पंजाब

भू माफिया से लड़ाई लड़ता एक सिपाही

Share now

नीरज सिसौदिया, पठानकोट
गुरुओं की धरती हमेशा सेवा, समर्पण, त्याग और बलिदान की मिसालें पेश करती रही है। यहां बड़े-बड़े संत महात्मा हुए तो वीर सेनानियों ने भी अपने लहू से इस धरती को सींचा है। अब वो दौर भले ही न रहा हो लेकिन आज भी कुछ ऐसे सिपाही हैं जो अपने कर्तव्य की राह पर आने वाली मुसीबतों से बाखूबी संघर्ष करते दिखाई देते हैं। आज हम एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं। वो न तो कोई संत, महात्मा है, न ही कोई नेता है और न ही कोई अरबपति कारोबारी। वो शख्स हमारी-आपकी तरह ही एक आम आदमी है। आम आदमी पार्टी वाला आम आदमी नहीं बल्कि एक सामान्य सा इंसान जो पठानकोट नगर निगम में असिस्टेंट टाउन प्लानर के मामूली से पद पर तैनात है। लेकिन उसके कारनामे इतने बड़े हैं कि वह अक्सर भूमाफियाओं और उनका साथ देने वाले नेताओं-अफसरों की आंखों की किरकिरी बन जाता है। हालात से समझौता न करने की कीमत उसे अक्सर चुकानी पड़ती है और आज भी चुका रहा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं पठानकोट नगर निगम के असिस्टेंट टाउन प्लानर सुखदेव वशिष्ठ की जो इन दिनों पठानकोट के भूमाफियाओं की नाक में दम करने की वजह से सुर्खियों में हैं।
सुखदेव वशिष्ठ की कहानी किसी फिल्म की कहानी की तरह ही है। मूल रूप से हिमाचल प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले सुखदेव वशिष्ठ के पिता जालंधर नगर निगम में असिस्टेंट कमिश्नर हुआ करते थे। पढ़ाई में अव्वल आने वाले सुखदेव वशिष्ठ ने महाराष्ट्र से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद एनएचएआई में काम किया। इस दौरान उन्होंने कई अहम प्रोजेक्टों पर काम किया लेकिन कुछ समय बाद नगर निगम की परीक्षा पास की और जालंधर नगर निगम में ड्राफ्ट्समैन के पद पर तैनात हो गए। इसके बाद उन्हें बिल्डिंग ब्रांच में तैनात किया गया। यहां उन्होंने तत्कालीन मेयर सुनील ज्योति के कार्यकाल में सड़क निर्माण में ठेकेदार के काले कारनामों को उजागर किया। इसका नतीजा ये हुआ कि सुखदेव वशिष्ठ से ये काम ही वापस ले लिया गया। फिर उन्हें बिल्डिंग ब्रांच में दोबारा तैनाती दे दी गई। यहां भी उन्होंने काफी अच्छा काम किया और कई गड़बड़ियां उजागर कीं लेकिन नेताओं और अफसरों के जंजाल में उलझाकर उन्हें ओएंडएम में भेज दिया गया। इस दौरान उनका प्रमोशन कर उन्हें हेड ड्राफ्टमैन बना दिया गया। उन्हें फिर बिल्डिंग ब्रांच में भेज दिया गया। यहां इस बार उन्हें एटीपी की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस बार चुनौती ज्यादा बड़ी थी। सुखदेव वशिष्ठ ने इन चुनौतियों को स्वीकार किया और कई अवैध कॉलोनियों, अवैध इमारतों पर डिच चला दी। सुखदेव वशिष्ठ ने इतनी ताबड़तोड़ कार्रवाई की कि भूमाफिया और उन्हें संरक्षण देने वाले राजनेता सुखदेव वशिष्ठ के विरोधी बन गए। तमाम जोड़-तोड़ के बाद सुखदेव वशिष्ठ का तबादला जालंधर से पठानकोट कर दिया गया। लेकिन कहते हैं न कि सूरज जहां भी जाता है, अपनी चमक बिखेरता है। पठानकोट में भी कुछ ऐसा ही हुआ। सुखदेव वशिष्ठ ने पदभार संभालते अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए। यहां अच्छी बात यह रही कि सुखदेव वशिष्ठ को आदित्य उप्पल जैसे प्रतिभावान और ईमानदार आईएएस अधिकारी का साथ मिला। शायद यही वजह है कि सुखदेव वशिष्ठ ने यहां भी अपना तेवर बरकरार रखा। पिछले लगभग दो माह से पठानकोट नगर निगम के कमिश्नर आदित्य उप्पल के आदेश पर सुखदेव वशिष्ठ पठानकोट में भी ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रहे हैं। वह नेशनल हाईवे सहित कई जगहों पर अवैध कॉलोनियों और अवैध इमारतों को या तो ध्वस्त कर चुके हैं या फिर सील कर चुके हैं। सुखदेव वशिष्ठ यहां भी एक सिपाही की तरह भूमाफियाओं से लड़ रहे हैं और भगवंत मान सरकार का मान बढ़ा रहे हैं। यहां भूमाफिया दहशत में हैं। बहरहाल, सुखदेव वशिष्ठ ने यह साबित कर दिखाया है कि एक मामूली अधिकारी भी अगर ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करे तो बदलाव का लंबा फासला भी तय किया जा सकता है। ये उन अफसरों के लिए एक सबक भी है जो राजनीतिक दबाव या आला अधिकारियों के दबाव का हवाला देकर भूमाफियाओं के काले कारनामों को संरक्षण दे रहे हैं। निश्चित तौर पर जालंधर नगर निगम ने एक ईमानदार अफसर खो दिया जो आज पठानकोट नगर निगम की उपलब्धियों में चार चांद लगा रहा है।

Facebook Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *