इंटरव्यू

मैं धर्म देखकर काम नहीं करता, मेरी मेहनत और तैयारी 30 साल की है, जब शहर से 97000 वोट ला सकता हूं तो कैंट तो मेरा घर है, पढ़ें कैंट विधानसभा सीट से सपा के टिकट के दावेदार और पूर्व प्रत्याशी राजेश अग्रवाल का बेबाक इंटरव्यू

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वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर शहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले सपा पार्षद और महानगर उपाध्यक्ष राजेश अग्रवाल इस बार कैंट विधानसभा सीट से टिकट के लिए दावेदारी जता रहे हैं। कैंट विधानसभा सीट पर वह सपा का सबसे मजबूत हिन्दू चेहरा हैं। राजेश अग्रवाल इस बार शहर की जगह कैंट सीट से चुनाव क्यों लड़ना चाहते हैं, भाजपा नेताओं से संबंधों और भाजपा में सेंधमारी को लेकर वो क्या सोचते हैं? भाजपा विधायकों के साथ मंच साझा करने की क्या वजह है? विधायक संजीव अग्रवाल के निवास स्थान वाले बूथ पर नगर निगम चुनाव में जीत हासिल करने वाले राजेश अग्रवाल क्या विधानसभा चुनाव में ऐसा कोई करिश्मा कर पाएंगे? मुस्लिम प्रत्याशी को लेकर उनका क्या नजरिया है? ऐसे कई सवालों का राजेश अग्रवाल ने बड़ी बेबाकी से जवाब दिया। पेश हैं इंडिया टाइम 24 के संपादक नीरज सिसौदिया के साथ सपा नेता राजेश अग्रवाल की विशेष बातचीत के मुख्य अंश…

सवाल : सबसे पहले तो यह बताइए कि क्या इस बार भी विधानसभा चुनाव लड़ने का मन है?

जवाब : हां जी, बिल्कुल है और 125 कैंट विधानसभा सीट से पूरी तरह दावेदारी है। क्यों न लड़ें चुनाव? 30 साल से जनता के लिए काम कर रहे हैं। निस्वार्थ भाव से, ईमानदारी से और 24 घंटे काम कर रहे हैं।

सवाल : पिछली बार अपने शहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और इस बार आप कैंट विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे हैं, तो ऐसा नहीं लगेगा कि प्रत्याशी एक बार सीट से चुनाव लड़ता है फिर भाग जाता है, सीट बदल देता है, क्या एक गलत संदेश नहीं जाएगा?

जवाब : देखिए मेरा कैंट विधानसभा क्षेत्र में निवास है और इसी विधानसभा क्षेत्र के तीन वार्डों से मैं 30 साल में सभासद रहा हूं। पिछली बार मुझे कैंट विधानसभा सीट से टिकट नहीं मिला था। मुझे शहर विधानसभा सीट से टिकट दिया गया तो मैं शहर से लड़ा और वहां भी अच्छे परिणाम आए। जब मैं शहर विधानसभा सीट से लड़कर 97000 वोट ला सकता हूं जहां मेरा निवास नहीं है, जो मेरा अपना वार्ड नहीं है तो कैंट जहां मैं 50 साल से निवास कर रहा हूं और जहां मैं दिन-रात लोगों के काम आता हूं, वह कैंट मेरे लिए कितना सूटेबल है इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। यह बात जो सपा के टिकट के दावेदार हैं वह नहीं जानते मेरे बारे में लेकिन भारतीय जनता पार्टी के एक-एक कार्यकर्ता से लेकर बड़े-बड़े नेता तक यह जानते हैं कि मैं कैंट विधानसभा सीट पर कितनी मजबूती के साथ चुनाव लड़ सकता हूं।

अखिलेश यादव के साथ राजेश अग्रवाल

सवाल : कुछ मुस्लिम दावेदार भी हैं जिनका यह कहना है कि मुसलमान को टिकट न देने की वजह से मुस्लिम वोटर निराश होता है और इसी वजह से समाजवादी पार्टी कैंट विधानसभा सीट से पिछली बार चुनाव हार गई?

जवाब : देखिए चुनाव किसी एक जाति या किसी एक धर्म के वोट पर नहीं होता। हां यह बात सच है कि मुस्लिम मतदाता पिछले दो-तीन चुनाव से समाजवादी पार्टी के साथ पूरी तरह से जुड़ा हुआ है लेकिन यह बात सही है कि चाहे मैं चुनाव लड़ा हूं या कोई और चुनाव लड़ा हो, हिन्दू वोट जितने आने चाहिए थे उतने नहीं आए। लेकिन आप शायद अगला सवाल करो तो मैं पहले ही बता देता हूं कि पिछले 30 साल से मैं जो मेहनत कर रहा हूं वह किसी व्यक्ति की जाति या धर्म देखकर नहीं कर रहा हूं। मैं सबके काम आता हूं। जो भी भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लड़ेगा, चाहे वह शहर की सीट हो या कैंट विधानसभा सीट हो, अगर कोई भारतीय जनता पार्टी का वोटर है तो वह समाजवादी पार्टी या किसी अन्य पार्टी को वोट तभी देगा जब उम्मीदवार व्यक्तिगत रूप से उसके काम आया हो। यह शायद मेरी 30 साल की मेहनत है कि मैं व्यक्तिगत रूप से लोगों के बड़े काम आया हूं।

सवाल : पिछले नगर निगम चुनाव में आप भाजपा विधायक के वार्ड से लड़े और विधायक के बूथ पर भी अपने जीत हासिल की, यह कैसे संभव हो सका?

जवाब : देखिए मेरे खिलाफ भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार खड़ा हुआ था। पिछले चुनाव तक मैं विधायक के निवास वाले बूथ से 270 वोटों से हार जाता था लेकिन इस बार मैं 50-60 वोटों से जीत गया तो इसके पीछे वजह यह रही कि मैं हर 5 साल में अपनी कार्यशैली में और अधिक सुधार करता रहा। मैं तो 30 साल से रामपुर बाग से पार्षद हूं। मैं इस बात पर कभी ध्यान नहीं देता था कि मुझे किसने वोट दिया और किसने नहीं दिया। मेरे पास जो काम लेकर आता था मैं उसका काम जरूर करता था। तो लोगों को लगा कि जो शख्स हर वक्त उनके काम आता है क्यों न उसे ही वोट दिया जाए और उसी का नतीजा है कि मैं चुनाव भी जीता और विधायक जी के बूथ से भी मुझे जीत मिली।

अपनी बात बेबाकी से रखते पूर्व प्रत्याशी और पार्षद राजेश अग्रवाल।

सवाल : अभी तक आप दो भूमिका में थे, पहली वार्ड पार्षद की और दूसरी महानगर उपाध्यक्ष की, अब टिकट की दावेदारी करने के बाद आप तीसरी भूमिका में भी आ गए हैं। तो इन तीनों भूमिकाओं में सामंजस्य किस तरह स्थापित करेंगे?

जवाब : देखिए चुनाव वही जीत सकता है जो किसी एक भूमिका तक सीमित न रहे बल्कि कई मोर्चों पर संघर्ष कर रहा हो। उदाहरण के तौर पर, हम व्यापार मंडल में भी हैं, हम वैश्य महासम्मेलन में भी हैं, हम बरेली विकास प्राधिकरण में भी हैं, हम धार्मिक संस्थाओं में भी हैं। हम नगर निगम में भी हैं और पार्टी के महानगर संगठन में भी हैं, तो आप किसी से भी यह जानकारी ले सकते हैं कि हम अपनी हर भूमिका के लिए अपना सौ प्रतिशत देते हैं अथवा नहीं? बरेली विकास प्राधिकरण और नगर निगम में हम किस मजबूती के साथ अपनी बात रखते हैं यह सब जानते हैं। कुल मिलाकर कहने का मतलब यह है कि जो व्यक्ति विभिन्न मोर्चों पर काम करेगा और लोगों के काम आएगा उसे चुनाव लड़ने का पूरा हक है और शायद वह चुनाव जीत भी सकता है। शायद इसलिए कह रहा हूं क्योंकि भारतीय जनता पार्टी हर तरह से सक्षम पार्टी है।

सवाल : कई बार आपको भाजपा विधायकों के साथ भी मंच साझा करते हुए देखा गया है?

जवाब : यह बिल्कुल गलत बात है, ऐसा बिल्कुल नहीं है। कई बार अरुण कुमार जी, कई बार मेयर उमेश गौतम जी और कई बार संजीव अग्रवाल जी अगर किसी कार्यक्रम में हैं और हमें भी उन कार्यक्रमों में बुलाया गया है तो हमें बैठना होगा। समाज के लोग जो कार्यक्रम करते हैं और जिसमें भारतीय जनता पार्टी के लोग आते हैं उसमें एक समाजवादी को उसी सम्मान के साथ बुलाया जाता है, विपक्ष में होने बाद भी बुलाया जाता है जबकि कोई सत्ता नहीं है समाजवादी पार्टी की, तो यह मेरे लिए यह बहुत बड़ा आशीर्वाद है भगवान का। चाहे वह पर्वतीय समाज हो, गंगवार समाज हो, सिख समाज हो, लोधी राजपूत समाज हो या कोई भी समाज हो जहां भारतीय जनता पार्टी के विधायकों को बुलाया जाता है, वहां लोग मुझे बुलाते हैं। यह उपलब्धि मेरी इसीलिए तो है कि मैं भले ही कुछ नहीं हूं लेकिन मेरा काम है, मैं उनके काम आता हूं। हाल ही की बात है जनकपुरी में नगर निगम से संबंधित एक मामला था जिसमें भारतीय जनता पार्टी के लोग मेरी मदद मांगने आए और मैंने उनका काम किया। इसी तरह हाउस टैक्स के मामले में भी मैंने जाने कितने लोगों के काम करवाए। वह भारतीय जनता पार्टी के लोग बाद में हैं पहले वह शहर के नागरिक हैं और नागरिक होने के नाते कोई भी किसी के पास जा सकता है।

सवाल : तो क्या यह कहा जाए कि आप भाजपा में सेंधमारी कर रहे हैं?

जवाब : मैं उनके काम आता हूं, मेरे उनसे व्यक्तिगत संबंध हैं। मेरी तैयारी और ये मेहनत चुनाव के समय की नहीं है। ये तो 30 साल की मेहनत है। 30 साल हमने शहर की सेवा की है।

सवालों के जवाब देते सपा नेता और पूर्व प्रत्याशी राजेश अग्रवाल।

सवाल : कैंट विधानसभा क्षेत्र में पीडीए कि क्या भूमिका है?

जवाब : देखिए पीडीए का मतलब है कि जो पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक या अगड़े जो प्रताड़ित हैं उनको जोड़ना है। अब सवाल यह उठता है कि वह कब जुड़ पाएंगे तो पहले तो हम समाजवादी नीतियां बताएं और अगर हम उन्हें व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं तो वह जल्दी जुड़ जाएंगे। मैं भीड़ लेकर नहीं चल सकता क्योंकि मुझे लोगों का काम करना है, मुझे समाज पर भीड़ के माध्यम से इंप्रेशन नहीं जमाना है। मैं सिर्फ परिवर्तन लाने के लिए राजनीति में आया हूं और अपने स्तर पर जितना संभव होता है परिवर्तन करवाता भी हूं चाहे वह स्थानीय स्तर पर हो या लखनऊ के स्तर पर।

सवाल : हाल ही में समाजवादी पार्टी के कैंट विधानसभा क्षेत्र प्रभारी अनुराग सिंह पटेल बरेली आए थे। उन्होंने इंडिया टाइम 24 के साथ विशेष बातचीत में कहा था कि कैंट विधानसभा सीट पर पार्टी ऊपरी स्तर पर तो मजबूत है लेकिन बूथ स्तर पर काफी सुधार की जरूरत है तो बूथ स्तर पर व्यक्तिगत तौर पर आपकी क्या तैयारी है?

जवाब : जी बिल्कुल सही कहा था उन्होंने। जब तक जो भी चुनाव लड़े पार्टी से उसके साथ हर बूथ पर 8-10 कार्यकर्ता न हों, तब तक चुनाव लड़ने का कोई लाभ नहीं और चुनाव के दिन वह 8-10 लोग भी तीन से चार ही रह जाएंगे क्योंकि विभिन्न कारणों से वह आखिर तक नहीं रह पाता है। चुनाव लड़ने का हमें तजुर्बा बहुत है। विधानसभा के चुनाव लड़े हैं नगर निगम के चुनाव लड़े हैं, कार्यकारिणी के चुनाव लड़े हैं, और न जाने कितने चुनाव जौहरी जी से लेकर अब तक लड़ाए हैं। जब मैं 12वीं कक्षा में था तब मैंने पहला चुनाव लड़वाया था, उस समय मेरी उम्र 16-17 साल की रही होगी। बूथ स्तर पर हमारी बहुत अच्छी तैयारी है और फिलहाल हमारी तैयारी प्रारंभिक स्तर पर है क्योंकि अभी लोकसभा चुनाव हुए हैं। उसके बाद वोटर लिस्ट अभी आई है जनवरी में और हम जून में हैं तो विभिन्न स्तरों पर तैयारी हो रही है लेकिन यह बात सही है कि अगले 6 महीनाें में हमारी तैयारी इस स्तर पर होगी कि हम जिसके सामने प्रेजेंट करेंगे वह उस तैयारी को स्वीकार करेगा।

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