बिहार

मोदी को पहली बार पीएम बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर ने बनाई अपनी पार्टी, लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, पढ़ें किसे बनाया अध्यक्ष और क्या है उनकी नई रणनीति

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नीरज सिसौदिया, पटना

पूर्व चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बुधवार को ‘जन सुराज पार्टी’ के नाम से अपना राजनीतिक दल गठित करने की घोषणा की। यह एक बहुप्रतीक्षित कदम है जिसके जरिए वह बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव लाने की उम्मीद कर रहे हैं। किशोर ने मधुबनी में जन्मे भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी मनोज भारती को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया और कहा कि भारती मार्च तक इस पद पर रहेंगे। मार्च में पार्टी के संगठनात्मक चुनाव होंगे। पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में बुधवार को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान किशोर ने यह घोषणा की। इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव, राजनयिक से नेता बने पवन वर्मा और पूर्व सांसद मोनाजिर हसन समेत कई जानी मानी हस्तियां मौजूद थीं। किशोर ने चंपारण से राज्य की तीन हजार किलोमीटर से अधिक लंबी ‘पदयात्रा’ शुरू करने के ठीक दो साल बाद इस पार्टी का गठन किया। जन सुराज के गठन का उद्देश्य लोगों को प्रदेश में एक ‘नया राजनीतिक विकल्प’ देकर उन्हें संगठित करना बताया जा रहा है। चंपारण से ही महात्मा गांधी ने देश में पहला ‘‘सत्याग्रह” शुरू किया था। इस अवसर पर आई-पैक के संस्थापक किशोर ने कहा, ‘‘जन सुराज अभियान का उद्देश्य बिहार के लोगों को यह समझाना है कि उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और रोजगार के अवसर नहीं मिल पाए हैं क्योंकि उन्होंने कभी इन मुद्दों पर वोट नहीं दिया। हमारा शायद कुछ लोग मजाक उड़ाएं और कहें कि हम पलायन रोकने जैसे वादे कैसे पूरे करेंगे। लेकिन हमारे पास एक खाका है।” किशोर ने कुछ साल पहले राजनीतिक परामर्श देने का काम छोड़ दिया। उन्होंने कहा, ‘‘राज्य में शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए हमें चार लाख करोड़ रुपये से अधिक की जरूरत होगी। हम शराबबंदी कानून को खत्म करके पैसे जुटाएंगे। शराबबंदी के कारण हर साल 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। मैं फिर से कहता हूं कि जन सुराज के सत्ता में आते ही एक घंटे के अंदर शराबबंदी खत्म कर दी जाएगी।” किशोर, अपने पूर्व मार्गदर्शक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस कदम के कटु आलोचक कहे जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमें विशेष दर्जे के खोखले नारे नहीं चाहिए। लेकिन हम बैंकों को बाध्य करेंगे कि वे राज्य की जनता द्वारा जमा की गई बचत के अनुपात में राज्य को पूंजी उपलब्ध कराएं। वर्तमान में ऐसा लग रहा है कि बिहारियों द्वारा बचाए गए पैसे का इस्तेमाल कहीं और हो रहा है।” किशोर ने लगभग एक घंटे के भाषण में इस बात पर जोर दिया कि जन सुराज वास्तव में एक अलग पार्टी होगी, जिसके संविधान में ऐसे प्रावधान हैं जो “किसी भी अन्य राजनीतिक दल में पहले कभी नहीं देखे गए।” उन्होंने कहा, “चुनावों में हमारे उम्मीदवार पार्टी आलाकमान तय नहीं करेगा।” किशोर ने कहा कि निर्वाचन क्षेत्रों के लोगों की राय के आधार पर उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों की तर्ज पर होगा। किशोर ने कहा, ” हम राईट टू रिकाल” भी लाएंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि काम न करने वाले निर्वाचित प्रतिनिधि जीत के बाद यह मानकर आराम से नहीं बैठेंगे कि वे पांच साल तक केवल अपने पद पर बने रहेंगे। अगर लोग उनके काम से संतुष्ट नहीं होंगे तो उन्हें उनके मतदाता हटा देंगे।” किशोर ने यह भी कहा कि वह सीधे तौर पर पार्टी संभालने के इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि वह जन सुराज अभियान को आगे बढ़ाने में अधिक रुचि रखते हैं, जिसके तहत उन्होंने “आधे राज्य” की यात्रा पूरी कर ली है। उन्होंने कहा कि पार्टी का नेतृत्व “एक अध्यक्ष करेगा जिसका कार्यकाल एक वर्ष का होगा” और पार्टी “दो साल के कार्यकाल वाली नेतृत्व परिषद” चलाएगी। किशोर ने कहा कि उनकी पार्टी समाज के सभी वर्गों के लोगों को प्रतिनिधित्व देने की इच्छुक है, हालांकि मानदंड जाति या धर्म नहीं बल्कि योग्यता होगी। भारती का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी के संस्थापक सदस्यों का मानना ​​था कि पहला अध्यक्ष दलित होना चाहिए। हालांकि, भारती की सामाजिक पृष्ठभूमि निर्णायक कारक नहीं थी। उन्हें उनके उज्ज्वल शैक्षणिक करियर और पेशेवर अनुभव जैसे अन्य गुणों के कारण चुना गया।” किशोर ने यह भी कहा कि नयी पार्टी के प्रतीक पर “महात्मा गांधी और बाबासाहेब अंबेडकर दोनों की तस्वीरें” होंगी और इस संबंध में एक आवेदन निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा।” उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि नवगठित पार्टी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करेगी। किशोर ने कहा, “हमें अभी से माहौल बनाना चाहिए। हमें अगले साल होने वाले चार विधानसभा सीटों के उपचुनाव जीतने का संकल्प लेना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा, “हम बिहार चुनाव जीतेंगे, लेकिन यह अंत नहीं होगा। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि राज्य पूरे देश के लिए वास्तविक राजनीतिक मार्गदर्शक बन बने।”

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