राजस्थान

अजमेर जिले की आठ में से छह सीटें हार रही है कांग्रेस!

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नीरज सिसौदिया, नई दिल्ली
राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के बाद चुुनाव परिणाम भी साफ हो गए हैं. कुछ सीटों पर कांटे की टक्कर तय है तो वहीं कुछ सीटों पर भाजपा की एकतरफा जीत नजर आ रही है. ऐसे में कांग्रेस यहां की आठ में से छह सीटों पर हार सकती है.
बता दें कि जिले में ब्यावर, केकड़ी, मसूदा, पुष्कर, अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, नसीराबाद और किशनगढ़ सहित कुल आठ विधानसभा सीटें हैं.
सबसे पहले बात करते हैं ब्यावर सीट की. यहां कांग्रेस एकतरफा हार की ओर बढ़ती नजर आ रही है. इस सीट पर कुल मतदाता लगभग दो लाख से भी अधिक हैं जिनमें करीब एक लाख वोट अकेले रावत बिरादरी के हैं. कांग्रेस ने यहां से पारसमल जैन को उतारा है जिनकी पकड़ काफी कमजोर है. वहीं भाजपा ने रावत समुदाय के शंकर सिंह रावत को मैदान में उतारा है. ऐसे में रावत यहां एकतरफा जीत की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं.
इसी तरह अल्पसंख्यक बाहुल्य मसूदा सीट पर भी कांग्रेस की हार तय मानी जा रही है| यहां पर कांग्रेस ने ब्राम्हण उम्मीदवार राकेश पारिख को मैदान में उतारा है तो वहीं भाजपा ने राजपूत प्रत्याशी भंवर सिंह पलाड़ा को उतारा है|| यहां पर कयूम खान अल्पसंख्यक बिरादरी के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं और वह कांग्रेस से टिकट के प्रबल दावेदार भी थे| कांग्रेस ने उन्हें दरकिनार कर किसी भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है| यहां मुस्लिम वोटरों की संख्या लगभग 45000 है जो निर्णायक साबित होती है| ब्राह्मणों से यहां मुस्लिम खफा हैं और मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में ना होने के चलते मुस्लिम वोट राजपूत प्रत्याशी के पाले में आ सकती है| हालांकि हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा इलाके में खासा महत्व रखता है और भाजपा की छवि हिंदुत्ववादी पार्टी की है जिसके चलते गैर मुस्लिम समुदाय के वोट तो भाजपा के पाले में जाना लगभग तय है| यही वजह है कि कांग्रेस ने यहां मुस्लिम प्रत्याशी को नहीं उठा रहा है लेकिन हिंदुत्व समीकरण साधने के चक्कर में कांग्रेस अपना मुस्लिम वोट बैंक भी गंवा चुकी है| संभव है कि यहां से कोई मुस्लिम प्रत्याशी बताओ और आजाद उम्मीदवार मैदान में उतरेगा और कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा|
जिले की केकडी विधानसभा सीट पर कांग्रेस मजबूत नजर आ रही है| यहां से कांग्रेस ने रघु शर्मा को उम्मीदवार बनाया है और भाजपा ने अब तक उम्मीदवार घोषित नहीं किया है| रघु शर्मा पार्टी से सांसद भी हैं| इलाके में उनकी अच्छी पकड़ है जिसके चलते उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है| साथ ही भाजपा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का माहौल भी यहां काम करेगा| कांग्रेस की लहर में रघु शर्मा यह टिकट सकते हैं| हालांकि भाजपा अगर यहां से किसी बड़े चेहरे को उतारती है तुम मुकाबला थोड़ा दिलचस्प हो सकता है लेकिन सीट जीतना भाजपा के बस की बात नहीं लगती|
जिले की पुष्कर विधानसभा सीट से कांग्रेस ने नसीम अख्तर को उम्मीदवार बनाया है जबकि भाजपा ने यहां से सुरेश रावत को मैदान में उतारा है| यहां का जाति समीकरण और कांग्रेस प्रत्याशी का खुला विरोध कांग्रेस के लिए नुकसानदायक साबित होगा| कांग्रेस के लिए सीट निकालना बेहद मुश्किल होगा| लगभग 40 से 45000 वोटों से कांग्रेस यहां से चुनाव हार सकती है| यहां पच्चीस हजार के लगभग जाट वोटर हैं| लगभग 27000 माइनॉरिटी वोट है| वहीं 35000 रावत है। जाट उम्मीदवार नहीं होने की सूरत में यहां का जाट समुदाय रावतों को वोट देता है| भाजपा ने यहां से सुरेश रावत को उतारकर अच्छी चाल चली है| साथ ही हिंदू मुस्लिम के मुद्दे को भी भाजपा बड़ी आसानी से बुला लेगी| ऐसे में कांग्रेस हार सकती है| अगर एक मुस्लिम उम्मीदवार को उतारने की जगह कांग्रेस यहां से नंदाराम थाकन या रामचंद्र चौधरी में से किसी एक को उतारती तो यह सीट कांग्रेस के पाले में निश्चित तौर पर जा सकती थी।
इसके अलावा कांग्रेस ने अजमेर उत्तर से महेंद्र सिंह रलावता को मैदान में उतारा है जबकि भाजपा से वासुदेव देवनानी चुनाव लड़ रहे हैं| कांग्रेस के यहां से दो मजबूत प्रत्याशी विजय जैन और दीपक हंसानी थे लेकिन उनको टिकट नहीं दिया गया| यहां सिंधी वोट लगभग 30,000 हैं जो निर्णायक साबित होते हैं| देवनानी सिंधी समाज से ताल्लुक रखते हैं जबकि महेंद्र सिंह राजपूत हैं| राजपूतों का जाति समीकरण यहां बेहद कमजोर है| अंदर खाते पारस जैन और दीपक का विरोधी कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकता है|
अजमेर दक्षिण सीट से कांग्रेस के हेमंत भाटी और भाजपा की अनिता भदेल में कांटे की टक्कर होगी| अनिता भदेल जहां से तीन बार लगातार विधायक रही हैं| हेमंत भाटी भी मजबूत प्रत्याशी हैं और इस बार कांग्रेस की लहर और भाजपा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का फायदा उन्हें मिल सकता है लेकिन मुकाबला कांटे का होगा|
नसीराबाद में भी दोनों दलों में कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी| यहां कांग्रेस ने रामनारायण गुर्जर को मैदान में उतारा है और बीजेपी ने रामस्वरूप चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है| रामस्वरूप चौधरी पूर्व सांसद के पुत्र हैं और रामनारायण वर्तमान विधायक| कांग्रेस विरोधी लहर में भी राम नारायण ने जीत हासिल की थी जिसके चलते उनकी यह सीट काफी मजबूत है लेकिन रामस्वरूप चौधरी का भी इलाके में अच्छा रसूख है जिसके चलते मुकाबला कांटे का होने के आसार नजर आ रहे हैं|
सबसे अंत में बारी आती है किशनगढ़ विधानसभा सीट की| इस सीट पर मुकाबला जाटों और ब्राह्मणों के बीच होगा| यहां सबसे ज्यादा वोट जाट बिरादरी की है लेकिन गैर जाट समुदाय जाटों से बेहद दुखी और परेशान हैं और जाटों के खिलाफ एकजुट हैं| ऐसे में अगर कांग्रेस यहां से किसी गैर जाट उम्मीदवार को मैदान में उतारती है तो यह सीट उसकी पक्की हो सकती है| इसके उलट अगर कांग्रेस जहां पर जाट उम्मीदवार को मैदान में उतारती है तो यह सीट भाजपा के पाले में बड़ी आसानी से चली जाएगी| भाजपा ने यहां से पहले ही जाट प्रत्याशी विकास चौधरी को मैदान में उतार दिया है| जाट वोट बैंक यहां भाजपा का पारंपरिक वोट बैंक है| इसलिए गैर जाट उम्मीदवार ही यहां कांग्रेस की डूबती नाव बचा सकता है|

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