विचार

चंदन, वंदन और लंपटनंदन

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सुधीर राघव

मोहल्ले भर की महिलाओं में लंपट चंद मशहूर थे. पूरा नाम था उनका, लंपट चंद चुटियाधारी. मोहल्ला लेवल की राजनीति करते थे और अंतरराष्ट्रीय स्तर की बात. ट्रम्प से उनका तू वाला रिश्ता था और बाइडेन से मैं वाला. यह उनका कहना था. सुनक और अलथानी उनके हम निवाला थे. जिनपिंग को झुलाने, मेलोनी को टहलाने के साथ साथ पुतिन को राजनीति उन्होंने ही सिखाई. यह भी उनका कहना था. वह तो यह भी बताते थे कि जिस दिन चाहेंगे, उसी दिन यूक्रेन युद्ध रोक देंगे. अकेले वही हैं जो इजरायल को बंदूक छोड़कर शांति का कबूतर उड़ाने को मजबूर कर सकते हैं. अभी नेतन्याहू को फोन करेंगे तो घुटनों के बल आएगा.

इतना सब होने के बाद भी लंपट चंद दुनिया में अकेले थे. उनका कोई परिवार नहीं था. शिल्पा सा फिगर और बेबो सी अदा की तलाश में लंपट चंद चुटियाधारी ने शादी के दूसरे साल में ही बीवी छोड़ दी थी. बीवी भोली-भाली सीधी-सादी थी. लंपट चंद शकीरा और एंजलीना जोली से नीचे सोचते ही नहीं थे. बीवी छोड़कर तो वह एकदम छुट्टा सांड हो गये. इसलिए मोहल्ले की सारी भाभियों की तकलीफों का खास ध्यान रखते. उनके खाली सिलेंडर भरवाते. मोहल्ले की दुकान से दही ला देते. उनके रोते बच्चों के घुमाने ले जाते. कोई महिला सब्जी का थेला लिए सड़क पर दिख गई तो उसका थेला उठाकर घर तक छोड़ आते.

बस इसी से खलिहर लंपट चंद की राजनीति चमक गई. जब वोट के दिन नजदीक आए तो उन्होंने खुद झाड़ू उठाकर पूरा मोहल्ला साफ किया. हर घरे के आगे सड़क साफ की. पहले से ही प्रसन्न भाभियां उनकी इस अदा पर रीझ गईं. सबने लंपट चंद को भर भर वोट दिए और पतियों से भी दिलवाए. कुछ तो लंपट चंद के लिए अपने पतियों से लड़ गईं. नतीजतन लंपट चंद प्रचंड बहुमत से जीते और भाभियों ने पूरे मोहल्ले में दिनभर भंगड़ा डाला. उस दिन ढोलक फाड़ डांस हुआ. जश्न देखकर सबको लगा कि इस मोहल्ले के तो अच्छे दिन आ गए.

चुनाव जीतकर लंपट चंद नेता बन गए. इसलिए आए दिन विदेश दौरे पर रहते. मोहल्ले की भाभियों के खाने में स्वाद न रहा, क्योंकि अब कोई दुकान से लाकर दही देने वाला नहीं था. बच्चों की चिल्ल-पों दिनभर मची रहती, क्योंकि उन्हें घुमाने वाला कोई नहीं था. मोहल्ले की सारी गलियां लंपट चंद के इंतजार में गंदगी से भर गईं. सब्जी का थेला और गैस सिलेंडर उठाने से बहुत सी भाभियों को स्लिप डिस्क हो गई.

यह सब देखकर विपक्ष की बांछें खिल गईं. वे घूम घूमकर कहने लगे कि परिवारहीन लंपट मोहल्ला नहीं संभाल सकता. इसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाओ. उसे तत्काल हटाओ. लंपट जब थाईलैंड के पांच दिवसीय दौरे से लौटा तो मोहल्ले में विपक्ष के तेवर देखकर तैयारी भांप गया. उसने घर घर जाकर भाभियों से कहा, आपके रहते विपक्ष मुझे परिवारहीन कह रहा है. मैंने तो सदैव इस मोहल्ले को अपना परिवार समझा. सदैव चंदन वंदन किया. कल पार्क में मैंने सभा बुलाई है. आप सभी पहुंचकर बताएं कि आप ही मेरा परिवार हैं.

अगले दिन पार्क में गजब नजारा था. मोहल्ले के सारे बच्चे हाथ में तख्ती लिए खड़े थे, जिस पर लिखा था- मैं भी लंपट नंदन. उनके पीछे उनकी माताएं बोर्ड लिए खड़ी थीं, जिस पर मोटे अक्षरों में लिखा था – लंपट चंद का परिवार.
दूसरी ओर मोहल्ले के अधिकांश शादीशुदा पुरुष गायब थे, वे सब कचहरी दौड़ गये थे और तलाक के वकीलों को ढूंढ रहे थे.

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