नीरज सिसौदिया, जालंधर
नगर निगम की ओर से पिछले साल करवाए गए अवैध वेंडरों किस सर्वे में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है| नगर निगम के तहबाजारी सुपरिंटेंडेंट मनदीप सिंह ने इस सर्वे पर ही सवाल खड़े किए हैं|
बता दें कि वर्ष 2016 में नगर निगम की ओर से स्ट्रीट वेंडिंग पॉलिसी को लेकर शहर में अवैध रूप से काम कर रहे वेंडरों का सर्वे कराया गया था| यह सब उन अवैध वेंडरों का किया जाना था जो नगर निगम की हद में रेहड़ी लगाते हैं और उनसे नगर निगम जुर्माना वसूल सकता है| इस सर्वे के अनुसार शहर में कुल 12014 वेंडर दर्ज किए गए थे जबकि यह आंकड़ा इससे काफी कम होने का दावत है बजारी सुपरिंटेंडेंट मनदीप सिंह ने किया है|
उन्होंने कहा कि इस सर्वे में सब्जी मंडी के 3000 वेंडरों को शामिल किया गया है जबकि उन्हें नहीं किया जाना चाहिए था| इसके अलावा 2000 किसान वेंडरों को भी इसमें शामिल कर लिया गया| सर्वे के लिए दारा शाह कंपनी को प्रति रेडी 275 से ₹300 का भुगतान नगर निगम की ओर से किया गया है| ऐसे में टोटल 5000 वेंडरों को गलत तरीके से सर्वे में शामिल किया गया है जिससे दारा शाह कंपनी को लगभग 15 लाख रुपए का अतिरिक्त भुगतान नगर निगम को करना पड़ा है| अगर सही तरीके से सर्वे किया गया होता तो नगर निगम के 1500000 रुपए बच सकते थे|
अकाली-भाजपा गठबंधन के कार्यकाल में हुए इस सर्वे की जांच कांग्रेस फिलहाल कराने के मूड में नजर नहीं आ रही|
जल्द मिलेंगे अवैध वेंडरों को लाइसेंस
स्ट्रीट वेंडिंग पॉलिसी के नार्थ जोन में वेंडरों को जल्द ही लाइसेंस देने की योजना भी चल रही है| इसके लिए नॉर्थ में ही 7 जोन चिन्हित किए गए हैं जहां इन वेंडरों को स्थाई जगह दी जाएगी और उन्हें लाइसेंस भी नगर निगम की ओर से जारी किया जाएगा|