कुरुक्षेत्र, ओहरी
पवित्र गीता की जन्मस्थली तथा महाभारत के युद्ध की साक्षी धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव श्री कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है। जयराम विद्यापीठ के मुख्य सेवक ब्रह्मचारी रोहित कौशिक ने कहाकि योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण ने गीता के उपदेश से सृष्टि के जीवन दर्शन को प्रस्तुत किया है। उन्होंने बताया ऐसे में जन्माष्टमी को कुरुक्षेत्र, वृन्दावन, मथुरा में ही नहीं भारत सहित विदेशों में बसे भारतीय भी जन्माष्टमी को पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। कौशिक ने बताया भगवान श्रीकृष्ण ने अपना अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में लिया था। क्योंकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे, इसलिए इस दिन को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
कुरुक्षेत्र से तो भगवान श्री कृष्ण का बाल्यकाल से सूर्यग्रहण व महाभारत के युद्ध तक विशेष संबंध रहा है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक वर्ष ब्रह्मसरोवर के तट पर जयराम विद्यापीठ में भारत साधु समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी के आशीर्वाद से श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव बड़ी श्रद्धा तथा हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
कौशिक के अनुसार, जन्माष्टमी पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु कतारों में लगकर भगवान श्री कृष्ण के दर्शनों के लिए जन्माष्टमी पर जयराम विद्यापीठ में पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी जयराम विद्यापीठ में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर रंगीन रोशनियों और सजावट की अनोखी छटा होगी। विद्यापीठ में श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियों जोरों शोरों से चल रही हैं। जन्माष्टमी पर विद्यापीठ की भजन संध्या विशेष आकर्षण का केंद्र होगी। कौशिक के अनुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियों में सभी सेवकों, ट्रस्टियों एवं पदाधिकारियों की जिम्मेवारियां भी निर्धारित कर दी गई हैं। इस मौके पर राजेंद्र सिंघल, श्रवण गुप्ता, के के कौशिक, खरैती लाल सिंगला, राजेश सिंगला, रणबीर भारद्वाज, सतबीर कौशिक व राजेश लेखवार शास्त्री इत्यादि भी मौजूद थे।