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ज्योतिबाफुले और सावित्री बाई के संघर्षों को जानें लोग इसलिए डॉ. अनीस बेग ने बुक करा दिया पूरा सिनेमा हॉल, फिल्म “फुले” के माध्यम से महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश दिया

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नीरज सिसौदिया, बरेली
ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले इतिहास की वो हस्ती हैं जिन्होंने हिन्दुस्तान की भयावह तस्वीर में उम्मीदों और समानता के रंग भरे थे। उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा रहा है। उनके इस संघर्ष को दुनिया जान सके इसलिए बरेली के जाने-माने बाल रोग विशेषज्ञ और समाजवादी पार्टी चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉक्टर अनीस बेग ने पूरा सिनेमा हॉल ही बुक कर लिया। शनिवार को बरेली के सैकड़ों लोगों को अनीस बेग की ओर से ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले के जीवन पर आधारित फिल्म ‘फुले’ फीनिक्स मॉल में फ्री में दिखाई गई। फिल्म देखने के बाद सभी लोगों ने फिल्म के साथ ही डॉक्टर अनीस बेग की सराहना की। जैनब फातिमा और रणवीर सिंह जाटव ने डॉक्टर अनीस बेग का आभार जताते हुए कहा कि अनीस बेग इसके लिए बधाई के पात्र हैं कि उनकी वजह से आज सैकड़ों बरोलीवासी इन महापुरुषों के संघर्षों के बारे में जान पाए। जिस तरह से ज्याेतिबा फुले और सावित्री बाई को फातिमा शेख का साथ मिला था उसी तरह की हिन्दू -मुस्लिम सद्भावना की मिसाल आज डॉक्टर अनीस बेग से पेश की है।


डॉ अनीस बेग, जिला अध्यक्ष चिकित्सा प्रकोष्ठ और मैक्स लाइफ हॉस्पिटल की तरफ से फीनिक्स मॉल में फिल्म “फुले” की निःशुल्क स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया था। इसका उद्देश्य महात्मा ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले के जीवन मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाना था। जिन्होंने जातिवाद और लिंग असमानता के खिलाफ संघर्ष किया और सामाजिक न्याय के लिए काम किया।


इस अवसर पर डॉ अनीस बेग ने कहा, “हमें महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी को एक होकर रहना चाहिए। अपने जीवन में उनके आदर्शों को उतारना चाहिए। फुले फिल्म महात्मा ज्योतिराव फुले और उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले के जीवन पर आधारित है, जिन्होंने जातिवाद और लिंग असमानता के खिलाफ संघर्ष किया और सामाजिक न्याय के लिए काम किया।


ज्योतिबा फुले का कार्य जातिवाद और लिंग असमानता के खिलाफ संघर्ष, महिलाओं और दलितों को शिक्षित करने और सामाजिक न्याय के लिए सत्यशोधक समाज की स्थापना पर केंद्रित था। महात्मा ज्योतिबा फुले को भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन का प्रणेता माना जाता है। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने उन्हें अपना प्रेरणा स्रोत माना। हमें भी उनके इस त्याग, बलिदान को हमेशा याद रखना चाहिए। आज हमें जो प्यार, सम्मान और जो बराबरी का दर्जा मिलता है, उसमें ज्योतिबा फुले का बहुत बड़ा योगदान है।”


इस अवसर पर समाजवादी पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे। इनमें सपा के जिला अध्यक्ष शिवचरण कश्यप, महानगर अध्यक्ष शमीम खां सुल्तानी, कैंट विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष रोहित राजपूत, आरजे जीशान हैदर, ज़ैनब फातिमा और अन्य शामिल थे। सभी ने डॉ अनीस बेग की इस पहल की सराहना की और महापुरुषों के आदर्शों को अपनाने का संकल्प लिया।
साथ ही सरकार से इस फिल्म को टैक्स फ्री करने की मांग भी की।


डॉक्टर अनीस बेग ने इस फिल्म को लोगों को निशुल्क दिखाने का निर्णय क्यों लिया, इस बारे में पूछने पर अनीस बेग ने कहा, “फिल्म “फुले” एक ऐसी फिल्म है जो महात्मा ज्योतिराव फुले और उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले के जीवन पर आधारित है। यह फिल्म उनके संघर्षों, उनकी उपलब्धियों और उनके आदर्शों को दर्शाती है, जो आज भी प्रासंगिक हैं।” उन्होंने बताया कि महात्मा ज्योतिराव फुले एक महान समाज सुधारक थे जिन्होंने 19वीं शताब्दी में भारत में जातिवाद और लिंग असमानता के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और उन्हें शिक्षित करने के लिए काम किया। उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले भी एक महान सामाजिक सुधारक थीं जिन्होंने अपने पति के साथ मिलकर काम किया और महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।


फिल्म “फुले” में महात्मा ज्योतिराव फुले और सावित्री बाई फुले के जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया गया है। फिल्म में उनके संघर्षों, उनकी उपलब्धियों और उनके आदर्शों को दिखाया गया है। फिल्म के माध्यम से दर्शकों को महात्मा ज्योतिराव फुले और सावित्री बाई फुले के जीवन से प्रेरणा लेने का अवसर मिलता है।
फिल्म “फुले” एक प्रेरणादायक फिल्म है जो दर्शकों को महात्मा ज्योतिराव फुले और सावित्री बाई फुले के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित करती है। यह फिल्म सामाजिक सुधार और महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वालों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत हो सकती है। इसलिए उन्होंने लोगों को मुफ्त फिल्म दिखाने का निर्णय लिया।

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