झारखण्ड

गोबिंदपुर परियोजना में दूर देश से पहुंचे विदेशी पक्षी

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बोकारो थर्मल। रामचंद्र कुमार अंजाना
बेरमो प्रखंड के सीसीएल गोबिंदपुर परियोजना के जलाश्य आसपास के क्षेत्रों में दिनों दक्षिण में श्रीलंका और पश्चिम में अरब देशों से आए प्रवासी पक्षियों को कलरव करते हुए देखते बन रही है। ये पक्षी खासतौर पर समर सीजन में ही शहर के जंगलों में निवास करने के लिए आते हैं,क्योंकि बारिश की शुरुआत का समय इन पक्षियों के प्रजनन काल का होता है, उस समय मध्यभारत की क्लाइमेटिक कंडीशन उनके अनुकूल होती है। नवंबर माह में आने वाले ये पक्षी जुलाई तक आते-आते वापस लौट जाएंगे। गोबिंदुरपर कोलियरी में इन पक्षियों को देखने व फोटो शूट करने के लिए आसपास के क्षेत्रों में जा रहे हैं।
बर्ड लवर्स के लिए जितना खूबसूरत मौसम सर्दियों का होता है,उतना ही दिलकश मौसम गर्मियों का भी है। इसकी वजह इस मौसम में भी प्रवासी पक्षियों का आना है। गोबिंदपुर परियोजना व में इन दिनों विभिन्न प्रजातियों के पक्षी अपना जीवन चक्र आगे बढ़ाने आए हुए हैं। सूखे जंगलों की पत्ते विहीन शाखाओं पर कई प्रजातियों के पक्षियों की अटखेलियां इन दिनों देखी जा सकती हैं। अरब देशों और दक्षिण में श्रीलंका तक से मध्यभारत आने वाले प्रवासी पक्षियों की संख्या कम नहीं है। इनमें से कई पक्षी तेनूघाट के जलाश्य में भी आते हैं।
जानकरी के अनुसार पक्षियों की संख्या में तो परिवर्तन नहीं हुआ पर एशियन पैराडाइज फ्लाइकैचर (दूधराज) की संख्या में अपेक्षाकृत इजाफा हुआ है। इस पक्षी को सुल्ताना बुलबुल के नाम से भी जाना जाता है। वैसे यहां पर करीब 10 प्रजातियों के पक्षी भी इन दिनों यहां पर देखे जा रहे हैं। इन पक्षियों में से कई ने तो अपने घोंसले भी बना लिए हैं,जो कि बरसाती नालों के किनारे लगे अर्जुन के पेड़ों पर देखे जा सकते हैं।
ये प्रवासी पक्षी तेज गर्मी की शुरुआत के साथ ही यहां आ जाते हैं और जब बारिश अपना प्रभाव दिखाने लगती है तब यह लौट भी जाते हैं। अमूमन ये पक्षी मई से जुलाई तक यहां रहते हैं।
यहां है इनका रेन बसेरा-गर्मी से जंगल सूख चुके हैं ऐसे में ये प्रवासी पक्षी इन दिनों गोबिंदपुर परियोजना के जलाश्य, कोनार डैम व तेनूघाट जलाशय के अलावे जंगलों व वहां की तलहटी में आसानी से देखे जा सकते हैं। दिन चढने से पहले इन्हें सुबह कलरव करते हुए आसानी देखा जा सकता है।
बारिश के शुरुआती दिनों में इनके अंडों से बच्चे निकल आते हैं। ऐसे में इन्हें प्रोटीन-विटामिन युक्त भोजन की ज्यादा आवश्यकता होती है,जो कि इन्हें कम पानी, कीचड़ और नमीयुक्त जगह पर पनपने वाले कीड़ों से भरपूर मात्रा में मिल जाता है। कुछ पक्षियों को इस दौरान विशेष प्रकार की घास और उसके बीजों की आवश्यकता होती है,जो उन्हें यहां अच्छी मात्रा में मिल जाते हैं।
छोटे ओर फुर्तीले होते है ये पक्षियां-गोबिंदपुर परियोजना के जलाशय व आसपास के जंगलों में आने वाले कुछ पक्षी अरब कंट्री से भी आते हैं। इस मौसम में आने वाले प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए वन विभाग के सजग होने की आवश्यकता है। ये पक्षी छोटे होने के कारण बहुत फुर्तीले और तेज उड़ान भरने वाले होते हैं। जरा सी आहट होते ही परिस्थिति को भांपते ही ये उड़ जाते हैं।
ये हैं प्रवासी पक्षी

इंडियनपिट्टा (नवरंगा), एशियन ब्राउन फ्लाइकैचर, एशियन पैराडाइज फ्लाइकैचर, ब्लैक कैप्ड मोनार्क फ्लाइकैचर, ब्लेक हैडेड कुक्कू श्राइक, यूरेशियन ब्लैक बर्ड,इंडियन हॉक कुक्कू,यलो ओरिओल, टावनी बेबलर, टिकल ब्लू फ्लाइकैचर।

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