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बाहरी भाषा नाय चलतो…नाय चलतो…शादी कार्ड पर छपवाकर दिया संदेश

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गोनियांटो के राजकुमार का बनासो की पिंकी का विवाह, शादी कार्ड से आंदोलन को दिया समर्थन
बोकारो थर्मल। रामचंद्र कुमार अंजाना
झारखंड में भाषा विवाद के साथ स्थानीय नीति की मांग से सरकार की हर तरह किरकिरी हो रहीं है। कई समाजिक संगठन इस मुद्दे को लेकर सड़क पर उतर गए है। संगठनों की मांग है कि सरकार पहले 1932 के आधार पर स्थानीय खतियान नीति को लागू करें और क्षेत्रीय भाषाओं में मगही, भोजपुरी व अंगिका को शामिल करने से परहेज करें। बोकारो, धनबाद, गिरीडीह, हजारीबाग के अलावा यह आंदोलन पूरें झारखंड में बड़ा स्वरूप हासिल कर रहा है। अब इस आंदोलन के समर्थन में एक अनोखा पहल सामने आया है। इसमें बेरमो के ऊपरघाट स्थित गोनियांटो निवासी सुखदेव प्रसाद महतो के बेटे राजकुमार महतो के शादी कार्ड में बाहरी भाषा नाय चलतो…नाय चलतो…नाय चलतो का स्लोगन छपवाकर एक संदेश दिया है। राजकुमार की शादी बिष्णुगढ़ के बनासो-नावाटांड निवासी मनोज महतो की बेटी पिंकी कुमारी से 18 फरवरी को हुई। शादी कार्ड के मुख्य पृष्ठ पर दुल्हा राजकुमार ने झारखंडी भाषा ओर माटी पर स्लोगन छपवाया है। खुद राजकुमार इस भाषा और खतियान की आंदोलन में सक्रिय है। कहते है कि उनका विरोध किसी खास भाषा को लेकर नहीं है। लेकिन झारखंड में झारखंडी भाषा ओर झारखंडी संस्कृति को ही स्थान मिले ना कि बाहरी भाषा उन्हें जबर्दस्ती थोपा जाए। दुल्हा राजकुमार महतो के छोटे भाई राजकिशोर महतो ने लगभग 500 शादी कार्ड के जरिए इस आंदोलन में लोगों से समर्थन करने की मांग किया है। बताया कि झारखंड के विधार्थियों को जेएसएससी जैसे परीक्षाओं में यहां के क्षेत्रीय भाषाओं को ही सिर्फ शामिल होनी चाहिए। यदि इस शुरूआती दौर में आंदोलन ना किया जाए तो आनेवाले दिनों में झारखंडी विधार्थियों का भविष्य और भी अंधकार मय हो जाऐगा। ऐसे में सरकार को चाहिए कि 1932 का खतियान आधारित स्थानीयता नीति को लागू किया जाए। झारखंड बनाने का मुख्य उदेश्य यहां के आदिवासियों और मुल निवासियों का उत्थान है। नौकरियां और विभिन्न योजनाओं में झारखंडियों की अधिक से अधिक भागीदारी को लेकर झारखंड बना है।
फोटो- शादी कार्ड में छपवायी स्लोगन।

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