दिल्ली

दादा थे मुख्यमंत्री, पिता आईएएस अफसर, बेटे ने चुनी गौसेवा, पढ़ें विहिप गौ सेवा निधि के उत्तर भारत प्रमुख कृष्णानंद शास्त्री का स्पेशल इंटरव्यू, पार्ट-1

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गौ सेवा और गौ रक्षा से जुड़े लोगों के लिए पंडित कृष्णानंद शास्त्री का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उनके पिता डॉ. विद्या सागर मिश्र एक आईएएस अधिकारी थे और दादा स्व. द्वारका प्रसाद मिश्र मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री थे। लेकिन कृष्णानंद शास्त्री ने गौ सेवा को चुना और पिछले कई वर्षों से वह विश्व हिन्दू परिषद की विचारधारा के साथ गौ सेवा के अभियान को नए आयाम देने में जुटे हैं। विहिप से जुड़े संगठन गौ सेवा निधि के उत्तर भारत प्रमुख कृष्णानंद शास्त्री की जिंदगी का सफरनामा कैसा रहा? राजनीति में उन्होंने कब कदम रखा? वह गौ सेवा के क्षेत्र में संगठन क्या काम कर रहा है, भविष्य की योजनाएं क्या हैं और दिल्ली सरकार द्वारा मस्जिदों के इमाम को वेतन भुगतान के कदम को वह किस नजरिये से देखते हैं? ऐसे कई मुद्दों पर कृष्णानंद शास्त्री ने इंडिया टाइम 24 के संपादक नीरज सिसौदिया से खुलकर बात की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…

सवाल : आपका जन्म कहां हुआ और पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या रही?
जवाब : मेरा जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में 15 अगस्त 1969 को हुआ था। मेरे पिता डॉ. विद्यासागर मिश्र एक आईएएस अफसर थे और मेरे दादा जी स्व. द्वारिका प्रसाद मिश्र मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके थे।

सवाल : ग्वालियर से दिल्ली कैसे आना हुआ?
जवाब : मेरे पिता यूपी कैडर के 1972 बैच‌ के आईएएस अफसर थे। उनकी पोस्टिंग विदेश मंत्रालय में थी, इसलिए वह दिल्ली में ही रहते थे। मेरी मां भी यहीं माता सुंदरी कॉलेज में प्रोफेसर थीं। मेरे नाना स्व. पंडित लाल चंद शर्मा दिल्ली के ही गाजीपुर गांव के रहने वाले थे। वह यहीं गोल डाकखाना में हेड पोस्टमास्टर थे। इसलिए दिल्ली से मेरा रिश्ता बहुत पुराना और गहरा है।

सवाल : मौजूदा समय में आपके परिवार में कौन-कौन है?
जवाब : पारिवारिक परिस्थितियों के चलते मुझे वर्ष 2017 में घर वापसी करनी पड़ी। उसी साल मेरी शादी हुई। मेरी पत्नी डॉ. रवीना शास्त्री दिल्ली के ही जीबी पंत अस्पताल में न्यूरो सर्जन हैं। मेरे दो बेटे राघव शास्त्री और कुश शास्त्री हैं।

सवाल : आपकी शुरुआती शिक्षा कहां से हुई और कहां तक पढ़ाई की आपने?
जवाब : पांचवीं तक की पढ़ाई मैंने दिल्ली पब्लिक स्कूल ग्वालियर से की। उसके बाद जब पिताजी की पोस्टिंग दिल्ली हुई तो हम भी दिल्ली आ गए। मैंने दिल्ली में ही मथुरा रोड स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल में एडमिशन लिया और फिर 12 तक की पढ़ाई यहीं से की। इसके बाद बीकॉम और एम कॉम की पढ़ाई मैंने दिल्ली के ही किरोड़ीमल कॉलेज से की। इसके बाद जामिया से वकालत की पढ़ाई की।

सवाल : राजनीति में कब आना हुआ? अब तक का सफर कैसा रहा?
जवाब : दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में मैंने बीकॉम में ‌एडमिशन लिया था। पहले ही साल में मैं अखिल भारतीय विद्यार्थी‌ परिषद से जुड़ गया। इसके बाद वर्ष 1991 में मुझे सचिव बनाया गया, 1993 में महासचिव और फिर वर्ष 1994 में मुझे दिल्ली प्रदेश के संगठन मंत्री के पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। 1995 में मुझे किरोड़ीमल कॉलेज छात्र संघ का अध्यक्ष चुना गया।

सवाल : क्या आपने कभी कोई चुनाव भी लड़ा है?
जवाब : जी हां, वर्ष 1993 में मैंने विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन 14 हजार वोटों से हार गया। उस समय विधानसभा क्षेत्र काफी बड़े हुआ करते थे। तब हमारी विधानसभा सीट पर करीब सात लाख वोटर थे। इसके बाद वर्ष 2009 में मैंने निगम पार्षद का भी चुनाव पड़ा। फिर 2013 में भी पार्षद का चुनाव लड़ा।

सवाल : आगे का सफर कैसा रहा? वर्तमान में कौन सा दायित्व संभाल रहे हैं आप?
जवाब : वर्तमान में मेरे पास गौरक्षा निधि में उत्तर भारत के प्रमुख का दायित्व है। हमारे विश्व हिन्दू परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष आलोक जी ने मुझे यह दायित्व सौंपा है और मैं हमारे संगठन मंत्री खेमचंद शर्मा जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर गौरक्षा के लिए काम कर रहा हूं।

सवाल : आप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े थे? कैसा अनुभव रहा? कौन-कौन से दायित्व मिले?
जवाब : उस दौर में विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारियों को ओटीसी ‌करना पड़ती थी तो मैंने भी की थी। उस वक्त हमारे जो गुरु जी थे भैया जी जोशी, उन्होंने मुझे संघ का प्रचार करने के लिए प्रेरित किया और वर्ष 1995 में मुझे संघ में सहारनपुर जिला प्रचारक का दायित्व सौंपा गया। इसके बाद मैं रुड़की रहा, मुजफ्फरनगर रहा। फिर मुझे क्षेत्रीय प्रचारक का दायित्व सौंपा गया और गुवाहाटी भेज दिया गया। इसके बाद छह महीने जम्मू-कश्मीर भी रहा। फिर कई प्रांतों में दायित्व संभालने के बाद वर्ष 2010 में मुझे विश्व हिन्दू परिषद में भेज दिया गया। यहां मुझे उत्तर गौरक्षा आयम में उत्तर भारत के सचिव पद का दायित्व सौंपा गया। तब से मैं विश्व हिन्दू परिषद में ही हूं।

सवाल : आपने अपने जीवन का एक लंबा समय संघ की सेवा में समर्पित किया है? क्या उपलब्धियां मानते हैं?
जवाब : संगठन ने पिछले 60 वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में कई कार्य किए। सरस्वती शिशु मंदिर है, सेवा भारती है, वनवासी कल्याण आश्रम हैं, हिमालय परिवार है और बहुत सारे एकलव्य विद्यालय हैं। हमारे विश्व हिन्दू परिषद की सबसे बड़ी उपलब्धि है राम मंदिर का निर्माण। मैं भी राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा रहा हूं। आज हमारे लिए गौरव की बात है कि रविवार को ही अयोध्या में अक्षत पूजन के साथ राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह का अनुष्ठान शुरू हो गया।

Krishnanand shastri

सवाल : गौ रक्षा के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
जवाब : संगठन का यह प्रयास है कि हर परिवार के पास एक गाय हो। शहरी क्षेत्रों में इस अभियान को सफल बनाने के लिए हम शहर के बाहरी इलाकों में गौशालाएं खोल रहे हैं। साथ ही उन लोगों को गाय गोद दे रहे हैं जो शहरी क्षेत्रों में अपने घर पर गाय रखने में असमर्थ हैं। वे लोग गाय गोद लेकर उसकी सेवा करते हैं। कई लोग इस पहल से जुड़ रहे हैं। विश्व हिन्दू परिषद ने दिल्ली के बाहरी इलाकों में ऐसी 12 गौशालाएं शुरू की हैं। अभी योगी सरकार गाय पालने वालों को प्रतिदिन 60 रुपये सहायता राशि के तौर पर दे रही है।
हम राजस्थान में भी गौसेवा के लिए कई काम कर रहे हैं। वहां सरकार ने गौसेवा आयोग बनाया है। महाराष्ट्र में भी बनाया गया है। चूंकि दिल्ली में इसकी अनुमति नहीं है इसलिए नहीं बनाया जा सका है। हम चाहते हैं कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए।

सवाल : दिल्ली में मस्जिदों के इमाम को वेतन दिया जा रहा है, क्या मंदिर के पुजारियों को भी मिलना चाहिए?
जवाब : दिल्ली सरकार मुस्लिमों को बढ़ावा दे रही है और हिन्दुओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है। अगर मस्जिदों के इमाम को वेतन दिया जा रहा है तो दिया जाए लेकिन अन्य धर्मों के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। मंदिर के पुजारियों को भी वेतन मिलना चाहिए, जैनियों को भी मिलना चाहिए, बौद्धों को भी मिलना चाहिए। बाकी के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। संविधान तो सबके लिए बराबर है तो यहां पक्षपात किया जा रहा है।

नोट : कृष्णानंद शास्त्री के इंटरव्यू के दूसरे पार्ट में पढ़ें उन पर हुए जानलेवा हमलों की दास्तान।

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