पंजाब

पंजाब के इस 17 सौ वर्ष पुराने धाम में पूजे जाते हैं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, जानिये क्यों?

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पठानकोट से लौटकर नीरज सिसौदिया की रिपोर्ट
पंजाब को पीरों और फकीरों की धरती कहा जाता है। यहां सिखों के गुरुओं के विभिन्न धार्मिक स्थल जहां विश्वभर के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं वहीं, कई ऐसे हिन्दू धार्मिक स्थल, शक्तिपीठ एवं सिद्धपीठ भी हैं जो सदियों से लोगों की आस्था के केंद्र बने हुए हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही सिद्धपीठ के बारे में बताने जा रहे हैं। पंजाब के पठानकोट जिले में स्थित आस्था का यह दरबार पठानकोट-गुरदासपुर हाईवे के पास स्थित है। पठानकोट से लगभग 13 किमी गुरदासपुर की ओर हाईवे पर जाने के बाद इस सिद्धपीठ के लिए रास्ता कट जाता है। हाईवे से लगभग तीन किमी की दूरी पर स्थित गांव चटपट बनी में स्थित इस सिद्धपीठ को नाथ संप्रदाय के सिद्ध योगी महंत चर्पट नाथ के नाम से जाना जाता है। उन्हीं के नाम पर इस सिद्धपीठ का नाम तपो भूमि सिद्ध योगी चर्पट नाथ, चटपट बनी सिद्ध शक्ति पीठ रखा गया है।
लगभग 40 एकड़ के दायरे में फैले इस सिद्ध पीठ की स्थापना लगभग 17 सौ वर्ष पूर्व महंत योगी चर्पट नाथ जी महाराज ने की थी। उस वक्त यह पूरा क्षेत्र वनाच्छादित था और वर्तमान में भी इस सिद्धपीठ का अधिकांश क्षेत्र वनों के वास्तविक स्वरूप को सहेजे हुए है। पक्षियों का कलरव, आम, शहतूत और बांस जैसे उपयोगी वृक्षों के साथ ही छोटे-छोटे जलाशय इसकी शोभा में चार-चांद लगाते हैं।


वर्तमान में महंत योगी शंकर नाथ जी महाराज यहां पर गद्दीनशीन हैं। यहां रोजाना भक्तों का तांता लगा रहता है। दूरदराज से भी लोग यहां मन्नतें लेकर आते हैं। यहां साल भर लंगर चलता रहता है।
नाथ संप्रदाय से जुड़े इस धाम में संप्रदाय से जुड़े विभिन्न सिद्धों को भरपूर सम्मान दिया गया है। इन्हीं में से एक हैं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिनकी तस्वीर यहां के गद्दीनशीन महंत योगी शंकर नाथ जी महाराज की गद्दी के ठीक ऊपर लगी हुई है। यहां आने वाला हर भक्त उसके आगे नतमस्तक होता है और अपनी आस्था व्यक्त करता है। योगी आदित्यनाथ की तस्वीर यहां इसलिए बिल्कुल भी नहीं लगाई गई है कि वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं बल्कि इसलिए लगाई गई है क्योंकि वह एक सिद्ध योगी हैं और गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर भी हैं। साथ ही वह नाथ संप्रदाय एवं विश्व हिन्दू महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। योगी आदित्यनाथ की जो तस्वीर यहां लगाई गई है उसमें कहीं भी यह जिक्र नहीं है कि वह किसी राज्य के मुख्यमंत्री हैं। यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी साधना का ही परिणाम है कि वह आज 17 सौ वर्ष प्राचीन सिद्धपीठ में पूजे जाते हैं।


वर्तमान गद्दीनशीन महंत योगी शंकरनाथ जी महाराज यहां समाजसेवा के कार्यों में भी तत्पर रहते हैं। जनसेवा के लिए वह सदैव समर्पित रहते हैं। जल्द ही यहां पर जालंधर के सुप्रसिद्ध योग गुरु पंडित दीपक शर्मा की ओर से एक योग शिविर का भी आयोजन किया जा रहा है।यह आयोजन भी सिद्धपीठ के सहयोग से ही किया जा रहा है। इस सिलसिले में दीपक शर्मा ने महंत योगी शंकर नाथ जी महाराज से मुलाकात की जिसमें शंकर नाथ जी महाराज ने पूर्ण सहयोग का भरोसा भी दिलाया।

बहरहाल, नाथ संप्रदाय के इस सिद्धपीठ की गौरवगाथा को चंद शब्दों में समेटना मुमकिन नहीं है। आस्था के इस दरबार में एक बार जिसके कदम पड़ गए वह बस यहीं का होकर रह जाता है।

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