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भाजपा विधायक के घर के बाहर जो जलवा इं. अनीस अहमद ने दिखाया वो सपा का कोई दावेदार नहीं दिखा पाया, फिलहाल कौन हैं सबसे दमदार दावेदार, जानिये क्यों?

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नीरज सिसौदिया, बरेली
समाजवादी पार्टी से टिकट के दावेदार अब अंतिम जोर लगा रहे हैं. फिलहाल अंतिम चरण में मुस्लिम दावेदारों में इंजीनियर अनीस अहमद खां का नाम सबसे ऊपर है. वहीं, हिन्दू दावेदारों में उपजा प्रेस क्लब के अध्यक्ष डा. पवन सक्सेना, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष अनुराग सिंह नीटू और पूर्व मंत्री साधना मिश्रा के नामों पर विचार होने की चर्चा है. अगर समाजवादी पार्टी यहां वह गलती नहीं करती है जो वर्ष 2012 में बहुजन समाज पार्टी ने की थी तो 125 बरेली कैंट विधानसभा सीट से इंजीनियर अनीस अहमद के उम्मीदवार होने की सबसे प्रबल संभावनाएं हैं. इसके पीछे कई ठोस वजहें भी हैं.
इंजीनियर अनीस अहमद एकमात्र ऐसे दावेदार हैं जो पिछले लगभग छह महीने से लगातार दिन-रात पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने और पार्टी की मजबूती की दिशा में कार्य कर रहे हैं. इसका सबसे बड़ा प्रमाण वह पूर्व वित्त मंत्री कैंट विधायक और भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल के घर के सामने विरोध प्रदर्शन और समाजवादी पार्टी की साइकिल यात्रा एवं विरोध रैली का भव्य स्वागत करके दे चुके हैं. समाजवादी पार्टी का कोई भी अन्य दावेदार अब तक भाजपा के इस गढ़ में ऐसा एक भी कार्यक्रम करने में सफल नहीं हो पाया है जिसके माध्यम से जनता में यह संदेश दिया जा सके कि समाजवादी पार्टी अब भाजपा नेताओं के घर में घुसकर उन्हें ललकारने की ताकत रखती है. कैंट विधानसभा सीट पर सपा की लहर बनाने में इंजीनियर अनीस अहमद के इन प्रयासों की अहम भूमिका रही है. इंजीनियर अनीस अहमद यह सब करने में इसलिए सफल हो सके क्योंकि उनके साथ बड़ी तादाद में उस इलाके के दलित एवं वैश्य समुदाय के लोग पिछले करीब डेढ़ दशक से भी अधिक समय से जुड़े हुए हैं जिस कालीबाड़ी इलाके में भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष व कैंट विधायक राजेश अग्रवाल का घर पड़ता है. यही वजह रही कि वर्ष 2012 के चुनाव में जब ऐन वक्त पर कुछ स्थानीय नेताओं के बहकावे में आकर बसपा प्रमुख मायावती ने इंजीनियर अनीस अहमद खां का टिकट काटकर एक हिन्दू ब्राह्मण रामगोपाल मिश्रा को दे दिया था तो रामगोपाल मिश्रा टॉप -3 में भी जगह नहीं बना सके थे. वहीं इंजीनियर अनीस अहमद निर्दलीय लड़ने के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी सुप्रिया एरन को पछाड़ते हुए तीसरे नंबर पर जगह बनाने में कामयाब रहे थे. वहीं बसपा प्रत्याशी रामगोपाल मिश्र पांचवें नंबर पर जा पहुंचे थे. इंजीनियर अनीस अहमद को उस वक्त 16 फीसदी यानि 24353 वोट हासिल हुए थे जबकि दूसरे नंबर पर रहने वाले सपा के फहीम साबिर को 21 फीसदी और विजेता राजेश अग्रवाल को 31 फीसदी वोट मिले थे. अगर उस वक्त इंजीनियर अनीस अहमद को किसी बड़े दल का साथ मिल जाता तो चुनावी नतीजे कुछ और ही होते. बहरहाल, इस बार समाजवादी पार्टी किस पर दांव लगाएगी यह देखना दिलचस्प होगा.
क्षत्रिय महासभा पहले ही अनुराग सिंह नीटू के समर्थन में उतर चुकी है. वहीं, कायस्थ समाज डा. पवन सक्सेना के साथ है. साधना मिश्रा पूर्व मंत्री भी हैं और ब्राह्मण चेहरा होने के साथ ही आधी आबादी का प्रतिनिधित्व भी करती हैं. पार्टी की ओर से अगर किसी महिला को मौका दिया जाता है तो कैंट सीट से साधना मिश्रा सबसे विश्वसनीय चेहरा हैं.
बहरहाल, कल यानी 22 नवंबर को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पिता और सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन है. उनके जन्मदिन पर कई बड़ी घोषणाएं होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं. यह भी कहा जा रहा है कि नेता जी के जन्म दिन के दिन या उसके तत्काल बाद पार्टी उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की जा सकती है. इस लिस्ट में कैंट विधानसभा सीट के प्रत्याशी की भी घोषणा हो सकती है.

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