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ईपीएफ पेंशन और फार्मूले में बदलाव की मांग उठी राज्यसभा में

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नई दिल्ली। राज्यसभा में बुधवार को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए ईपीएस -95 पेंशन को न्यूनतम नौ हजार रुपए प्रति मासिक करने और इसके फार्मूले में बदलाव की मांग उठाई गयी। सदन में शून्यकाल के दौरान ‘‘सभापीठ की अनुमति से उठाये गए मामले” के अंतर्गत द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के एम षणमुगम ने कहा कि ईपीएफ पेंशन कोष को भारी राशि पड़ी हुई है और इसपर कोई दावा भी नहीं कर रहा है। यह श्रमिकों का धन है इसलिए इसका प्रयोग इनके हित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ईपीएफ पेंशन धारकों को न्यूनतम 9000 रुपए प्रति माह राशि की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को ईपीएस के कोष को देखते हुए श्रमिक संगठनों की बैठक बुलानी चाहिए और ईपीएस पेंशन निर्धारित करने के फार्मूले में बदलाव करना चाहिए। नामित सदस्य कार्तिकेय शर्मा ने निजी अस्पताल में रोगी की मृत्यु होने पर संबंधित भुगतान नहीं होने तक शव नहीं देेने का मुद्दा उठाया और कहा कि इस संबंध में केंद्र सरकार को कड़े दिशा निर्देश जारी करने चाहिए और उल्लंघन होने पर कड़े दंड की व्यवस्था की जानी चाहिए। कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने समाज में बढ़ती कट्टरता का मामला उठाया और कहा कि संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्ति भी धर्म के आधार पर बयानबाजी कर रहे हैं। इस पर रोक लगायी जानी चाहिए।

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