शिमला। हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक उथल-पुथल खत्म होती दिख रही है। कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षक डी.के. शिवकुमार ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि सभी मतभेद दूर हो गए हैं। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने बजट पर मतदान के दौरान सदन में अनुपस्थित रहने पर कांग्रेस के छह बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है। शिवकुमार ने यह भी कहा कि सभी आंतरिक मामलों को सुलझाने के लिए एक समन्वय समिति बनाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने दावा किया कि राज्य की कांग्रेस सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। शिवकुमार ने ये बातें संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहीं, जिसमें दो अन्य केंद्रीय पर्यवेक्षक भूपेंद्र सिंह हुड्डा और भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस इकाई की प्रमुख प्रतिभा सिंह भी शामिल थीं। शिवकुमार ने कहा कि सुक्खू ने राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की हार की जिम्मेदारी ली है। जब उनसे पूछा गया कि क्या सुक्खू मुख्यमंत्री बने रहेंगे तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार हिमाचल में कार्यकाल पूरा करेगी। जब पत्रकारों ने जोर देकर यह सवाल पूछा कि क्या सुक्खू मुख्यमंत्री बने रहेंगे तो उन्होंने कहा, “जब सुक्खू मुख्यमंत्री हैं तो आप काल्पनिक सवाल क्यों पूछ रहे हैं।” शिवकुमार ने यह भी कहा कि केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने सुक्खू, पार्टी विधायकों और प्रदेश इकाई की प्रमुख प्रतिभा सिंह से बात की है और सभी मतभेद दूर कर लिए गए हैं। उन्होंने कहा, “सभी विधायकों ने पार्टी और सरकार को बचाने के लिए मिलकर काम करने का आश्वासन दिया है और संकल्प लिया है।” पर्यवेक्षकों ने कहा कि लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह शाम को कैबिनेट बैठक में भाग लेंगे। सिंह ने बुधवार को इस्तीफे की पेशकश की थी और बाद में कहा था कि वह अपने इस्तीफे को स्वीकार करने के लिए दबाव नहीं डालेंगे। इससे पहले दिन में, हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कांग्रेस के उन छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया, जिन्होंने सदन में वित्त विधेयक (बजट) पर सरकार के पक्ष में मतदान करने के पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया था। अयोग्य ठहराए गए विधायकों में से एक ने कहा कि वे विधानसभाध्यक्ष के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करेंगे। अयोग्य ठहराए गए विधायकों में सुधीर शर्मा, रवि ठाकुर, राजिंदर राणा, इंदर दत्त लखनपाल, चेतन्य शर्मा और देविंदर कुमार भुट्टो हैं। इस संबंध में शाम को एक अधिसूचना जारी की गई जिसमें आगे कहा गया कि ये छह विधायक 29 फरवरी से हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य नहीं रहेंगे। राजिंदर राणा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि अयोग्य ठहराए गए छह विधायक आदेशों के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करेंगे। उन्होंने कहा, ”छह विधायकों में से केवल एक को 27 फरवरी की रात व्हाट्सएप पर नोटिस मिला और हम 27 व 28 फरवरी को सदन में मौजूद थे।” बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद सदन में विधायकों की कुल संख्या 68 से घटकर 62 हो गई है। कांग्रेस विधायकों की संख्या 40 से घटकर 34 रह गई है जबकि भाजपा के 25 विधायक हैं। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में यह पहली बार है कि विधायकों को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया है। सुक्खू ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कांग्रेस सरकार स्थिर है और पांच साल तक चलेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले बागी विधायक जनता का सामना नहीं कर पाएंगे। हालांकि, उन्होंने कहा कि “ये विधायक हमारे भाई हैं और अगर वे वापस आना चाहते हैं तो गलतियों को माफ किया जा सकता है, लेकिन हम उनसे संपर्क करने में असमर्थ हैं क्योंकि उनके मोबाइल फोन पर बात नहीं हो पा रही है।” उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी तरफ से कुछ गलतियां हुईं। उन्होने कहा कि वह राज्यसभा चुनाव में पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हैं। अपने इस्तीफे के बारे में अफवाहों का जिक्र करते हुए सुक्खू ने कहा कि यह बजट पर मतदान के दौरान कांग्रेस विधायकों की संख्या कम करने की एक “साजिश” थी और “मैंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि मैंने इस्तीफा नहीं दिया है।” इससे पहले कांग्रेस नेताओं की चिंताएं बढ़ा रहीं प्रतिभा सिंह ने कहा कि अगर बागी विधायकों की शिकायतें दूर कर दी गई होतीं तो छह विधायकों की अयोग्यता को टाला जा सकता था। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस राज्यसभा चुनाव हार गई। हिमाचल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि पार्टी मजबूत है और मतभेदों को सुलझा लिया गया है। उन्होंने कहा कि समिति राज्य सरकार और संगठन के बीच समन्वय सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा, “चुनौती लोकसभा चुनाव में सभी चार सीट जीतने की है, जिसके लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होगी।” इससे पहले सुबह मुख्यमंत्री सुक्खू ने कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षकों हुड्डा और शिवकुमार की मौजूदगी में पार्टी विधायकों के साथ नाश्ते पर बैठक की। बैठक से ठीक पहले शिमला शहर सीट से पार्टी विधायक हरीश जनारथा ने कहा, “यह सिर्फ एक मिलन समारोह है, देखते हैं बैठक में क्या होता है।” एक अन्य विधायक ने कहा, “सब ठीक है।”
इस बीच, नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर ने हिमाचल में मौजूदा राजनीतिक संकट के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। यहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधायकों और वरिष्ठ नेताओं का दम घुट रहा है और उन्होंने सदन के अंदर व सार्वजनिक मंचों पर भी अपना दर्द व्यक्त किया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हिमाचल प्रदेश इकाई के अध्यक्ष राजीव बिंदल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी राज्य में राज्यसभा सीट पर हुए चुनाव में करारी हार के बाद जनता का विश्वास और सत्ता में बने रहने का अधिकार खो चुकी है। बिंदल ने यहां मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्ण बहुमत वाली सत्तारूढ़ पार्टी का राज्यसभा चुनाव जीतने में विफल होना अभूतपूर्व है। उन्होंने पूछा कि अगर सरकार के अपने ही विधायक विद्रोह का झंडा उठाएंगे तो लोग सरकार पर कैसे भरोसा कर सकते हैं?