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मेयर उमेश गौतम ने बरेली में बहाई ‘विकास की गंगा’, अब उस गंगा में तैर रही हैं लाशें और व्‍यापारियों की दुकानों का सामान, पढ़ें बरेली के मेयर उमेश गौतम की ‘विकास की गंगा’ की हकीकत

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नीरज सिसौदिया, बरेली
बरेली के मेयर डॉक्‍टर उमेश गौतम अक्‍सर अपने भाषणों और मीडिया को दिए गए बयानों में यह कहते सुनाई देते हैं कि बरेली में उन्‍होंने विकास की गंगा बहा दी है। मेयर के शब्‍दों में कहें तो सोमवार को हुई बरसात के कारण मेयर की इस गंगा में बाढ़ आ गई और यह नजारा देख कब्र में चैन से सो रहीं लाशें इतनी प्रभावित हुईं कि वो कब्र से निकलकर बाहर आ गईं और मेयर की विकास की गंगा में स्विमिंग करने लगीं।

व्यापारियों का बर्बाद हुआ सामान देखते कैंट विधायक संजीव अग्रवाल

बात सिर्फ लाशों की ही नहीं थी। व्‍यापारियों की दुकानों में रखा हुआ कीमती सामान भी जब दुकानों में पड़ा- पड़ा बोर होने लगा तो वह भी अपने आप दुकानों से बाहर निकलकर विकास की गंगा में तैरने लगा। जी हां, हम कोई मजाक नहीं कर रहे हैं, बल्कि यह वो भद्दा मजाक है जो बरेली नगर निगम के मेयर और अधिकारी पिछले कई वर्षों से बरेली की जनता के साथ करते आ रहे हैं।

कब्रिस्तान का जायजा लेते सपा नेता डॉक्टर अनीस बेग

सबसे पहले बात व्‍यापारियों की। बटलर प्‍लाजा की दुकानों में सोमवार को हुई बार‍िश के कारण इतना पानी घुस गया कि व्‍यापारियों की परेशानी देख देर रात खुद कैंट विधायक संजीव अग्रवाल को मौके पर जाना पड़ा। उन्‍होंने जब हालात का जायजा लिया तो हैरान रह गए। व्‍यापारियों ने उन्‍हें अपना दर्द बताया और संजीव अग्रवाल ने तत्‍काल नगर निगम के अधिकारियों को फोन मिलाया। व्‍यापारियों का काफी सामान बर्बाद हो चुका था। यह स्थिति इसलिए उत्‍पन्‍न हुई क्‍योंकि विकास की गंगा बहाने वाले मेयर साहब गंगा को सही रास्‍ता दिखाने के लिए जल निकासी का कोई ठोस इंतजाम पिछले सात वर्षों में नहीं कर सके हैं।

कब्रिस्तान में भरा पानी

अब बात पुराने शहर की। पुराने शहर को तो जैसे नगर निगम वालों ने पुराना समझकर छोड़ ही दिया है। मुस्लिम बाहुल्‍य इस इलाके में सतीपुर रोड स्थित ककरईया वाला कब्रिस्‍तान में लगभग 4 से 5 फुट तक पानी भर गया। बात सिर्फ जलभराव की होती तो शायद बर्दाश्‍त की जा सकती थी लेकिन मामला पुरखों की कब्र तक पहुंच गया। 7 से 8 लाशें कब्र से निकलकर विकास की गंगा में तैरने लगीं। एक सपा नेता मौके पर पहुंचे और मेयर उमेश गौतम को फोन भी लगाया लेकिन समाचार लिखे जाने तक समस्‍या का कोई समाधान नहीं हो सका।

व्यापारियों की समस्या सुनते विधायक संजीव अग्रवाल।

ये तो विकास की गंगा के कुछ उदाहरण मात्र हैं। ऐसी विकास की छोटी-छोटी गंगा तो बरेली शहर में न जाने कितनी जगहों पर बह रही हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में जनता इस विकास की गंगा में कहीं भारतीय जनता पार्टी को न डुबो दे। मेयर उमेश गौतम की नाकामियों का खामियाजा कहीं भाजपा जैसी समर्पित पार्टी को न उठाना पड़ जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां कश्‍मीर तक ट्रेन पहुंचाकर विकास की नई इबारत लिख रहे हैं वहीं, मेयर उमेश गौतम की विकास की गंगा पीएम मोदी की कोशिशों को शर्मसार कर रही है। अब भी वक्‍त है। अगर जाग गए तो बहुत कुछ सुधर सकता है वरना बरेली में विकास की गंगा पूरी भाजपा को ले डूबेगी।

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