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अब जेल नहीं जाएंगे मौलाना तौकीर रजा, बरेली दंगा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, जानिए क्या कहा?

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना तौकीर रजा खान को राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने 2010 के बरेली सांप्रदायिक दंगा मामले में उनके खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगा दी है। उत्तर प्रदेश के शहर बरेली में दो मार्च, 2010 को एक धार्मिक जुलूस के मार्ग को लेकर दंगे भड़क उठे थे। कई लोग घायल हो गए तथा इस दौरान दुकानों और वाहनों पर हमले किए गए और उन्हें जला दिया गया। न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एस.वी.एन भट्टी की एक पीठ ने मौलाना की तरफ से पेश वकील असद अल्वी के प्रतिवेदन पर संज्ञान लेने के बाद अपने आदेश में कहा, “नोटिस जारी करें जो बिना कारण बताए जारी किए गए आक्षेपित आदेश तक सीमित हो। इस बीच, आक्षेपित आदेश के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी।” शीर्ष अदालत इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 19 मार्च के आदेश के खिलाफ मौलाना द्वारा दाखिल अपील पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने फिलहाल तौकीर रजा खान को वारंट पर कोई भी “छूट” देने से इनकार कर दिया था। उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल न्यायाधीश पीठ ने आदेश दिया था, “जहां तक गैर-जमानती वारंट (मौलाना के खिलाफ) का सवाल है, मैं इस स्तर पर उन्हें कोई छूट देने का इच्छुक नहीं हूं।” अदालत ने कहा था, “आगामी होली की छुट्टियों को ध्यान में रखते हुए, हालांकि, पुनरीक्षणकर्ता को 27 मार्च, 2024 को या उससे पहले सुविज्ञ अधीनस्थ अदालत के समक्ष उपस्थित होने और जमानत के लिए आवेदन करने का निर्देश दिया जाता है और उसकी जमानत अर्जी का कानून के अनुसार सख्ती से निस्तारण किया जाएगा। उन्हें निचली अदालत के सामने पेश होने का मौका देने के लिए यह बताने की जरूरत नहीं है कि 27 मार्च, 2024 तक उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट पर अमल न किया जाए।” शीर्ष अदालत ने अल्वी की दलीलों पर ध्यान दिया कि उच्च न्यायालय ने बिना कारण बताए आदेश पारित किया था और अंतरिम रोक लगा दी थी। प्रारंभ में, राज्य पुलिस ने खान और अन्य को गिरफ्तार किया था, लेकिन उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर नहीं किया था। पांच मार्च को स्थानीय अधीनस्थ अदालत ने मौलवी को समन जारी किया था। तय तारीख पर जब तौकीर रजा खान अधीनस्थ अदालत में पेश नहीं हुए तो उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया गया। उच्च न्यायालय ने खान को वह राहत नहीं दी जो उन्होंने गैर-जमानती वारंट पर मांगी थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया था कि खान “2 मार्च, 2010 को जिला बरेली में हुए सांप्रदायिक दंगों का मुख्य साजिशकर्ता था और अपराध में उसकी संलिप्तता दिखाने वाले पर्याप्त सबूत हैं।”

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