किशनगढ़ से लौटकर नीरज सिसौदिया
राजस्थान विधानसभा चुनाव की जंग काफी दिलचस्प नजर आ रही है| यहां की हर विधानसभा सीट अलग अलग सियासी समीकरण पेश कर रही है| कहीं मुद्दे हावी हैं तो कहीं जातिगत समीकरण। अधिकांश विधानसभा सीटों पर जातिगत समीकरण ही खेल दिखाने वाले हैं| जीत का आंकड़ा वही पार कर पाएगा जो जाति के खेल में बाजी मार ले जाएगा| यही वजह है कि दोनों दलों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती उम्मीदवारों के चयन की है| सबसे दिलचस्प लड़ाई किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र में नजर आ रही है| जाती आंकड़ा देखें तो यहां सर्वाधिक वोट अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के हैं लेकिन यहां का चुनाव जाट बनाम ब्राह्मण होने जा रहा है|
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दरअसल यहां पर अब तक भारतीय जनता पार्टी से विधायक भागीरथ चौधरी जाट बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं| पिछले 5 वर्षों में चौधरी साहब जाटों की सियासत में ही उलझ कर रह गए| गैर जाट बिरादरियों की अनदेखी ने चौधरी के साथ ही भारतीय जनता पार्टी को भी अलग अलग कर दिया है| इससे सबसे ज्यादा हवा ब्राह्मण नजर आ रहे हैं। इसके अलावा मुस्लिम तो पहले से ही कांग्रेस के पाले में थे| राजपूत गुर्जर महाजन और माली समुदाय भी जाटों से दुखी नजर आ रहे हैं| वहीं अनुसूचित जाति और जनजाति की लगभग आधे से अधिक आबादी पहले ही कांग्रेस की पक्की वोटर मानी जाती थी| भागीरथ चौधरी के कार्यकाल के दौरान जो अनुसूचित जाति जनजाति के लोग भारतीय जनता पार्टी के खेमे में चले गए थे वह भी उनसे खफा नजर आ रहे हैं| दूसरी तरफ सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का माहौल अलग से है| ऐसे में अगर कांग्रेस की तरफ से किसी ब्राह्मण को मैदान में उतार दिया गया तो निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी यह सीट गंवा बैठेगी।
वोटों के गणित पर नजर डालें तो किशनगढ़ विधानसभा सीट में सबसे अधिक वोट अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के हैं| यहां अनुसूचित जाति और जनजाति के कुल लगभग 45000 वोट हैं| जो कांग्रेस का पक्का वोट बैंक रहे हैं| इसी प्रकार 43000 वोट जाटों के हैं जो बीजेपी के खाते में ही आते रहे हैं| ब्राह्मण वोटरों की बात करें तो यह आंकड़ा लगभग 40,000 के इर्द-गिर्द घूमता नजर आता है| इसके अलावा 25000 मुस्लिम वोटर 25000 राजपूत वोटर 22000 गुर्जर वोटर और लगभग 15000 महाजन वोटर भी शामिल हैं। यहां की कुल मतदाता संख्या 262400 है| अब अगर कांग्रेस किसी ब्राह्मण को मैदान में उतारती है तो उसके खाते में ब्राह्मण वोटों के साथ साथ मुस्लिम राजपूत गुर्जर महाजन माली और वह भी खुद ब खुद गिर जाएंगे| अब क्योंकि भागीरथ चौधरी वर्तमान विधायक हैं इसलिए भारतीय जनता पार्टी के लिए मैदान में चौधरी को नहीं उतारने का फैसला आसान नहीं होगा| अगर भागीरथ चौधरी का टिकट काटा जाता है तो भाजपा की झोली से जाट वह पूरी तरह से खाली हो सकते हैं| यदि जाटों को साधने के लिए भारतीय जनता पार्टी भागीरथ चौधरी को छोड़कर किसी और जाट को मैदान में उतार देती है तब भी जादू में अच्छा खासा प्रभाव रखने वाले भागीरथ चौधरी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं जिसका फायदा कांग्रेस के ब्राह्मण उम्मीदवार को मिल सकता है| क्योंकि जाटों की वोट कटेगी तो वह कांग्रेस की झोली में जाएगी| ब्राह्मण उम्मीदवार उतार कर कॉन्ग्रेस ब्राह्मणों के साथ-साथ अन्य जाति के वोटरों को भी साथ सकती है और जाटों की वोट जो बीजेपी से कटकर उसकी झोली में आएगी वह जीत का आंकड़ा बढ़ाने में उसके लिए फायदेमंद साबित होगी| अगर भाजपा यहां से ब्राह्मण उम्मीदवार को उतारती है तो भी उसे नुकसान ही झेलना पड़ेगा क्योंकि ब्राह्मण को उतारने से जा खफा हो जाएंगे और मुस्लिम राजपूत गुर्जर महाजन माली एससी एसटी और कुछ अन्य जातियों की वह पहले से ही कांग्रेस के पाली में नजर आ रहे हैं| ऐसे में भाजपा को अपने वोट बैंक के साथ ही अन्य जातियों का वोटबैंक भी गंवाना पड़ जाएगा| भारतीय जनता पार्टी को जाट उम्मीदवार उतारने का फायदा तभी मिल सकता है जब कांग्रेस भी जाटों पर दांव खेले| अगर कांग्रेस भी जाट उम्मीदवार को मैदान में उतारती है तो ब्राह्मण वोट कट कर भाजपा की झोली में आ सकते हैं| बहरहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस किशनगढ़ विधानसभा सीट से जादू पर दांव लगा दी है या फिर ब्राह्मण या किसी अन्य जाति के नेता पर| दोनों सियासी दल भले ही किसी पर भी डाउन खेले लेकिन दोनों ही सूरत में यहां का सियासी घमासान बेहद दिलचस्प होने वाला है|