उत्तराखंड

पर्यटकों से गुलजार हुई उत्तराखंड की फूलों की घाटी, 15 अक्टूबर तक ही ले सकेंगे लुत्फ

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जोशीमठ| उत्तराखंड के जोशीमठ में स्थित फूलों की घाटी नेशनल पार्क 1 जून को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है| पहले दिन यहां 43 पर्यटक पहुंचे वहीं, आज दूसरे दिन सुबह से ही पर्यटकों की भीड़ उमड़ने लगी है| यह पर्यटक इस घाटी की सैर 15 अक्टूबर तक ही कर सकेंगे इसके बाद इसे बंद कर दिया जाएगा|


हेमकुंड साहिब मार्ग पर स्थित फूलों की घाटी को प्राकृतिक खूबसूरती और जैव विविधता के कारण यूनेस्को ने वर्ष 2005 में विश्व धरोहर घोषित किया था| 87.5 वर्ग किलोमीटर में फैली यह घाटी देशी विदेशी पर्यटकों और ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए खास आकर्षण का केंद्र रहती है| वर्ष 1982 में इसे राष्ट्रीय पार्क का दर्जा दिया गया था| यह घाटी 5 किलोमीटर लंबी और 2 किलोमीटर चौड़ी है| यह चारों तरफ गौरी पर्वत नर पर्वत कुंड खाल रत्ता कोना से घिरी घाटी है व यहां सैकड़ों पर जातियों के फूल और वन्य जीव पाए जाते हैं| यह घाटी समुद्र तल से 32 सौ से लेकर 66 से 75 मीटर की ऊंचाई तक फैली हुई है| फूलों की घाटी में 300 से भी अधिक प्रजाति के फूल अलग अलग समय पर खिलते हैं. यहां उगने वाले फूलों में पोटोटिला, प्राइमिला, एनिमोन, एरिसीमा, एमोनाइटम, ब्लू पॉपी मार्स मेरीगोल्ड, ब्रह्म कमल, फैन कमल जैसे कई फूल शामिल हैं|
अमिताभ बच्चन और रेखा की मशहूर फिल्म सिलसिले का गीत ‘देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए’ इसी फूलों की घाटी में फिल्माया गया था. इसके बाद से यह घाटी चर्चा में आई थी और यहां पर्यटकों की भीड़ उमड़ने लगी थी| यहां हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं| फूलों की इस दुर्लभ घाटी को दुनिया से रूबरू कराने का श्रेय पर्वतारोही फ्रैंक स्माइथ को जाता है| वह वर्ष 1933-34 में कामेट पर्वत पर आरोहण के लिए आए थे. वापसी में थकान के कारण वे साथियों से बिछड़ गए और रास्ता भटक कर इस घाटी में पहुंच गए इसके बाद उन्होंने वैली ऑफ फ्लावर नाम से एक किताब लिखी जो 1938 में प्रकाशित हुई| फूलों की घाटी पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से बद्रीनाथ मार्ग से गोविंदघाट तक पहुंचा जा सकता है| यहां से 14 किलोमीटर की दूरी पर घांघरिया है जिसकी ऊंचाई 3050 मीटर है. यहां लक्ष्मण गंगा पुलिया से बाईं तरफ 3 किलोमीटर की दूरी पर फूलों की घाटी है.

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