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प्रेम विवाह का ही पूर्वरूप था गान्धर्व विवाह

डॉ. कामिनी वर्मा सृष्टि के नैरंतर्य एवं मानव जीवन की चित्तवृत्तियों के शमनार्थ भारतीय समाज में गृहस्थाश्रम का विधान किया गया है।महाभारत में उल्लिखित है, *यह आश्रम बड़ा दुष्कर और श्रेष्ठतम है क्योंकि गृहस्थ से बड़ा त्यागी कोई नही है।* इसी आश्रम पर ब्रम्हचर्य और वानप्रस्थ आश्रम आश्रित होता है।तथा पितृ ऋण से उऋण होने […]

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सैन्धर्व काल से रहा है नाग पूजा का महत्व

डॉ. कामिनी वर्मा भारत वर्ष अनादि काल से आस्था प्रधान रहा है । अनादि अवस्था मे जब मानव ज्ञान – विज्ञान के क्षेत्र में वर्तमान सदृश प्रगति नही कर पाया था, तब यह आस्था अधिक बलवती होकर जन जन में व्याप्त थी । नागपंचमी, ऋषिपंचमी,अनंत चौदस, गूगा नवमी आदि नामों से मनाए जाने वाले त्योहारों […]

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योग दिवस पर विशेष : योग को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिलना हमारे लिए गौरव का विषय

डॉ. कामिनी वर्मा  योग अपने आप मे एक चिकित्सा पद्धति ही न होकर अपितु अपने आप मे सम्पूर्ण जीवन शैली है। योग आध्यात्मिक व शारीरिक प्रक्रिया है , जिसमें दिमाग , शरीर , मन , आत्मा को एक साथ केंद्रित किया जाता है । योग शब्द आते ही हमारे मस्तिष्क और मन में वैदिक परंपरा […]

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मुझे रखकर छांव में, खुद तपते रहे धूप में, मैंने देखा एक फरिश्ता, अपने पिता के रूप में’

डॉ. कामिनी वर्मा मुझे रखकर छांव में, खुद तपते रहे धूप में, मैंने देखा एक फरिश्ता , अपने पिता के रूप में’ पिता शब्द जेहन में आते ही उस सुरक्षात्मक घेरे की सुखद अनुभूति होती है जिसकी परिधि में आकर संतान हर प्रकार की कठिनाईयों व झंझावातों से मुक्ति प्राप्त करती है । संतान का […]

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प्रज्ञा यादव की कविताएं : ‘ट्विंकल की आखिरी आवाज’

माँ बहुत दर्द सह कर बहुत दर्द देकर तुझसे कुछ कह कर मैं जा रही हूँ आज मेरी विदाई पर जब सहेलिया मिलने आयेगी सफ़ेद जोड़े में लिपटी देख सिसक सिसक कर मर जायेगी लड़की होने का खुद पर वो अफ़सोस जताएगी माँ तू उन्हें इतना कह देना दरिंदो की दुनिया में संभल कर रहना […]

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निष्ठा शर्मा की कविताएं-2, आखिर क्यों बड़ी हो जाती हैं बेटियां?

आखिर क्यों बड़ी हो जाती हैं बेटियां ये तो होती हैं दीपक की बातियां बुझ जाएं तो वापस नहीं मिलतीं फिर अंगने में मुस्कुराहट नहीं खिलती पता नहीं उसके बिन रातें कैसे ढलतीं दिल है मेरा पता नहीं उस बिन धड़कन कैसे चलती इन्हें ले जाता है कोई पराया नहीं मिल पाती इनको मां-बाप की […]

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निष्ठा शर्मा की कविताएं-1, ‘छोटी सी परी’

बाबा मैं छोटी सी परी कल को हो जाउंगी बड़ी बन जाउंगी पराया ये मुझे लोगों ने चिढ़ाया बाबा आज खेलने दो मुझे कल को छोड़ जाना है तुझे बाबा कल को बदल जायेगी मेरे जीवन की नौका जब मुझको ले जाएगा एक हवा का झोंका मैं नन्ही सी चिड़िया, उड़ जाऊंगी एक दिन पता […]

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डॉ. दीपा शुक्ला की कविताएं -1 ‘मेरा रुदन, तुम्हारी हँसी’

मेरे जीवन के अंधियारे पथ पर चलते हुए मेरी बदहाली में , मेरी फटेहाली में, मेरी फ़टी हुई जूतियों में ठुकी हुई कील जब मेरे पाँव को करती घायल तो , अनायास ही बिखरती मुस्कान तुम्हारे चेहरे पर और तुम्हारी दूध जैसी श्वेत दन्त पंक्ति मुझे मेरे जीवन के अंधेरे में आगे बढ़ने का रास्ता […]

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माँ की दुआओं में ही दुनिया की सारी दौलत

भदोही से डॉ. कामिनी वर्मा ईश्वर हर किसी के पास नहीं पहुँच पाया होगा, शायद इसीलिए अपनी प्रतिकृति माँ के रूप में पृथ्वी पर भेज दी। माँ संतान के लिए ईश्वर का अद्वितीय उपहार है। माँ की दुआओं में दुनिया की सारी दौलत है , माँ भाव है, दुलार है , ममता का लहराता सागर […]

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डॉ. अम्बेडकर सदैव नारी उत्थान के लिए प्रयासरत रहे, पढ़ें भदोही से डॉ कामिनी वर्मा का विशेष लेेेख… 

समाज से अन्याय और असमानता समाप्त करने के लिए सतत संघर्षरत डॉ भीम राव अम्बेडकर का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है ।स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के अभाव मे आदर्शसमाज स्थापित नही हो सकता।पितृ सत्ता प्रधान भारतीय समाज मे नारी की स्थिति या तो देवी की रही है या दानवी की । […]