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अब कैसे बचेंगे मेयर उमेश गौतम, सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट हुआ सख्त, तीन सप्ताह में मांगा जवाब, पढ़ें क्या है पूरा मामला?

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नीरज सिसौदिया, प्रयागराज
सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा और अवैध निर्माण के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त हो गया है। भाजपा नेता महेश पांडेय की याचिका पर हाईकोर्ट ने मेयर उमेश गौतम, बरेली के नगर आयुक्त और राज्य सरकार से उन पर लगाए गए आरोपों पर तीन सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
जानकारी के अनुसार महेश पांडेय ने अपनी रिट याचिका में कहा है कि उमेश गौतम ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने के लिए अधिग्रहित की गई किसानों की 9 बीघा जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ है और इस जमीन पर उन्होंने इनवर्टिस विश्वविद्यालय के डायरेक्टर हाउस का निर्माण किया है। उन्होंने कहा है कि नियम के अनुसार अगर किसी जमीन का अधिग्रहण सरकार द्वारा किसी विशेष उद्देश्य के लिए किया जाता है तो उसे जमीन का इस्तेमाल इस उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए। अगर किन्हीं परिस्थितियों में ऐसा नहीं हो पता है तो अधिग्रहित जमीन उन किसानों को वापस की जानी चाहिए जिसे इसका अधिग्रहण किया गया है महेश पांडेय ने बताया कि उमेश गौतम ने कुछ स्वीकार किया था कि उन्होंने इस जमीन पर अवैध कब्जा किया है और वह इसके बदले में बनती राशि देने को तैयार हैं। लेकिन अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। महेश पांडेय ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि इस जमीन के अलावा कुछ जमीन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की भी ली गई है जो डीएम के अनुमति के बिना ली गई है जबकि नियमानुसार ऐसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा है कि फरीदपुर और सदर तहसील तीन बार उक्त जमीन की पैमाइश कर चुके हैं जिसमें यह पाया गया है कि इनवर्टिस यूनिवर्सिटी का उक्त जमीन पर अवैध कब्जा है। महेश पांडे ने कहा कि इस जमीन पर अवैध रूप से इन्वर्टिस विश्वविद्यालय के डायरेक्टर हाउस का निर्माण किया जा रहा है जिसका नक्शा भी बीडीए से अप्रूव नहीं कराया गया है।

महेश पांडेय, शिकायतकर्ता वादी

उन्होंने कहा कि उमेश गौतम की ओर से जब नक्शा पास करने के लिए बरेली विकास प्राधिकरण में पहली बार अपील की गई थी तो बीडीए ने इस पर 3 करोड रुपए फीस जमा करने को कहा था इसके बाद कथित तौर पर कूट कपट करके नक्शा बदल दिया गया और दोबारा से उसे बीडीए में जमा कराया गया। तब बीडीए ने दो करोड रुपए फीस देने को कहा इसके बाद फिर से तीसरी बार नशे में संशोधन करके बीडीए में जमा कराया गया तो बीडीए ने उसकी फीस 80 लख रुपए बताई लेकिन इनवर्टिस या उमेश गौतम की ओर से यह राशि जमा नहीं कराई गई जिसके बाद बरेली विकास प्राधिकरण की ओर से उक्त निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश जारी कर दिया गया। महेश पांडेय ने आरोप लगाया है कि उमेश गौतम ने अपने पद का दुरुपयोग कर और अपनी ऊंची पहुंच का इस्तेमाल कर अपने आकाओं के दम पर ध्वस्तीकरण के उस आदेश को दबा दिया और अभी तक इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है यह अपील महेश पांडेय ने हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र की अदालत में विगत 27 मार्च को दायर की थी। जिस पर मेयर उमेश गौतम, नगर आयुक्त बरेली और राज्य सरकार से माननीय हाईकोर्ट ने तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।
इस समाचार की अगली किस्त में हम आपको उस याचिका की पूरी कॉपी उपलब्ध कराएंगे जो महेश पांडेय ने हाईकोर्ट में दायर की है।

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