एजाज अंसारी, समस्तीपुर
ऑल इंडिया हज वेलफेयर सोसायटी के यूथ विंग जिला अध्यक्ष तहसीन आजम ने एक पत्र लिख हज यात्रियों को जी.एस.टी. की रकम वापस की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की है.
उन्होंने ने पत्र में लिखा है,इस साल हज यात्रा को भी जी.एस.टी. के दायरे में लाकर भारतवर्ष से जाने वाले लगभग एक लाख पचहत्तर हज़ार हज यात्रियों से हवाई जहाज़ के किराये की रकम के साथ जी.एस.टी. की भी वसूली की गई , जिस वजह से हज यात्रा पिछले वर्षों के मुकाबले काफी महँगी हो गई है.. इस साल एक तरफ हज सब्सिडी खत्म किया जाना दूसरी और हज यात्रा को जी.एस.टी. के दायरे में ले आना, इस दोहरी मार का बोझ हज यात्रियों पर पड़ा है, हज पर जाने की हर मुसलमान की इच्छा होती है और वो अपनी ज़िन्दगी भर की कमाई में से पाई-पाई हज के लिये इकट्ठा करता है.. उसका हज के लिये सीमित बजट होता है और इस छोटे से बजट में वो अपनी दिली इच्छा को पूरा करने के उद्देश्य से हज के लिये आवेदन करता है.. लेकिन आए दिन..हज के लिये बनाये जा रहै नए-नए नियम और हज पर लगाये जा रहै टैक्सेस उसके सीमित बजट में हज यात्रा के गणित को बिगाड़ देतें हैं.. अगर वो घर से उसकी पत्नी के अलावा किसी तीसरे को साथ ले जाना भी चाहता हो तो बजट ज़्यादा हो जाने की वजह से तीसरे को रोकना पड़ता है,
जहाँ तक मेरी मालूमात है, जी.एस.टी. कानून में धार्मिक यात्रा को उससे मुक्त किया गया है, क्योंकि भारत में अलग-अलग धर्म के मानने वाले और भी अनुयायी हैं जो अक्सर तीर्थ के उद्देश्य से विदेश तीर्थ स्थलों पर जातें है जिन्हें जी.एस.टी. से मुक्त रखा गया है.. लेकिन हज का काम देख रहा अल्पसंख्यक मंत्रालय इस बात को स्वीकार करने के लिये कतई तैयार नही है कि हज यात्रा भी जी.एस.टी.के दायरे में नही आती, वैसे भी इस कानून को हज यात्रियों पर लागू किया जाना किसी भी स्थिति में सही नही है हज यात्री, अपने पवित्र हज को पूर्ण करने की दृष्टि से जाता है कोई व्यवसाय,व्यापार का उसका मकसद नहीं होता है।