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नीति आयोग की बैठक छोड़ निकलीं ममता, 10 राज्यों के सीएम नहीं आए, सरकार ने माना- शहरी और ग्रामीण आय में बड़ा अंतर चुनौती, पढ़ें क्या-क्या हुआ पूरी बैठक में और अब किस नीति पर चलेगा भारत?

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को नीति आयोग की शासी परिषद की बैठक में गांवों के स्तर पर गरीबी को समाप्त करने का लक्ष्य तय करने का आह्वान किया। वहीं बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपना माइक बंद होने का आरोप लगाते हुए बीच बैठक में ही बाहर चली गईं। प्रधानमंत्री ने नौवीं शासी परिषद की बैठक में अपने संबोधन में केवल कार्यक्रम स्तर के बजाय व्यक्तिगत आधार पर गरीबी से निपटने की आवश्यकता की बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘हमें विकसित भारत के लिए प्राथमिक आधार पर ग्रामीण स्तर पर शून्य गरीबी का लक्ष्य तय करना चाहिए। यह हमारे देश में परिवतर्नकारी प्रभाव लाएगा।” नीति आयोग की शासी परिषद की बैठक में 10 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने हिस्सा नहीं लिया। बैठक के बाद सीईओ बी.वी.आर. सुब्रमण्यम ने संवाददाताओं से कहा कि केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पुडुचेरी बैठक में शामिल नहीं हुए। उन्होंने कहा, ‘‘यह बैठक इस बात के लिए थी कि राज्यों के विकास को कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है और उसमें कैसे योगदान दिया जा सकता है। अगर उन्होंने भाग नहीं लिया तो यह उनका नुकसान है।” राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित नीति आयोग की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बीच में ही बाहर चली गयीं। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष की एकमात्र प्रतिनिधि होने के बावजूद, उन्हें उनके भाषण के बीच में गलत तरीके से रोका गया था। हालांकि, सरकार ने उनके दावे को खारिज कर दिया और कहा कि बनर्जी को बोलने के लिए पूरा समय मिला। बिहार के बारे में सुब्रमण्यम ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य में विधानसभा सत्र में व्यस्त होने के कारण बैठक में शामिल नहीं हो सके। मोदी ने बैठक के दौरान राज्यों को निवेशक-अनुकूल परिवेश प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया। साथ ही नीति आयोग को मापदंडों के आधार पर ‘निवेश-अनुकूल चार्टर’ तैयार करने का निर्देश दिया, जिसमें निवेश आकर्षित करने के लिए नीतियां, कार्यक्रम और प्रक्रियाएं शामिल होंगी। नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी के अनुसार प्रधानमंत्री चाहते हैं कि राज्य एफडीआई के लिए प्रतिस्पर्धा करें ताकि निवेश सभी राज्यों तक पहुंच सके, खासकर उन राज्यों तक जो कम सफल हैं। प्रधानमंत्री ने निवेश आकर्षित करने के लिए केवल प्रोत्साहन के बजाय कानून और व्यवस्था, सुशासन तथा बुनियादी ढांचे को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने जल संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए राज्य स्तर पर नदी ग्रिड के निर्माण की भी बात कही। प्रधानमंत्री ने 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी राज्यों और केंद्र के सहयोग और सामूहिक प्रयास पर जोर दिया। उन्होंने राज्यों को भविष्य में आबादी की बढ़ती उम्र के मुद्दों के समाधान के लिए जनसंख्या प्रबंधन योजनाएं शुरू करने को भी कहा। मोदी ने कहा कि विकसित भारत के दृष्टिकोण को विकसित राज्यों के माध्यम से साकार किया जा सकता है। विकसित भारत की आकांक्षा जमीनी स्तर यानी प्रत्येक जिले, प्रखंड और गांव तक पहुंचनी चाहिए। उन्होंने कहा, “इसके लिए प्रत्येक राज्य और जिले को 2047 के लिए एक दृष्टिकोण बनाना चाहिए ताकि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को साकार किया जा सके।” प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने पिछले दस साल में लगातार विकास हासिल किया है। भारतीय अर्थव्यवस्था 2014 में दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी, वह अब पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। उन्होंने कहा कि अब सरकार और सभी नागरिकों का सामूहिक लक्ष्य दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने पिछले दस साल में सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करके पहले ही काफी प्रगति की है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत अब दुनिया को कई उत्पाद निर्यात करता है। देश ने रक्षा, अंतरिक्ष, स्टार्टअप और खेल जैसे विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाई है।” उन्होंने कहा कि यह बदलाव का दशक है जो विभिन्न क्षेत्रों में कई सारे अवसर लेकर आया है। मोदी ने राज्यों को इन अवसरों का उपयोग करने और नीतियां बनाने तथा ऐसे राजकाज से जुड़े ऐसे कार्यक्रम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जो नीति-निर्माण और क्रियान्वयन में नये दृष्टिकोण के माध्यम से विकास के लिए अनुकूल हों। उन्होंने कहा कि दुनिया कुशल मानव संसाधनों के लिए भारत की ओर देख रही है, ऐसे में युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करने करने को लेकर उनके कौशल विकास और प्रशिक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है। मोदी ने सभी राज्यों को कृषि उत्पादकता और विविधीकरण बढ़ाने तथा किसानों को बाजार संपर्क प्रदान करने के लिए भी कहा। उन्होंने प्राकृतिक कृषि गतिविधियों को अपनाने की भी बात कही जो मिट्टी की उर्वरता में सुधार कर सकती हैं, कम लागत के कारण किसानों को बेहतर और अच्छा रिटर्न दे सकती हैं और उत्पादों के लिए वैश्विक बाजार भी प्रदान कर सकती हैं। उधर, बनर्जी ने कहा कि उनका माइक्रोफोन पांच मिनट के बाद ही बंद कर दिया गया, जबकि आंध्र प्रदेश, गोवा, असम और छत्तीसगढ़ सहित अन्य मुख्यमंत्रियों को लंबे समय तक बोलने की अनुमति दी गई। बैठक से बाहर निकलने के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रमुख ने कहा, “यह अपमानजनक है। मैं आगे किसी बैठक में शामिल नहीं होऊंगी।” वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि नीति आयोग की शासी परिषद की बैठक में ममता बनर्जी को बोलने के लिए पूरा समय मिला और बीच में उनका माइक बंद करने की बात सरासर झूठ है।
नीति आयोग के एक दस्तावेज में कहा गया कि देश को विनिर्माण और ‘लॉजिस्टिक’ क्षेत्र में क्षमताओं को बढ़ाने और ग्रामीण तथा शहरी आय के बीच अंतर को समाप्त करने जैसी कुछ संरचनात्मक चुनौतियों का समाधान करने की जरूरत है। ‘विकसित भारत के लिए दृष्टिकोण एट 2047: एक अवधारणा पत्र’ शीर्षक वाले दस्तावेज में कहा गया है कि भारत को मध्यम-आय के जाल से बचने और इससे बाहर निकलने की दिशा में सावधानीपूर्वक काम करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की शासी परिषद की नौवीं बैठक के दौरान इस दस्तावेज पर चर्चा की गई। इसमें कहा गया है कि देश को ऊर्जा, सुरक्षा, पहुंच और पर्यावरण अनुकूल उपायों के बीच संतुलन हासिल करने की जरूरत है। दस्तावेज में कहा गया है कि देश के कृषि कार्यबल को औद्योगिक कार्यबल में बदलने और भारत को वैश्विक विनिर्माण तथा सेवा केंद्र बनाने के लिए उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करना भी उतना ही आवश्यक है। इसमें कहा गया है कि भारत के लिए एक दृष्टिकोण कुछ व्यक्तियों या एक सरकार का काम नहीं हो सकता है, यह पूरे देश के सामूहिक प्रयासों का परिणाम होना चाहिए। दस्तावेज के अनुसार, भारत अपने इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है और 21वीं सदी भारत की सदी हो सकती है। इसका कारण देश अपनी क्षमताओं के प्रति आश्वस्त होकर भविष्य की ओर बढ़ रहा है।

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