रोज़ बढे़ंगे- रोज़ बढ़ेंगे, हम अविराम- हम अविराम.
प्राप्त करेंगे- प्राप्त करेंगे, सब परिणाम- सब परिणाम.
इस अदृश्य ताकत से भी हम, टकरायेंगे जी भरकर.
निकट समय में खुशी पताका, फहरायेंगे जी भरकर.
साथ सहेंगे- साथ सहेंगे, हर अंजाम- हर अंजाम.
प्राप्त करेंगे…
मानव ने कर्मठता- बल पर, काम अनोखे कर डाले.
दानव सी बीमारी के भी, टुकड़े- टुकड़े कर डाले.
रोज़ बढेंगे- रोज़ बढेंगे, पर निष्काम- पर निष्काम.
प्राप्त करेंगे…
कोरोना कब रोक सकेगा, अपने बढ़ते कदमों को.
हम सब अर्जित कर ही लेंगे, अपने इच्छित लक्ष्यों को.
सदा रचेंगे- सदा रचेंगे, नव आयाम- नव आयाम.
प्राप्त करेंगे…
– इंद्रदेव त्रिवेदी
214, बिहारी पुर खत्रियान, बरेली ( उत्तर प्रदेश)