नीरज सिसौदिया, जालंधर
स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की सख्ती के बावजूद नगर निगम का कानून चंद्र सियासतदानों और आला अधिकारियों के हाथों की कठपुतली बन चुका है। वहीं, दूसरी ओर नगर निगम के कमिश्नर दीपर्व लाकड़ा पार्षद कंवलजीत कौर गुल्लू के पति मोहिंदर पाल गुल्लू के इशारों पर किसी तवायफ की तरह नाचते नजर आ रहे हैं। मामला अवैध निर्माण से जुड़ा हुआ है।
दरअसल अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार जाने के बाद जब कांग्रेस प्रदेश में सत्ता में आई तो गुल्लू ने होटल रेड पेटल के साथ ही अपनी बिल्डिंग का निर्माण अवैध रूप से शुरू करा दिया| आरटीआई एक्टिविस्ट रविंदर पाल सिंह चड्ढा ने इसकी शिकायत नगर निगम कमिश्नर से की थी| तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर बसंत गर्ग ने इस पर कोई कार्यवाही करने की जरूरत नहीं समझी और उन्हें अवैध निर्माण करने दिया गया| रविंद्र पाल सिंह चड्ढा ने इसकी शिकायत स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से भी की थी| इसके बावजूद इस बिल्डिंग के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई| चड्ढा ने जब मामले की हमसे संबंध में आरटीआई डाली तो पता चला कि जिस जगह पर यह बिल्डिंग बनाई गई है वह जगह भी असल में गुल्लू की नहीं है| गुल्लू ने मनजीत कौर नाम की महिला के फर्जी हस्ताक्षर करके इस जगह को हथियाया है| चड्ढा ने इसकी शिकायत पुलिस कमिश्नर से भी की है| पुलिस मामले की जांच कर रही है|
इसी बीच नगर निगम के पूर्व कमिश्नर बसंत गर्ग का तबादला हो गया और नए कमिश्नर आईएएस अधिकारी दीपर्व लाकड़ा को जालंधर नगर निगम की कमान सौंपी गई| शुरू शुरू में लाकड़ा ने अपने तेवर दिखाए और लगा कि एक सख्त आईएएस अधिकारी अब नगर निगम संभाल लेगा। लेकिन कुछ दिन बीतने के बाद लाकड़ा भी बसंत गर्ग की राह पर चल पड़े| वह कांग्रेस नेताओं के हाथों में खेलने लगे| आरटीआई एक्टिविस्ट ने जब लगातार शिकायतें की तो दीपर्व लाकड़ा ने मजबूर होकर गुल्लू की बिल्डिंग को सील करने के आदेश तो जारी कर दिए लेकिन उसमें भी बड़ा खेल कर डाला| जब आरटीआई एक्टिविस्ट रविंदर पाल सिंह चड्ढा ने लाकड़ा से पूछा कि आपने गुल्लू की बिल्डिंग के सीलिंग के आदेश तो जारी कर दिए लेकिन उनकी बिल्डिंग को सीन क्यों नहीं किया गया तो लाकड़ा का जवाब बड़ा ही हैरान करने वाला था| लाकड़ा कहने लगे कि गुल्लू अपनी बिल्डिंग की चाबी उन्हें दे गया है इसलिए उनकी बिल्डिंग सील करने की जरूरत ही नहीं है। लाकड़ा शायद यह भूल गए कि नगर निगम जज्बातों से नहीं कानून से चलता है और कानून में यह कहीं नहीं लिखा कि अगर कोई अवैध बिल्डिंग बनाने वाला अपनी बिल्डिंग की चाबी नगर निगम को दे दे तो उस बिल्डिंग को सील करने की जरूरत ही नहीं| लाकड़ा यह बताएं कि आखिर उन्होंने गैरकानूनी तरीके से गुल्लू की अवैध बिल्डिंग की चाबियां क्यों लीं? ऐसे में लाकड़ा पर भी विभागीय कार्रवाई की जानी चाहिए. अगर एक आईएएस अफसर ही कानून की धज्जियां उड़ाएगा तो कानून का पालन कौन करेगा. लाकड़ा जैसे अधिकारी आईएएस जैसे पद की प्रतिष्ठा को सरेआम नीलाम कर रहे हैं.
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लकङ़ा यह भी भूल गए कि बार-बार नगर निगम के कानून का उल्लंघन करने वाले अवैध बिल्डिंग के मालिकों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है। एक कांग्रेस नेता को खुश करने के लिए लाकड़ा ने IAS पद की गरिमा को भी धूमिल कर दिया| ऐसे ही आईएएस अधिकारियों के चलते ही यह पद भी अब बदनाम होने लगा है| जिस बिल्डिंग को D मालिश किया जाना चाहिए था उस बिल्डिंग की चाबी लेकर लाकड़ा खुद को खुद खुशनसीब मान रहे हैं| फिलहाल नगर निगम के बिल्डिंग ब्रांच के अधिकारियों सहित निगम कमिश्नर की हालत भी उस तवायफ के जैसी हो चुकी है जो अपने मालिक व क़दरदानों के इशारों पर नाचने के अलावा कुछ नहीं कर पाती। अब देखना यह है कि कांग्रेस नेता गुल्लू की बिल्डिंग के खिलाफ निगम कमिश्नर कोई कार्यवाही करते भी हैं या फिर सिर्फ गुल्लू की खातिरदारी में ही लगे रहते हैं|