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किसानों की कमर तोड़कर हिन्दुत्व की फसल नहीं काट सकेगी भाजपा : वीरपाल सिंह यादव

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नीरज सिसौदिया, बरेली
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों की मांग पूरी न करने पर पूर्व सांसद वीरपाल सिंह यादव ने भाजपा सरकार को आड़े हाथ लिया है. वीरपाल सिंह यादव ने इंडिया टाइम 24 से खास बातचीत में कहा कि भाजपा यह कभी न सोचे कि वह हिन्दुत्व के नाम पर जनता को बेवकूफ बनाकर सत्ता हासिल कर लेगी. किसानों की कमर तोड़कर सिर्फ हिन्दुत्व के नाम पर वोटों की राजनीति अब नहीं चलने वाली. किसान अन्नदाता होता है और भाजपा सरकार अन्नदाता को पूंजीपतियों का गुलाम बनाना चाहती है. नए कृषि कानून इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है. यह कदम भाजपा नीत केंद्र सरकार डब्ल्यूटीओ के दबाव में उठा रही है.
वीरपाल सिंह ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) पर अमेरिका का वर्चस्व है. उसके नियम पूंजीपतियों के फायदे को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं. अमेरिका विश्व का ऐसा देश है जहां किसानों को सबसे ज्यादा सब्सिडी दी जाती है और वहां फसलों का मूल्य वैश्विक बाजार तय करता है. लेकिन किसानों को लाभ के लिए सरकार उन्हें सब्सिडी देती है जिससे वहां के किसान खुशहाल हैं. अमेरिका चाहता है कि यही व्यवस्था भारत में भी लागू हो. इसी दबाव के चलते मोदी सरकार यहां भी उस नियम को लागू करना चाहती है लेकिन इन नियमों को लागू करने पर आमादा सरकार अमेरिका और भारत की परिस्थितियों पर विचार करना भूल गई. वह भूल गई कि अमेरिका में मात्र तीस फीसदी किसान हैं और भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां लगभग 70 फीसदी किसान हैं. अमेरिका में किसानों के नुकसान की भरपाई सरकार करती है जबकि भारत में इतने बड़े पैमाने पर इतनी संख्या में किसानों को सब्सिडी देना संभव ही नहीं है. ऐसे में नए कानून लागू होंगे तो सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहेगा. सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा भले ही कर ले पर वह मूल्य किसानों को मिलेगा या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है. यही वजह है कि आज देश का किसान सड़कों पर है. सरकार जानती है कि किसानों का यह आंदोलन ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाला. वह मेहनतकश किसानों का हौसला टूटने का इंतजार कर रही है. लेकिन वह यह भूल रही है कि अगर किसानों के साथ अन्याय बंद नहीं हुआ और सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती तो यह आंदोलन हिंसक रूप भी ले सकता है. अगर किसान हिंसक हुए तो सिर्फ तबाही होगी. इसलिए सरकार को अगर देश में शांति व्यवस्था बरकरार रखनी है तो उसे किसानों के हित का ध्यान रखते हुए तत्काल नए कृषि कानूनों को रद करना होगा.
उन्होंने कहा कि किसानों के साथ इस ज्यादती की शुरूआत तो वर्ष 2002 में ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल वाजपेयी की सरकार में ही शुरू हो गई थी. यह बिल उसी वक्त लाया गया था. अब सरकार ने इसे कानून बना दिया है. जो देश को बर्बादी की दिशा में ले जाएगा. इसलिए सरकार इन कानूूूूूनों को तत्काल रद करे.

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