नीरज सिसौदिया, जालंधर
अटारी बाजार के साथ रहते बर्तन बाजार में फर्जी रजिस्ट्री पर अवैध दुकानों का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है| पहले तो कमेटी की जमीन की अवैध रूप से फर्जी रजिस्ट्रेशन तैयार कराई गईं, उस पर बर्तन बाज़ार खड़ा किया गया और अवैध दुकानें बनाने का सिलसिला अब भी जारी है| सब कुछ जानते हुए भी नगर निगम के अधिकारी सिर्फ खानापूर्ति करने में लगे हुए हैं|
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बता दें कि बिजली घर के पास बर्तन बाजार में एक अवैध मार्केट सहित तीन अवैध बिल्डिंगों का काम चल रहा है| कुछ दिन पहले इंडिया टाइम 24 ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. जिसके बाद नगर निगम के बिल्डिंग इंस्पेक्टर नवजोत दुग्गल ने अवैध निर्माण करने वालों को नोटिस भी जारी किए लेकिन अवैध निर्माण नहीं रुका| शनिवार और रविवार 2 दिन का अवकाश होने के कारण नगर निगम के अधिकारी इस इलाके में नहीं जा सके| नतीजा यह कि इन 2 दिनों के भीतर दिन-रात तेजी से अवैध निर्माण किया गया| तंग गलियों में हो रहेगी अवैध निर्माण मौत को दावत दे रहे हैं| एक और तो यहां पास में ही बिजली घर है और दूसरी ओर इतनी जगह भी नहीं की अगर कभी आग लग जाए तो फायर ब्रिगेड की गाड़ियां यहां घुस सकें| ऐसे में अगर कभी बिजली घर की चिंगारियां भड़क उठी तो पूरा बर्तन बाज़ार तो तबाह होगा ही साथ लगते अटारी बाजार की भी कई दुकानों को ले डूबेगा| यही वजह है कि नगर निगम इस इलाके में नक्शे पास नहीं कर पाता| ऐसा नहीं है कि निगम ने इस इलाके में नक्शे पास नहीं किए हैं लेकिन अवैध रजिस्ट्रियों पर अवैध निर्माण की भरमार अधिक है| जो लोग नक्शा पास भी करवाते हैं वह भी सिर्फ कागजों में ही नक्शे के अनुरूप निर्माण करते हैं हकीकत कुछ और ही होती है| नक्शे की खुलेआम वॉयलेशन की जाती है|
नवजोत दुग्गल ने बताया कि बिजली घर के पास बन रही अवैध मार्केट का रेजिडेंशियल नक्शा पास कराया गया है| अब अगर इमारत का रेजिडेंशियल नक्शा पास कराया गया है तो फिर वहां मार्केट कैसे बनाई जा रही है? इस पर नवजोत दुग्गल की ओर से निर्माण करने वाले को चेतावनी दी गई लेकिन अवैध निर्माण करने वालों ने सारी चेतावनी को हवा में उड़ा दिया| इससे कुछ फासले पर इस मौजूद बिल्लू बर्तन वाला और अग्रवाल हौजरी द्वारा भी अवैध निर्माण कार्य से किया जा रहा है| बिल्डिंग इंस्पेक्टर ने इन्हें भी नोटिस दिया था लेकिन उन्होंने भी नोटिस को कूड़ेदान में फेंक दिया| सवाल यह उठता है कि आखिरकार नगर निगम अधिकारियों की इतनी अनदेखी क्यों की जा रही है? क्यों इन दुकानदारों में और अवैध निर्माण करने वालों में नगर निगम का कोई डर नहीं रहा? क्यों यह अवैध निर्माण करने वाले बेखौफ होकर बिल्डिंग बायलॉज की उल्लंघना करते हैं?
गहराई से विचार करें तो इन सबका एक ही कारण नजर आता है नगर निगम के अधिकारियों का भ्रष्टाचार| अवैध निर्माण करने वाले जानते हैं कि चंद कागज़ के टुकड़े देखकर वह नगर निगम अधिकारियों को अपने पाले में कर सकते हैं| वह जानते हैं कि नगर निगम के अधिकारी सिर्फ कागजों में ही कार्रवाई करते हैं इसलिए वह निगम की ओर से भेजे गए नोटिस को कूड़ेदान में फेंक देते हैं| वह जानते हैं कि एक बार बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई तो नगर निगम के अधिकारी उन्हें आसानी से बचा लेंगे| यही वजह है कि अब अवैध निर्माण करने वालों में कानून का कोई डर नहीं रहा| नगर निगम का कानून तो यहां के अधिकारियों की रखैल बन चुका है| वह जिस पर चाहे कानून लागू कर दी जिस पर चाहे ना लागू करें| अधिकारी जिस तरह से नचाते हैं कानून उस तरह से नाचता है| जान भले ही विजिलेंस ही क्यों ना कर ले लेकिन नगर निगम के अधिकारी उसकी जॉर्ज पर भी कार्रवाई करना करने का रास्ता ढूंढ ही लेते हैं| कुछ बिल्डिंग इंस्पेक्टर तो ऐसे हैं जो अवैध निर्माण करने वालों को बताते हैं कि वह पुरानी ईटे लगा दे और हल्का-फुल्का रंगरोगन कर दे तो मैं उनकी बिल्डिंग को पुरानी साबित कर देंगे| बर्तन बाज़ार में भी कुछ ऐसा ही खेल करने की तैयारी चल रही है|
बहरहाल नगर निगम के पूर्व कमिश्नर बसंत गर्ग का तबादला हो चुका है और नए कमिश्नर लाकड़ा ने अभी पदभार संभाला नहीं है| ऐसे में यह अधिकारी बेलगाम हो चुके हैं और जब तक नए नगर निगम कमिश्नर अपना पदभार नहीं ग्रहण करते तब तक के लिए इन्हें अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई न करने का बहाना मिल गया है| सिद्धू ने भले ही 9 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया हो लेकिन वह अधिकारी इतना पैसा कमा चुके हैं कि सारी जिंदगी ही नहीं बल्कि उनकी कई पीढ़ियां भी बैठकर गुजारा कर सकती हैं| यही वजह है कि बिल्डिंग विभाग के अधिकारियों को सस्पेंशन का कोई डर नहीं है और वह खुलेआम अपने काले कारनामों को अंजाम दे रहे हैं|