हिमाचल

कब तक दिल्ली के भरोसे बैठे रहेंगे हिमाचली फूल

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शारदा आनंद गौतम, पालमपुर 

हिमाचली बाग-बगीचों में इन दिनों बहार है। रंग-बिरंगे फूल आकर्षण का केंद्र बनें हुए है। हिमाचली किसान-बागवान के चेहरे भी इन फूलों को देखकर आनंदित है। करीबन डेढ़ दशक से हिमाचल में फूलों की खेती की तरफ युवाओं का रूझान बढ़ा है और उन्होंने आगे आते हुए न केवल अपने खेतों में फूलों को लगाया है बल्कि पॉलीहाउसों में भी विदेशी फूलों को तैयार किया है। मगर रह-रह कर एक सवाल मन में कौंधता है कि ये हिमाचली युवा फूल उत्पादक दिल्ली के कारोबारियों पर कब तक निर्भर रहेंगें। जी-तोड़ मेहनत करने के बाद भी इन्हें अपनी मेहनत का उचित दाम नहीं मिल पाता। बीते कुछ दिनों से तो इनके चेहरे की रंगत को देश की फूल मंडी गाजीपुर के कारोबारियों ने उड़ा कर रख दिया है।

यह कारोबारी हड़ताल पर है और उसका सीधा असर हिमाचली फूल उत्पादकों पर हो रहा है। लिहाजा अब सही समय है जब प्रदेश सरकार को इस तरफ ध्यान दिया जाना चाहिए।

गाजीपुर फूल मंडी में अगर यह हड़ताल लंबी खिंचती है तो प्रदेश में जो फूलों को लेकर बागवान अपना कारोबार खड़ा करने की तरफ अग्रसर हुए है तो उन्हें फिर से अपने पांवों पर खड़ा होने में लंबा समय लग जाएगा। हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह इस संदर्भ में पहल करते हुए प्रदेश के फूल उत्पादकों के लिए एक वातानकूलित बाजार को तैयार करवाए। ऐसा होता है तो न केवल हिमाचली फूल उत्पादक समृद् होगें बल्कि उसका सीधा लाभ प्रदेश को भी होगा।

जहां तक हिमाचल में फूलों की खेती की बात करें तो सोलन और सिरमौर में बड़े उत्पादक है जो अपने उत्पाद को व्यापक स्तर पर दिल्ली में भेजते है। यह सिलसिला कई वर्षो से चला हुआ है। सोलन और सिरमौर के बाद कुल्लू, लाहौल, मंडी, शिमला, कांगड़ा, बिलासपुर, चंबा और ऊना में भी फूलों की खेती की तरफ किसान-बागवान अग्रसित हुए है। गैंदा और गुलाब से आगे बढ़ते हुए किसानों ने लिलि और आर्केड जैसे मंहगे फूलों को जहां प्रदेश में तैयार किया है वहीं कारनेशन,  ग्लेडलस,  जरबेरा, अलस्ट्रेमेरिया, गुलदाउदी आदि फूलों को भी बड़े स्तर पर उगा रहे हैं।

प्रदेश में छोटे-छोटे भागों में कुछ प्रगतिशील किसान है जिन्होंने भारी कर्जा उठाता हुए पोलीहाउसों में फूलों को लगाया हुआ है। पालमपुर, धर्मशाला, नगरोटा, बैजनाथ,करसोग, बग्गी,सुंदरनगर, जोगेंद्रनगर, चायल, राजगढ़ आदि ऐसे ही क्षेत्र है जहां के फूलों की मांग विशेष तौर पर की जाती है। रोजाना हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में इन क्षेत्रों से दिल्ली के लिए विशेष बाक्सों में लाखों के फूलों को भेजा जाता है। दिल्ली में आढ़ती इन फूलों पर अपना मुनाफा लेकर फिर से इसे देश के अन्य भागों में भेजते है। इस दिशा में हिमाचल सरकार अगर पहल करें तो चंडीगढ़ में फूल मंडी का खाका खींच कर प्रदेश के फूल उत्पादकों को नया वातानकूलित बाजार उपलब्ध करवा सकती है वहीं पड़ौसी राज्य पंजाब और हरियाणा को भी ताजा फूल कम दाम पर उपलब्ध हो जाएंगे।

पंजाब की बात करें तो लुधियाना,  अमृतसर, पटियाला, जालधंर और चंडीगढ़ में हिमाचली फूलों की भारी मांग है। यहां पर हिमाचली फूल सीधे न आकर दिल्ली के माध्यम से आता है। हिमाचली फूल उत्पादकों को जहां पहले दिल्ली अपने फूलों को भेजने के लिए अधिक किराया खर्च करना पड़ता है वहीं दिल्ली में कारोबारी अपना मुनाफा लेते हुए उसे फिर से पंजाब समेत अन्य स्थानों पर भेजते है। सबसे महत्वपूर्ण इस दौरान फूलों की ताजगी पर प्रभाव पड़ता है। अब हिमाचल सरकार पहल करते हुए चंडीगढ़ में फूलों को लेकर जगह का चयन कर वहां पर युवाओं को फूलों के कारोबार से जोड़ लें तो हिमाचल फूल उत्पादकों का जहां दिल्ली तक किराया बचेगा वहीं वह सप्ताह में चंडीगढ़ का सफर भी आसानी से कर सकता है। यहां पर वह अपने फूलों को लेकर जहां कारोबारियों से बात करते हुए मोल-भाव कर अपने लिए अधिक अवसर पैदा कर सकता है।

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