समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने दो दिन पहले यह घोषणा की है कि वर्ष 2027 में समाजवादी पार्टी इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। बरेली के दिग्गज कांग्रेस नेता नवाब मुजाहिद हसन खां ने इस गठबंधन को सपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए फायदेमंद बताया है। साथ ही यह भी दावा किया है कि अगर सपा और कांग्रेस का गठबंधन होता है तो कांग्रेस पार्टी बरेली कैंट विधानसभा सीट पर दावा करेगी। इसकी क्या वजह है? क्या नवाब मुजाहिद इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं? आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर उनकी और कांग्रेस पार्टी की बरेली में क्या तैयारी है? क्या कांग्रेस के बड़े नेता इस बार बरेली में नजर आएंगे? क्या कैंट सीट पर एक से अधिक मुस्लिम उम्मीदवार उतरने पर मुस्लिम वोटों का बंटवारा होगा? ऐसे ही कई दिलचस्प सवालों के जवाब दिए कांग्रेस नेता और कैंट विधानसभा सीट से सपा-कांग्रेस गठबंधन के पूर्व प्रत्याशी नवाब मुजाहिद हसन खां ने। पेश हैं नवाब मुजाहिद हसन खां से इंडिया टाइम 24 के संपादक नीरज सिसौदिया की बातचीत के मुख्य अंश…
सवाल : इस बार चुनाव लड़ने का विचार है या नहीं?
जवाब : देखिए अभी तो कहना बहुत जल्दी है इस बारे में। आगे क्या माहौल रहता है, गठबंधन होता है या नहीं होता है। चुनाव के करीब कैसा माहौल रहता है, तब डिसाइड किया जा सकता है कि चुनाव लड़ना है या नहीं।

सवाल : आपने हाल ही में एक बड़ा आयोजन किया है जिसकी काफी चर्चा हो रही है? इस कार्यक्रम के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस कैंट विधानसभा सीट पर दावा कर सकती है अगर समाजवादी पार्टी के साथ उसका गठबंधन होता है। आपको क्या लगता है कि समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस को गठबंधन करना चाहिए या नहीं करना चाहिए?
जवाब : देखिए गठबंधन होने से दोनों दलों को फायदा है। समाजवादी पार्टी को भी फायदा है और कांग्रेस को भी फायदा है। कांग्रेस निश्चित तौर पर कैंट विधानसभा सीट पर दावा करेगी क्योंकि वर्ष 2017 की विधानसभा चुनाव में जब गठबंधन हुआ था तो कांग्रेस उम्मीदवार को काफी अच्छे वोट मिले थे और काफी कम वोटों के अंतर से हर हुई थी। इसलिए कांग्रेस को दावा करना चाहिए और निश्चित तौर पर कैंट विधानसभा सीट पर कांग्रेस दावा करेगी।
सवाल : आपके हिसाब से गठबंधन कब तक हो जाना चाहिए और उम्मीदवार को चुनाव प्रचार के लिए कितना समय मिलना चाहिए क्योंकि आपकी शिकायत रही है कि पिछली बार आपको चुनाव प्रचार के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला?
जवाब : यह बात सही है कि मुझे पिछली बार चुनाव प्रचार के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला लेकिन जब दो दलों के बीच गठबंधन की बात होती है तो बात चलते-चलते काफी वक्त गुजर जाता है और चुनाव सामने खड़ा होता है। मुझे लगता है कि गठबंधन होना है या नहीं होना है इस पर फैसला चुनाव से 1 साल पहले ही हो जाना चाहिए और 1 साल पहले ही उम्मीदवार भी घोषित कर दिया जाना चाहिए। क्योंकि तभी एक उम्मीदवार अपने विधानसभा क्षेत्र में ठीक तरीके से चुनाव प्रचार कर सकता है। विधानसभा में चुनाव प्रचार के लिए किसी भी प्रत्याशी को कम से कम एक साल का वक्त तो मिलना ही चाहिए। अगर इससे कम वक्त मिलता है तो फिर चुनाव प्रचार महज औपचारिकता बनकर रह जाता है। कांग्रेस में तो हमेशा से यही होता आया है कि चुनाव से 15 -20 दिन पहले ही उम्मीदवार घोषित किया जाता है। इन परिस्थितियों में होता यह है कि उम्मीदवार सारी ताकत टिकट हासिल करने में लगा देता है और कन्वेंसिंग धारी की धरी रह जाती है।

सवाल : यह तो बात रही गठबंधन की। अगर पार्टी आपको उम्मीदवार बनाती है तो आपकी क्या तैयारी है। क्या आपको लगता है कि पार्टी को अभी से चुनाव की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए क्योंकि चुनाव में अब सिर्फ डेढ़ साल का ही वक्त रह गया है?
जवाब : देखिए व्यक्तिगत तौर पर तो मैंने अभी चुनाव की कोई तैयारी शुरू नहीं की है लेकिन पार्टी को अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। तैयारी शुरू होती है संगठन से। जिला अध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष को अभी से वार्ड स्तर पर, बूथ स्तर पर, मतदाता सूची को लेकर तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए।
सवाल : क्या कांग्रेस पार्टी ने बूथ स्तर पर अभी कोई चुनाव की तैयारी शुरू की है?
जवाब : देखिए मुझे तो नहीं लगता कि संगठन की ओर से अभी इस स्तर पर कोई तैयारी की जा रही है। अभी तो सिर्फ पार्टी की ओर से संगठन सृजन अभियान चलाया जा रहा है। इसके अलावा तो कोई काम पार्टी ने बरेली में शुरू नहीं किया है।
सवाल : समाजवादी पार्टी से कई मुस्लिम दावेदार कैंट विधानसभा सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। टिकट एक व्यक्ति को ही मिलना है। अगर कांग्रेस के साथ सपा का गठबंधन नहीं हुआ या कोई मुस्लिम दावेदार निर्दलीय या किसी दूसरे दल से चुनाव मैदान में उतर गया तो क्या आपको लगता है कि मुस्लिम वोटों का बंटवारा होगा और भाजपा को इसका फायदा मिलेगा?
जवाब : यह इस बात पर डिपेंड करेगा कि टिकट किसको मिला है और निर्दलीय या दूसरे दल से लड़ कौन रहा है। यह उसी वक्त तय हो पाएगा कि मुस्लिम वोट बंटेगा या नहीं बंटेगा। इस वक्त मुसलमान जिस दौर से गुजर रहा है वह बिल्कुल भी नहीं चाहता कि मुस्लिम वोटो का बंटवारा हो वह चाहता है कि सारे वोट एक ही तरफ जाएं चाहे जिस भी पार्टी को जाएं।
