कुरुक्षेत्र, ओहरी
भारतवर्ष की अलौकिक दैदीप्यमान विभूतियों की श्रृंखला में माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर का राष्ट्रहित राष्ट्रोत्थान तथा हिन्दुत्व की सुरक्षा के लिए किए गए सतत् कार्यों तथा उनकी राष्ट्रीय विचारधारा के लिए वे जनमानस के मस्तिष्क से कभी विस्मृत नहीं होंगे। श्री गुरुजी की हिन्दू राष्ट्र निष्ठा असंदिग्ध थी। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सर संघचालक थे। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संयोजक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर की पुण्यतिथि के अवसर पर व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि श्री गुरुजी आध्यात्मिक विभूति थे, आध्यात्मिक स्वभाव होने के कारण संतों के श्री चरणों में बैठना, ध्यान लगाना, प्रभु स्मरण करना, संस्कृत व अन्य ग्रन्थों का अध्ययन करने में उनकी गहरी रूचि थी। श्री गुरुजी का राष्ट्रजीवन में भी अप्रतिम योगदान था। संघ कार्य करते हुए वे निरंतर राष्ट्र चिंतन किया करते थे, वे निरंतर राष्ट्र श्रद्धा के प्रतीकों का मान, रक्षण करते रहे। वे सदैव देशहित में स्वदेशी चेतना, स्वेदशी व्रत, स्वदेशी जीवन पद्धति, भारतीय वेशभूषा तथा सुसंस्कार की भावना का समाज के समक्ष प्रकटीकरण करते रहे। राष्ट्र को समर्पित व्यक्तित्व थे, माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर। श्री गुरुजी का अध्ययन व चिंतन इतना सर्वश्रेष्ठ था कि वे देशभर के युवाओं के लिए ही प्रेरक पुंज नहीं बने, अपितु पूरे राष्ट्र के प्रेरक पुंज व दिशा निर्देशक हो गये थे। वे युवाओं को ज्ञान प्राप्ति के लिए प्रेरित करते रहते थे।