोषणा के बाद उनकी यूनिवर्सिटी टीम ने छात्रों को अपने खाने पीने का प्रबंध करने की चेतावनी दे दी थी। यूनिवर्सिटी टीम की तरफ से खाने पीने की चेतावनी मिलने के बाद हर कोई घबरा गया था। जिसके चलते इतने कम समय में खाने पीने की व्यवस्था भी ढंग से नहीं हो सकी थी। इसके साथ ही साइबर अटैक भी हो गया था। जिसके बाद एटीएम से कैश निकालना मुश्किल हो गया। जैसे तैसे करके पैसा निकाल सके हैं। फिर कीव तक रूसी सेना पहुंच गई थी। रूसी सेना द्वारा मिसाइलों से किए जा रहे हमले के वीडियो देखकर लग रहा था मानो अब कभी जिंदा अपने घर नहीं लौट पाऊंगी। मोबाइल काम नहीं कर रहा था, बहुत मुश्किल से घरवालों से संपर्क हो पा रहीं थी।

तिरंगे का सम्मान होता देख मन काफी खुश हुआः साक्षी सिंह ने बतायी कि उजहोरोड शहर से हंगरी बार्डर केवल पांच किलोमीटर था। उसके बाद भारतीय छात्र छात्राओं को दूतावास से जो निर्देश मिले उसके साथ ही रविवार को सुबह सात बजे वहां पर जगह खाली करते हुए छात्र हंगरी बार्डर के लिए निकल पड़े। इसके बाद वीजा पासपोर्ट और संबंधिति कागजी कार्यवाही में वहां पर छह-सात घंटे लगे। उसके बाद शाम को 7 बजे भारतीय छात्र हंगरी बार्डर पहुंचे। हंगरी बार्डर पहुंचने के बाद वहां से बस में बैठकर एयरपोर्ट पहुंचे। इस दौरान हमारी बस पर तिरंगा झंडा लगा था। बस में लगे भारतीय झंडे का सम्मान काफी देखने को मिला। इसके बाद वहां के अधिकारियों ने खाना पीना भी दिया। इस दौरान साथ में मौजूद सभी भारतीय छात्र छात्राएं की आंखें भारतीय फ्लाइट को देखने को तरस रही थीं। कुछ घंटे बाद हमारी फ्लाइट पहुंच गयी। फिर एयरपोर्ट पर फ्लाइट पहुंचते हैं कुछ मिनटों में फ्लाइट में बैठ गए और एयरपोर्ट से फ्लाइट ने उड़ान भरी तो सबकी जान में जान आयी। जिसके कुछ घंटों के बाद यूक्रेन की जमीन से अपने पैर उठाने के बाद कुछ घंटों बाद फ्लाइट जैसे ही दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंड हुई और अपने वतन की जमीन पर पैर रखा तब उसको एहसास हुआ कि अब घर दूर नहीं है। साक्षी ने कहा जब वो एयरपोर्ट से बाहर निकली तो उसने देखा कि चाची मन्नु सिंह और चाचा शशिमोहन सिंह एयरपोर्ट के बाहर खड़े थे। परिवार को देख साक्षी खुद को रोक नहीं पाई और उनसे लिपटकर भावुक हो गयी।
साक्षी दो बहन और एक भाईः साक्षी सिंह बहन में सबसे बड़ी है, दूसरे में भाई शुभम सिंह, बहन तवीसी सिंह, चाचा रिंकु सिंह, चाचाजी इंदू सिंह और दादी रामवती देवी के चेहरे में खुशी साफ झलक रहीं थी। इधर, जिला प्रशासन ने खुशी से फोन पर बातकर हालचाल ली।
झारखंड सरकार सिर्फ हेल्पलाइन नंबर जारी कियाः साक्षी सिंह ने कहा कि झारखंड सरकार सिर्फ हेल्पलाइन नंबर जारी कर रखी है। दूसरे स्टेट के मंत्री एयरपोर्ट में यूक्रेन से पहुंचे छात्रों को हौसला अफजाई के पहुंच रहें थे, लेकिन झारखंड से ऐसा कुछ नहीं था। अब घर पहुंकर साक्षी बहुत खुश है। सितंबर 2021 में यूक्रेन गयी थी।

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