हर रंग से भी रंगीन
हिंदुस्तान चाहिये।
खिले बागों बहार
गुलिस्तान चाहिये।।
चाहिये विश्व में नाम
ऊँचा भारत का।
विश्व गुरु भारत
का सम्मान चाहिये।।
मंगल चांद को छूता
भारत महान चाहिये।
अजेयअखंड विजेता
हिंदुस्तान चाहिये।।
दुश्मन नज़र उठाकर
देख भी ना सके।
हर शत्रु का हमको
काम तमाम चाहिये।।
हमें गले मिलते राम
और रहमान चाहिये।
एक दूजे के लिए
प्रणाम सलाम चाहिये।।
चाहिये हमें मिल कर
रहते हुए सब लोग।
एकदूजे के लिए दिलों
में एतराम चाहिये।।
एक सौ पैंतीस करोड़
सुखी अवाम चाहिये।
कश्मीर कन्याकुमारी
प्रेम का पैगाम चाहिये।।
चाहिये विविधता में
एकता शक्ति दर्शन।
देशभक्ति सरीखा राष्ट्र
में यशो गान चाहिये।।
पुरातन संस्कार मूल्यों
का गुणगान चाहिये।
हर चेहरे पे भारतवासी
जैसी मुस्कान चाहिये।।
चाहिये गर्व और गौरव
अपने देश भारत पर।
हर धड़कन में हिन्दी
हिंद का पैगाम चाहिये।।
रचयिता – एस के कपूर “श्री हंस” बरेली