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सरकारी तालाबों पर इंटरनेशनल सिटी बसाने का मामला : प्रशासनिक अधिकारियों की चूलें हिलीं, आधी सुनवाई छोड़कर भागीं एसी, पढ़ें पूरा मामला…

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नीरज सिसौदिया, बरेली
लगभग आठ हजार करोड़ रुपये की सरकारी जमीन पर बने तालाबों को पाटकर इंटरनेशनल सिटी बसाने का मामला गर्माता जा रहा है। मामले में एसडीएम से लेकर राजस्व परिषद के सदस्य तक जांच एवं कार्रवाई के घेरे में आ रहे हैं। वहीं, एडिशनल कमिश्नर बीच में ही सुनवाई छोड़कर चलती बनीं। उधर, जिलाधिकारी ने भी मामले पर निर्णय सुनाने की जगह 29 अगस्त की तारीख दे दी है। बता दें कि लगभग आठ हजार करोड़ रुपये की सरकारी जमीन पर बने तालाबों को पाटकर इंटरनेशनल सिटी बसाने के इस मामले की लड़ाई जिला सहकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष महेश पांडेय लगातार लड़ते आ रहे हैं। महेश पांडेय ने कहा कि इस मामले पर रिश्वतखोर अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। एडिशनल कमिश्नर सिल्वा कुमारी हाल ही में इसकी सुनवाई कर रही थीं लेकिन वह बीच में ही सुनवाई छोड़कर चली गईं। वहीं डीएम भी मामले में कार्रवाई करने से किनारा करते नजर आ रहे हैं। उन्होंने पिछली सुनवाई में फैसला सुनाने की जगह 29 अगस्त की तारीख मुक़र्रर कर दी है। उन्होंने कहा कि जिला शासकीय अधिवक्ता ने इंटरनेशनल सिटी के बिल्डरों और भूमाफिया को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से मामले में घालमेल किया था। उन्होंने कहा कि अब मामला हाईकोर्ट में है। पिछली सुनवाई में अपर महाधिवक्ता अनिल गोयल ने माननीय उच्च न्यायालय से समय मांगा था इसलिए हाई कोर्ट ने उन्हें तीस अगस्त तक का समय दे दिया था लेकिन इस बार उन्हें पूरी उम्मीद है कि हाईकोर्ट से अब आरोपियों को बिल्कुल समय नहीं दिया जाएगा।
महेश पांडेय ने प्रशासनिक अधिकारियों पर बिल्डरों और भूमाफिया से मिलीभगत का आरोप लगाया है। उन्हें कहा कि सभी अधिकारी सरकारी जमीन से अवैध कब्जा नहीं हटवाना चाहते इसलिए मामले को लटकाते जा रहे हैं लेकिन लखनऊ स्तर पर मामले की जांच होने के साथ ही माननीय उच्च न्यायालय भी इस दिशा में सही फैसला सुनाएगा, इसकी उन्हें पूरी उम्मीद है।
बहरहाल, माननीय हाईकोर्ट में सुनवाई की अगली तारीख तीस अगस्त निर्धारित की गई है।

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