दुनिया जहान में न्यारा
मैं हिंदुस्तान हूँ।
सारे जग से ही निराला
मैं हिंदुस्तान हूँ।।
विरासत लेकर चल रहा
संस्कार संस्कृति की।
प्रेम अमन का भरा प्याला
मैं हिंदुस्तान हूँ।।
अतिथि देवो भव आचरण
मैं हिंदुस्तान हूँ।
ध्यान ज्ञानमंत्रों का उच्चारण
मैं हिंदुस्तान हूँ।।
संकल्पना आत्म निर्भरता
का उदाहरण हूँ मैं।
बड़े बुजुर्गों का वंदन चारण
मैं हिंदुस्तान हूँ।।
महाभारत की यह महाहाला
मैं हिंदुस्तान हूँ।
वेदों की देव दीप शाला
मैं हिंदुस्तान हूँ।।
एकसौपैंतीस कोटिआशीर्वाद
अग्रसर कर्मपथ पर।
शत्रुओं लिए भीषण ज्वाला
मैं हिंदुस्तान हूँ।।
संत ऋषि मुनियों की दुशाला
मैं हिंदुस्तान हूँ।
शौर्यगाथायों हल्दीघाटी वाला
मैं हिंदुस्तान हूँ।।
वसुधैव कुटुम्बकम पड़ोसी
धर्म पालन कर्ता।
विविधता में एकता पाठशाला
का मैं हिंदुस्तान हूँ।।
तेजी से विकास राज दुलारा
मैं हिंदुस्तान हूँ।
विश्वगुरु शांति दूत का उजाला
मैं हिंदुस्तान हूँ।।
सारे जग में शान अदभुत
मेरी निराली है।
पूरी दुनिया में ही सबसे आला
मैं हिंदुस्तान हूँ।।
रचयिता – एस के कपूर श्री हंस
बरेली