नीरज सिसौदिया, बरेली
योगी आदित्यनाथ के बरेली में हुए रोड शो ने पूरी सियासी हवा का रुख ही बदल दिया है। कैंट विधानसभा सीट पर मुस्लिम और हिन्दू वोटों के कॉकटेल से जीत का सपना देख रही समाजवादी पार्टी को करारा झटका लगा है क्योंकि अखिलेश यादव बरेली में वह कमाल नहीं दिखा सके जो योगी आदित्यनाथ ने दिखाया। अखिलेश यादव ने इस चुनाव में बरेली की जनता से दूरी ही बनाए रखी। वह बरेली जरूर आए लेकिन उनका आगमन लग्जरी होटल के कमरों तक ही सीमित रहा। ऐसे में कैंट विधानसभा सीट पर पैराशूट उम्मीदवार उतारने पर हुए डैमेज को कंट्रोल नहीं किया जा सका है। वहीं, जिस उम्मीद से सुप्रिया ऐरन को समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था वह उम्मीद भी अब पूरी होती दिखाई नहीं दे रही है। शुक्रवार को बरेली की सड़कों पर रोड शो के जरिये योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव की उन उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया।
योगी के रोड शो ने एक बार फिर हिन्दुओं को भाजपा के पक्ष में एकजुट कर दिया है। अब वह वैश्य वोट भी भाजपा के पक्ष में खड़ा दिखाई दे रहा है जिसे बांटने का सपना समाजवादी पार्टी सुप्रिया ऐरन के माध्यम से देख रही थी। योगी ने सिर्फ हिन्दू समाज को एकजुट ही नहीं किया है बल्कि पार्टी नेताओं के आपसी मतभेद को भी खत्म कर एक मंच पर लाने का काम किया है। ऐसे में भाजपा उम्मीदवार संजीव अग्रवाल को भारी जन समर्थन मिलता दिखाई दे रहा है। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी हाजी इस्लाम बब्बू की दमदार उपस्थिति सपा उम्मीदवार की मुश्किलें बढ़ाती नजर आ रही है। इससे कैंट विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। मुस्लिम वोटों के हाजी इस्लाम बब्बू के पक्ष में जाने की संभावनाओं के बाद सपा प्रत्याशी यहां तीसरे नंबर पर खिसकती नजर आ रही हैं। हिन्दू वोट एकतरफा भाजपा के संजीव अग्रवाल के खाते में जाता दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि इस चुनाव को लेकर भाजपा नेताओं से लेकर कार्यकर्ता तक बेहद उत्साहित हैं और अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रहे हैं।
सुभाष नगर, मढ़ीनाथ, शांति विहार और गणेश नगर जैसे इलाकों में पहले की ही तरह भाजपा का वर्चस्व दिखाई दे रहा है। वहीं, कांग्रेस को आईएमसी का साथ मिलने और सपा द्वारा हिन्दू उम्मीदवार उतारने की वजह से यहां का मुस्लिम वोट अब सपा से दूर होता दिखाई दे रहा है। यही मुस्लिम कभी सपा का बेस वोट हुआ करता था लेकिन अब हालात बदल चुके हैं और सपा का आधार भी खिसकता नजर आ रहा है। इसका सीधा फायदा भाजपा उम्मीदवार संजीव अग्रवाल को मिलता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस के हाजी इस्लाम बब्बू भी भाजपा को कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं। बहरहाल कैंट का किला कौन फतह करता है इसका फैसला तो आगामी दस मार्च को ही होगा।