रामचंद्र कुमार अंजाना, बोकारो थर्मल
बोकारो थर्मल थाना अंतर्गत सीसीएल कारो स्पेशल फेज दो परियोजना में धावा बोलकर परियोजना के मैनेजर शंभूनाथ के कार्यालय सहित कई कार्यालयों का ताला तोड़कर कार्यालयों में रखे गये कागजातों को फेंकने के साथ ही चोरों ने सभी कार्यालयों का कुर्सी एवं टेबल अपने साथ ले गये।घटना शुक्रवार रात्रि लगभग एक बजे की है।चोरी की लिखित सूचना परियोजना के सुरक्षा इंचार्ज महावीर गोप ने स्थानीय थाना को दे दी है।घटना कें संबंध में बताया जाता है कि रात्रि लगभग एक बजे चोरों के झुंड ने परियोजना कार्यालय पर धावा बोलकर मैनेजर शंभूनाथ के कार्यालय सहित सेफ्टी सेल,लैम्प रुम,पर्सनल रुम,वर्क शॉप आदि का ताला तोड़कर उसमें रखे विभागीय कागजातों को तहस नहस कर डाला तथा कुर्सी एवं टेबल की चोरी कर ली। एक दर्जन से अधिक बार चोरों ने बोला है धावा-परियोजना कार्यालय पर चोरों ने विगत् दो माह के दौरान एक दर्जन बार से भी ज्यादा बार धावा बोलकर सामानों,ट्रांसफार्मर,केबल,लोहा एवं खदानों के उपकरणों,पंखा,कुर्सी टेबल की चोरी कर ली है।
2016 से ही बंद है प्रोजेक्ट-कारो स्पेशल फेज दो परियोजना विगत् फरवरी 2016 से ही बंद पड़ा है।प्रोजेक्ट के लगातार घाटे में चलने के कारण इसे बंद कर दिया गया है।प्रोजेक्ट बंद होने के बाद खदानों के उपकरणों,कार्यालयों,आवासीय कॉलोनी का जिम्मा सीआईएसएफ के हवाले ही था.प्रोजेक्ट बंद होने के डेढ़ वर्ष नवंबर 2017 में प्रोजेक्ट से सीसीएल प्रबंधन ने सीआईएसएफ को हटा लिया है।सीआईएसएफ के हटने के साथ ही चोरों ने अपना तांडव आरंभ कर दिया है और विगत् पांच माह में चोरों ने तीस बार चोरी की घटना को अंजाम दिया है।बंद परियोजना के आवासीय कॉलोनी में 70 कामगार हैं।विगत् पांच माह में चोरों ने प्रोजेक्ट के माइंस का टिपलर,ट्रॉली,ट्रॉली का टै्रक,लोहा का सारा समान की चोरी कर ली है।स्थानीय थाना की पुलिस प्रतिदिन परियोजना में रात्रि गश्ती को आती है बावजूद चोरों का आतंक कम नहीं हो रहा है।
परियोजना के मैनेजर शंभूनाथ का कहना है कि सारी रात जागकर ही बिताना पड़ता है कि कब चोरों का झुंड धावा बोलकर चोरी की घटना को अंजाम दे देगा।मैनेजर ने परियोजना सहित खासमहल के पीओ एमके पंजाबी को पत्र लिखकर परियोजना में बढ़ती लगातार चोरी की घटना को देखते हुए रात्रि में सीआईएसएफ द्वारा गश्ती करवाने की मांग की है।परियोजना के सुरक्षा इंचार्ज महावीर गोप का कहना है कि परियोजना के डेढ़ किलोमीटर के क्षेत्र में रात्रि गश्त पैदल करनी पड़ती है।प्रबंधन के द्वारा कोई भी वाहन मुहैया नहीं करवाया गया है।