नीरज सिसौदिया, बरेली
रूहेलखंड के चिकित्सा जगत के लिए डॉ. अनुपम शर्मा का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है लेकिन विरले ही जानते हैं कि लोगों को जिंदगी देने वाला यह शख्स जिंदगी के हसीन लम्हों को यादों में सहेजने का हुनर भी बाखूबी जानता है। लोगों की जिंदगी बचाना उनका प्रोफेशन है और जिंदगी के अनमोल लम्हों को सहेजना उनका शौक। डॉ. अनुपम शर्मा जितने अच्छे डॉक्टर हैं उससे कहीं बेहतर एक छायाकार भी हैं। उनकी तस्वीरें वह सबकुछ बयां करती हैं जिन्हें शब्दों में बयां करना शायद ही मुमकिन हो। यही वजह है कि डॉ. अनुपम शर्मा की तस्वीरें देशभर के विभिन्न राज्यों में न सिर्फ प्रदर्शित हुई हैं बल्कि वह पुरस्कारों की हाफ सेंचुरी भी मार चुके हैं। हाल ही उनकी तस्वीरें युगवीणा में आयोजित एक प्रदर्शनी में प्रदर्शित हुईं। जिन्हें काफी सराहा गया।
एक राजनीतिक घराने में पले-बढ़े डॉ. अनुपम शर्मा एक राजनेता बनने की जगह एक बेहतरीन फोटोग्राफर कैसे बन गए, पूछने पर वह कहते हैं, ‘फोटोग्राफी का शौक मुझे बचपन से था। बचपन से ही मुझे कुदरत की खूबसूरती को तस्वीरों में कैद करना बहुत अच्छा लगता था। स्कूल के दिनों से ही मैं पढ़ाई के साथ ही फोटोग्राफी भी करने लगा।’
डॉ. अनुपम शर्मा उस दौर से फोटोग्राफी कर रहे हैं जिस दौर में तस्वीरों में रंग नहीं होते थे। अनुपम बताते हैं, ‘उस दौर में सिर्फ ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरें हुआ करती थीं। तब भारत में सिर्फ वही कैमरे उपलब्ध थे जिनमें ब्लैक एंड व्हाइट रील पड़ती थी लेकिन यादों के सिर्फ दो ही रंग होते हैं, एक अच्छा और दूसरा बुरा। कुछ ऐसी ही सोच के साथ डॉ अनुपम शर्मा ने उस दौर की यादों को श्वेत-श्याम रंगों में सहेजा।
वक्त बदला और तकनीक भी बदली तो डॉ. अनुपम शर्मा ने अपना कैमरा भी बदल लिया। अब तस्वीरों में रंग भरने लगे थे। नेचर, वाइल्ड लाइफ और ट्रैवल फोटोग्राफी के शौकीन डॉ. अनुपम शर्मा जहां भी जाते उनका कैमरा भी साथ जाता था। पहले उत्तराखंड की हसीन वादियां, फिर राजधानी दिल्ली की गलियां और फिर विदेश यात्रा।अनुपम शर्मा जहां भी जाते वहां की यादें उनके कैमरे के साथ बरेली आती थीं।

स्कूल टाइम में उन्होंने दुनिया के जाने-माने फोटोग्राफर ओपी शर्मा से फोटोग्राफी की बारीकियां सीखीं तो उनके इस शौक को एक मकसद मिल गया। ये बारीकियां अब उनकी तस्वीरों में चार चांद लगा रही थीं। लद्दाख के पहाड़ हों या कोच्चि का समंदर, उनकी तस्वीरें बरेली में ही उनकी ऊंचाईयों और गहराइयों का अहसास करा देती थीं।
इसके बाद फोटोग्राफी की दुनिया डिजिटल हो गई तो डॉक्टर साहब भी डिजिटल हो गए। फोटोग्राफी से उनके जुड़ाव का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि वक्त के साथ इस क्षेत्र में आए बदलावों को आत्मसात करते गए। यही वजह है कि आज उनकी तस्वीरें बड़े-बड़े प्रोफेशनल्स की तस्वीरों को मात दे रही हैं। एक डॉक्टर के तौर पर अपनी जिम्मेदारियों को बाखूबी निभाते हुए उन्होंने जिस खूबसूरती के साथ अपने शौक को जवां रखा है वह वाकई काबिले तारीफ है। डॉ. अनुपम शर्मा उन लोगों के लिए एक मिसाल हैं जो फोटोग्राफी की दुनिया में अपना अलग मुकाम हासिल करना चाहते हैं। अनुपम शर्मा की उपलब्धियां यह अहसास कराती हैं कि जिम्मेदारियों के बोझ के बीच भी अपने शौक को जिंदा रखना नामुमकिन नहीं है। जिंदगी को अपने मुताबिक जीने और जिम्मेदारियों के बीच फुरसत के चंद लम्हों को यादों में सहेजना सीखना है तो अनुपम शर्मा जैसी शख्सियत से सीखा जा सकता है।