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बेग अस्पताल संचालक को फंसाने की साजिश नाकाम, अपने ही जाल में फंस गए फंसाने वाले

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नीरज सिसौदिया, बरेली
बरेली के प्रतिष्ठित बेग हास्पिटल एंड फहमी मैटरनिटी सेंटर के संचालक को फर्जी मामले में फंसाने की साजिश नाकाम हो गई है. वहीं, अस्पताल संचालक को फंसाने की साजिश रचने वाले खुद ही अपने बुने हुए जाल में फंस गए हैं. अस्पताल संचालक ने उन्हें बीस लाख रुपए का मानहानि का नोटिस भेजा है.
बता दें कि बेग हॉस्पिटल एंड फहमी मैटरनिटी सेंटर बरेली का एक प्रतिष्ठित अस्पताल है. जहां आईसीयू, एनआईसीयू और डायलिसिस की भी सुविधा मौजूद है. अस्पताल के संचालक डा. अनीस बेग हैं जो पिछले लगभग 16 वर्षों से सफलता पूर्वक अस्पताल संचालित कर रहे हैं. एक चाइल्ड स्पेशलिस्ट होने के साथ ही डा. बेग समाजसेवा के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं. यही वजह है कि उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती गई और उनके अस्पताल के साथ प्रतिष्ठित डॉक्टर भी जुड़ते गए. वर्ष 2004 में स्थापित बेग हॉस्पिटल ने कुछ ही वर्षों में बरेली ही नहीं बल्कि आसपास के इलाकों में भी अपनी अलग पहचान बना ली थी. यही वजह है कि पीलीभीत, बदायूं, मीरगंज, टनकपुर समेत मंडल के विभिन्न जिलों से मरीज यहां इलाज कराने आते हैं. कुछ दिन पहले एक मरीज यहां सिर का ऑपरेशन कराने आया था. सफल ऑपरेशन करने के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी थी. घर जाने के बाद मरीज की किन्हीं कारणों से मौत हो गई. इस पर डा. बेग के किसी विरोधी ने एक निजी वेब चैनल को सूचना दे दी कि बेग हॉस्पिटल में मरीज की किडनी निकाल ली गई जिसके कारण मरीज की मौत हो गई. वेब चैनल ने खबर की सत्यता परखे बिना ही बेग अस्पताल संचालक को किडनी चोर साबित कर दिया. हैरानी की बात तो यह है कि जब मरीज के पेट में कोई चीर फाड़ ही नहीं की गई तो फिर किडनी कैसे निकाल ली गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से पहले ही डा. बेग को दोषी कैसे करार दिया गया? विरोधियों की यह साजिश उस वक्त पूरी तरह नाकाम हो गई जब यह पता चला कि जिस व्यक्ति की किडनी चोरी का आरोप लगाया जा रहा है उसका तो सिर का ऑपरेशन हुआ था पेट का नहीं. अगर किडनी बेग अस्पताल में निकाली गई होती तो पेट पर चीर फाड़ का कोई निशान जरूर होता क्योंकि अभी तक चिकित्सा जगत में ऐसी कोई तकनीक विकसित नहीं हो सकी है जिससे बिना चीर फाड़ किए किसी की भी किडनी शरीर के बाहर निकाली जा सके. एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि किडनी को शरीर से निकालने के बाद उसे सुरक्षित रखने के लिए जो संसाधन जरूरी होते हैं वे संसाधन बेग हास्पिटल में उपलब्ध ही नहीं हैं. यहां किडनी ट्रांसप्लांट की कोई व्यवस्था ही नहीं है. ऐसे में स्पष्ट है कि यह साजिश अस्पताल की छवि को खराब करने और डा. बेग को फंसाने के लिए रची गई थी. इस संबंध में डा. बेग ने कहा कि अस्पताल की बढ़ती लोकप्रियता कुछ लोगों को रास नहीं आ रही है, इसलिए अस्पताल को बदनाम करने का प्रयास किया गया है. ऐसा करने वाले निजी वेब चैनल के संचालक को बीस लाख रुपए की मानहानि का नोटिस भेज कर पूछा गया है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया? संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

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